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मल्लिका शेरावत से जानें उनके पॉजिटिव पेरेंटिंग टिप्स

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Shikha Patel द्वारा लिखित · अपडेटेड 30/09/2021

    मल्लिका शेरावत से जानें उनके पॉजिटिव पेरेंटिंग टिप्स

    बॉलीवुड एक्ट्रेस मल्लिका शेरावत भले ही फिल्मी दुनिया में आजकल नजर न आ रही हो लेकिन, सोशल मीडिया पर वे काफी एक्टिव रहती हैं। अक्सर मल्लिका शेरावत के सोशल मीडिया अकाउंट्स पर उनके भतीजे के साथ बिताए गए पलों की तस्वीरें नजर आती हैं। वह अपने भतीजे के साथ हमेशा घूमती-फिरती स्पॉट होती हैं। मल्लिका शेरावत का इंस्टा पेज भी उनके भतीजे रनशेर लांबा की फोटोज से भरा है।

    मल्लिका शेरावत का कहना है कि “एक बच्चे की परवरिश करना कोई आसान काम नहीं है। उनका मानना है कि दुनिया भर की जिम्मेदारियों से कहीं ज्यादा बड़ी रिस्पॉन्सबिलिटी है एक बच्चे को पालना।”

    रनशेर ही मेरा बच्चा

    एक पब्लिकेशन हाउस से बात करते हुए, मल्लिका शेरावत ने कहा, “मेरा बच्चा नहीं है, इसलिए रनशेर ही मेरे बच्चे की तरह है। मैं उसके साथ ट्रेवल करती हूं, खेलती हूं और उसके साथ बिताए गए हर पल को एंजॉय करती हूं।”

    मल्लिका शेरावत कोई पहली ऐसी इंसान नहीं हैं जो अपने भतीजे या भतीजी से इतना प्यार करती हों। आम जिंदगी में भी बहुत से ऐसे लोग हैं जो खुद के बच्चे नहीं चाहते हैं और अपने भतीजों और भतीजी के माध्यम से ही पेरेंटिंग को पूरा करते हैं। मल्लिका आगे कहती हैं, “अपने भतीजे की न तो उन्हें नैप्पी बदलनी पड़ती है और ना ही उसके नखरे सहने पड़ते हैं।

    जब मल्लिका शेरावत से पूछा गया कि क्या वे खुद के बच्चे नहीं चाहती हैं? इस पर मल्लिका शेरावत का कहती हैं कि “यह बहुत ज्यादा जिम्मेदारी का काम है जो मैं अभी नहीं चाहती हूं। एक बच्चे की जिम्मेदारी उठाना बहुत बड़ा काम है और अभी मैं इस जिम्मेदारी के लिए तैयार नहीं हूं। अभी मैं कहीं भी कभी भी सूटकेस उठाकर चल देती हूं। अगर अभी मेरा बेबी होता तो मुझे हर समय बच्चे के बारे में सोचना पड़ेगा।” एक महिला को भी तभी बच्चे के बारे में सोचना चाहिए, जब वह मेंटली और फिजिकली पूरी तरह तैयार हो।”

    आजकल मल्लिका शेरावत जैसी ही कई ऐसी महिलाएं हैं जो लेट प्रेग्नेंसी प्लान कर रहीं हैं। लेकिन, जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है महिलाओं की प्राकृतिक प्रजनन शक्ति में कमी आती है। 35 के बाद गर्भावस्था के लिए हेल्दी लाइफस्टाइल और उचित देखभाल से एक स्वस्थ्य प्रेग्नेंसी और स्वस्थ शिशु की उम्मीद की जा सकती है।

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    पॉजिटिव पेरेंटिंग के 8 खास टिप्स (8 special tips for positive parenting)

    1. अपेक्षाओं को पूर्व निर्धारित करें

    कई बार बच्चों से अपेक्षाएं भी उनकी सफलता और लक्ष्य को प्राप्त करने में पॉजिटिव पैरेंटिंग मददगार साबित हो सकती हैं, क्योंकि इससे बच्चों को पता होता है कि आपकी उनसे क्या अपेक्षा है। ऐसा करना उनके अंदर प्रोत्साहन के साथ अनुशासन की भावना भी बनाने में मददगार है। हां, बस एक बात का ख्याल रखें कि बच्चों से आपकी अपेक्षा वास्तविक हो।

    2. पॉजिटिव पेरेंटिंग टिप्स (Positive Parenting tips): बच्चों के सामने नकारात्मक शब्दों का प्रयोग न करें

    जरूरी नहीं है कि बच्चे की हर जरूरत को पूरी किया जाए। कई बार आपको बच्चों को कई चीज़ों के लिए मना भी करना पड़ता है। लेकिन, कई बार उन्हें सीधा न शब्द बोलने पर इसका बच्चे पर नकारात्मक प्रभाव भी पड़ सकता है। इससे वह और भी ज्यादा जिद्दी बन सकते हैं। इसलिए जब भी उन्हें कभी न कहना हो, तो कोशिश करें की आप उन्हें उसकी वजह भी बेहतर तरीके से समझाएं। अगर मुमकिन हो तो उन्हें बेहतर विकल्प का सुझाव भी दें।

    3. सही और गलत में फर्क करना समझाएं (Positive Parenting tips)

    बच्चों को आप जिस काम को करने से रोकते हैं, वह उतना ही उसकी तरफ आकर्षित होते हैं। इसी के साथ उनका स्वाभाव भी जिद्दी हो जाता है। इसलिए बच्चों को आर्डर देनें की जगह, उन्हें सही और गलत में फर्क करना समझाएं, ताकि उन्हें सही निर्णय लेना में मदद मिले। कई जगह, उन्हें खुद ही फैसले लेनें दें।

    4. बच्चे की परवरिश की जिम्मेदारी उठाएं

    बच्चों की बेहतर परवरिश के लिए उन्हें अपना समय देना बेहद महत्त्त्वपूर्ण है। इसलिए उनके साथ अधिक समय बिताने की कोशिश करें। उनके दोस्तों से मिलें, उनके परिवेश को जानें, जिनके साथ वह दिन-रात उठते बैठते हैं। बच्चों से उनके लक्ष्य के बारे में भी बात करें। उन्हें यह भरोसा दिलाएं के वो उस लक्ष्य को पा सकते हैं।

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    5. पॉजिटिव पेरेंटिंग (Positive Parenting) टिप्स: बच्चों के ​साथ अधिक से अधिक समय व्यतीत करें

    पॉजिटिव पेरेंटिंग

    बच्चे जितना शब्दों से नहीं सीखते हैं, उससे ज्यादा वह जो देखते हैं, उससे सीखते हैं। इसलिए अपने बच्चों के लिए खुद एक आदर्श उदहारण बनाएं। इसके लिए आप स्वस्थ खाएं, व्यायाम करें, पढ़ें, अपनें समुदाय में सक्रिय रहें। अपने परिवार और साथियों के साथ सम्मानजनक और दयालु संबंध रखें।

    6. बच्चे को विभिन्न सामाजिक दृष्टिकोण भी समझाएं

    सामाजिक होना या बनना एक ऐसा मुद्दा है जिसके बारे में शायद ही पेरेंट्स अपने बच्चे से बात करते होंगे। क्योंकि, अक्सर उन्हें इस तरह के मसलों पर बच्चे से बात करना जायज नहीं लगता है। समय-समय पर अपने बच्चे से सामाजिक बातों के बारे में भी बात करें। ताकि, आपका बच्चा सही और गलत के दृष्टिकोण में अंतर कर पाने की सोच विकसित कर सके।

    7. थोड़ी आर्थिक समझ भी सिखाएं

    हर पेरेंट्स अपने बच्चे की सभी इच्छाएं पूरी करने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं। हालांकि, अगर आपको भविष्य में अपने बच्चे को फिजूलखर्ची से दूर रखना है, तो बेहतर होगा कि बचपन से ही इस बात पर ध्यान दें। बच्चे को पैसे की बचत के महत्व के बारे में बताएं। उसे किस तरह के वस्तुओं पर पैसा खर्च करने के लिए महत्वता देनी चाहिए इस बारे में भी उसे समझाएं।

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    8. किसी भी चाह को पूरी करने की प्रबल इच्छा जगाएं

    हर कोई जीवन में सफल होने के लिए कई तरह के ख्वाब देखता है। लेकिन, हर ख्वाब को पूरा करने की राह कठिनाई भरी हो सकती है। ऐसे में आपके बच्चे का मनोबल न टूटे उसे बचपन से ही इसके लिए प्रेरित करें। उसे समझाएं कि, एक राह के बंद होने पर किसी तरह वे अपने लिए दूसरे, तीसरे फिर अन्य रास्तों के विकल्प भी खुद से बना सकते हैं।

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    बच्चे की अच्छी परवरिश के दौरान किस तरह की गलतियों को करने से बचना चाहिए?

    बच्चे की अच्छी परवरिश के दौरान आपको निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए, जैसेः

    दूसरे बच्चों से उनकी तुलना न करें

    जिस तरह हर व्यक्ति कद-काठी और व्यवहार में अलग-अलग हो सकता है, उसी तरह हर बच्चे का दिमाग भी अलग-अलग तरह से कार्य कर सकता है। हो सकता है कि आपके पड़ोसी या अन्य किसी का बच्चा जो आपके बच्चे से उम्र में छोटा है, वह पढ़ाई में आपके बच्चे से ज्यादा तेज हो सकता है। इसके लिए कभी भी उस बच्चे से अपने बच्चे की तुलना न करें। न ही कभी उसे पढ़ाई में दूसरे बच्चों से कमजोर होने पर डांटे-मारे। ऐसा करने से आप न सिर्फ बच्चे का मनोबल तोड़ सकते हैं, बल्कि बच्चे के मन में आपके प्रति डर बैठ सकता है। यही नहीं, आपके इस तरह के व्यवहार का प्रभाव बच्चे के भविष्य को भी प्रभावित कर सकता है।

    बच्चे की हर जिद पूरी नहीं की जा सकती

    छोटे बच्चे अक्सर बहुत जिद्दी हो सकते हैं। लेकिन, उनकी हर जिद पूरी नहीं की जा सकती है। इस बात को आप अपने बच्चे को समझाएं और उन्हें बताएं कि उनकी जिद करने की आदत किसी तरह से उनके लिए हानिकारक हो सकती है।

    पॉजिटिव पेरेंटिंग के जरिए आप बच्चें की नींव मजबूत करने के साथ ही उन्हें एक काबिल इंसान बना सकते हैं।

    डिस्क्लेमर

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