चिल्लाकर बात न करें
बच्चों को बड़ों से गलत काम करने पर डांट पड़ती है, तो बच्चों को कई बार लग सकता है कि अगर वो भी बड़ों को डांट सकते हैं या फिर चिल्लाकर बात कर सकते हैं। आपको बच्चे को समझाना होगा कि अगर वो गलती करते हैं, तो पेरेंट्स डांट सकते हैं लेकिन उनको अपनी गलती एक्सेप्ट करनी चाहिए न कि पेरेंट्स से चिल्लाकर बात करनी चाहिए। बच्चों को हमेशा प्यार से ट्रीट करें और बच्चों के गलती करने पर उन्हें समझाएं भी। पेरेंट्स भी कोशिश करें कि बच्चे से चिल्लाकर बात बिल्कुल न करें वरना उनको लगेगा कि चिल्लाकर बात करना गलत नहीं होता है।
बच्चों में संस्कार (Culture in children) उनके माता-पिता से आते हैं। कई बार वो बिना सिखाएं वो फॉलों करते हैं जो उनके माता-पिता करते हैं। ऐसे में आप का व्यवहार बच्चों पर गहरा असर डालता है। अगर आप बच्चों के सामने हर वो चीज करते हैं जो आप उनमें देखना चाहते हैं तो बच्चा वैसे भी गलत नहीं करता। बच्चों में संस्कार डालने का सबसे आसान तरीका है कि आप बच्चों के सामन वहीं व्यवहार पेश करें जो आप उनके अंदर देखना चाहते हैं। बच्चों में संस्कार डालने की कोई उम्र नहीं होती लेकिन ऐसा माना जाता है कि बच्चों को बचपन से ही सही व्यवहार में ढ़ालना माता-पिता के लिए बेहतर होता है।
हैलो हेल्थ किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार उपलब्ध नहीं कराता। इस आर्टिकल में हमने आपको बच्चों में संस्कार (Culture in children) के संबंध में जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्सर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंग।