3.टीकाकरण फ्यूजर जनरेशन को बचाने के लिए जरूरी है (Immunization protects future generations)
रूबेला (rubella)से लेकर चिकनपॉक्स ने कई बच्चों की जान ली है, लेकिन आज इनके टीकाकरण के चलते इनका रिस्क काफी कम हो गया है। यहां तक कि प्रेग्नेंट महिला से भ्रूण तक पहुंचने वाले इस वायरस का रिस्क बहुत कम हो चुका है। अगर इसी तरह वैक्सिनेशन की प्रॉसेस चलती रहेगी तो पेरेंट्स इस बात पर पूरा तरह विश्वास कर सकते हैं कि जिन बीमारियों का डर आज उन्हें हैं वो फ्यूचर में उनके बच्चों को नुकसान नहीं पहुंचाएगी।
इस तरह पैरेंट्स बच्चों का वैक्सिनेशर करवा अपने बच्चों औद दूसरों की भी सुरक्षा कर सकते हैं। उन्हें इसके लिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है।
छोटे बच्चों के लिए वैक्सिनेशन: पैरेंट्स छोटे बच्चों के वैक्सिनेशन का रिकॉर्ड रखें
ज्यादातर बच्चों में वैक्सिनेशन जन्म के बाद से 6 वर्षों तक कंप्लीट हो जाता है। कई टीके अलग-अलग उम्र में एक बार से ज्यादा दिए जाते हैं। इसलिए पेरेंट्स के लिए जरूरी है कि वे छोटे बच्चों को दिए जाने वाले टीकों का रिकॉर्ड मैंटेन करें। हालांकि जिस डॉक्टर या हॉस्पिटल से वे वैक्सिनेशन ले रहे होते हैं वे भी इसका पूरा रिकॉर्ड रखते हैं, लेकिन कई बार लोग डॉक्टर चेंज कर देते हैं जिससे रिकॉर्ड नहीं रह जाता। ऐसे में टीकों की पूरी जानकारी रखना आपकी जिम्मेदारी है। कई बार बच्चे के बीमार होने या किसी अन्य कारण के चलते कोई टीका छूट जाता है तो उसे बाद में जरूर लगवाएं। इसके लिए आपको पुराने टीके भी फिर नहीं लगवाना होंगे बस मिस हुए टीके को डॉक्टर को शेड्यूल कर देंगे। वैक्सिनेशन करवाएं और अपने बच्चे की संपूर्ण सुरक्षा करें।
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उम्मीद करते हैं कि आपको छोटे बच्चों के लिए वैक्सिनेशन (Vaccination for Babies) संबंधित यह आर्टिकल पसंद आया होगा और अगर छोटे बच्चे बिना वैक्सिनेशन के रह जाते तो उन्हें किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है इससे संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।