अगर माता-पिता अपने बच्चों के साथ इसलिए सोते हैं क्योंकि उन्हे लगता है ऐसे सोने से उन्हें जल्दी नींद आएगी, तो अभी देर नहीं हुई है। को-स्लीपिंग अच्छी आदत है लेकिन, सिर्फ जब आपका बच्चा भी यही चाहता हो। उसकी मर्जी के बिना ये करना उसे गुस्सैल और चिड़चिड़ा बना सकता है। इसलिए यह पता लगाएं कि आपका बच्चा क्या चाहता है और उसी अनुसार उसका ध्यान रखें।
पढ़ाई पर नहीं पड़ता कोई असर
को-स्लीप के बारे में अफवाहे हैं, कि जो बच्चें अपने माता-पिता के साथ सोते है, वो पढ़ने में कमजोर होते हैं। हालांकि, अलग-अलग रिसर्च से पता चलता है कि यह अफवाहें गलत हैं। एक पेरेंटिंग मैगजीन ने अपने शोध में कहा है कि माता-पिता का बच्चों के साथ सोना (Sleeping with kids) उनकी पढ़ाई या दूसरी सामाजिक स्किल पर कोई निगेटिव असर नहीं डालता।
हमेशा सोते समय माता-पिता के साथ रहने से बच्चों में मजबूत “स्लीप ऑनसेट एसोसिएशन” की परेशानी हो सकती है, जिसे स्लीप क्रच (sleep crutch) या स्लीप प्रॉप (sleep prop) भी कहा जाता है, जिसका मतलब है कि ऐसी कोई आदत, जिसके बिना आपके बच्चे का काम नहीं चलता।
उम्मीद करते हैं कि बच्चों के साथ सोने (Sleeping with kids) से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।