सबसे पहले आप बच्चे को भविष्य में जिस पढ़ाई के लिए भेजना चाहते हैं, उसके मौजूदा खर्च का अनुमान लगाएं। इसके बाद सालाना महंगाई की दर 10 फीसदी मान लें। फिर बच्चा जितने साल बाद उस कोर्स के लिए पढ़ने जा सकता है उसका हिसाब लगायें। मसलन, IIT दिल्ली से इंजीनियरिंग करने की सालाना फीस इस समय तीन लाख रुपये है। इसमें कैंपस में रहने का खर्च, हॉस्टल की फीस, मेस चार्ज आदि शामिल हैं। इस हिसाब से चार साल की फीस 12 लाख रुपये है। अगर आप 15 साल बाद इस खर्च को देखें तो यह 50 लाख रुपये आएगा। इसी तरह अगर इस समय मेडिकल की पढ़ाई का खर्च 20 लाख रुपये है तो 15 साल बाद आपको इस कोर्स के लिए 83.5 लाख रुपये की जरूरत पड़ेगी। अगर आप सही गणना कर सके तो इसके बाद आपको यह तय करने की जरूरत है कि आप निवेश के किस विकल्प में इतना रिटर्न कमा सकेंगे जिससे कि कम से कम निवेश में आप इस रकम को पूरा कर सकें। यह ध्यान रखें कि आप जितनी जल्दी निवेश की शुरुआत करेंगे, आपको फंड जुटाने में उतनी ही सुविधा होगी।
फाइनेंशियल प्लानिंग : कहां करें निवेश?
आप फंड जुटा पायेंगे या नहीं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपने निवेश के लिए किन विकल्पों को चुना है। ग्रोथ या डिफेंसिव, ये दोनों निवेश करने के मुख्य तरीके हैं। आम तौर पर निवेश की लंबी अवधि के लिए वित्तीय सलाहकार ग्रोथ ऑप्शन में इन्वेस्ट करने की सलाह देते हैं।इनमें शेयर, इक्विटी म्यूचुअल फंड और इस जैसे विकल्प शामिल हैं। फिक्स्ड डिपाजिट (FD), PPF या EPF जैसे निवेश डिफेंसिव कहे जाते हैं। इनमें आपकी पूंजी तो सुरक्षित रहती है, लेकिन आपको मनमाफिक रिटर्न नहीं मिल पाता है. कई बार तो निवेश के इन विकल्पों से आपको महंगाई की तुलना में भी कम रिटर्न मिलता है।
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और किन खर्चों पर देना चाहिए ध्यान?
अगर आप बच्चे के उच्च शिक्षा के लिए निवेश कर रहे हैं तो आपको कोर्स की फीस के अलावा किताब, आने-जाने, कोचिंग आदि के खर्च को भी इसमें शामिल करने की जरूरत है। कुछ मामलों में तो कोचिंग का खर्च कोर्स की फीस से अधिक हो सकता है। निवेश के विकल्प बच्चे की उम्र के हिसाब से तय किया जाना चाहिए। अगर बच्चा इस समय स्कूल में जाने की तैयारियों में जुटा है तो आप निवेश के लिए एग्रेसिव प्लान बना सकते हैं। अगर आपका बच्चा दसवीं में पढ़ रहा है तो आपको जोखिम वाला निवेश विकल्प नहीं चुनना चाहिए।