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बच्चों को यूं सिखाएं संस्कार, भविष्य में बनेंगे जिम्मेदार!

के द्वारा एक्स्पर्टली रिव्यूड डॉ. अभिषेक कानडे · आयुर्वेदा · Hello Swasthya


Nidhi Sinha द्वारा लिखित · अपडेटेड 30/06/2022

    बच्चों को यूं सिखाएं संस्कार, भविष्य में बनेंगे जिम्मेदार!

    आज के आधुनिक दौर में अलग-अलग कारणों से बच्चों में संस्कारों (Culture in children) यानि कि अच्छी आदतों की कमी देखने को मिलती है। इसकी वजह पता लगाना मुश्किल है कि बच्चे ऐसा क्यों हो रहा है। बच्चों में संस्कार उनके माता-पिता से आते हैं और यह संस्कार उनके अंदर बचपन से ही डाले जाते हैं। अगर आपकों लगता है कि आपके बच्चे में संस्कार की कमी है, तो आपको इस पर ध्यान देना होगा। बच्चों के पहले टीचर उनके मां-बाप होते हैं और बच्चों में संस्कार (Culture in children) के लिए भी मां-बाप ही जिम्मेदार होते हैं। बच्चों में संस्कार डालना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि दूसरों के सामने यह आपके दिए हुए संस्कार ही दिखाते हैं।

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    यहां हम आपको बच्चों में संस्कार (Culture in children) यानि की अच्छी आदतों के लिए कुछ जरुरी टिप्स बता रहे हैं, जिनका ध्यान माता-पिता को रखना चाहिएः

    बच्चों में संस्कार (Culture in children):  गलती करने पर रोकें

    बच्चों को अपने माता-पिता घर अन्य सदस्यों  को उनके नाम से नहीं बुलाना चाहिए। बच्चों में संस्कार (Culture in children) या बच्चों में कल्चर का यह पहला स्टेप है जहां आप बच्चों को बड़ों को नाम से बुलाने से रोकते हैं। बच्चे तो बच्चे इसमें टॉडलर्स भी शामिल हैं क्योंकि बचपन में जब वे ऐसा करते हैं तो हमें प्यारे लगते है लेकिन बड़े होने पर ये उनकी आदत बन जाती है। जब वो पहली बार बोले तभी टॉडलर्स को उनके माता पिता द्वारा टोकना चाहिए क्योंकि बाद में इस आदत को बदलना मुश्किल हो जाता है। उनकी इस तरह की आदत पर जब हम हंसते हैं, तो वे अपने व्यवहार को बदलने की बजाय उसको जारी रखते हैं। जब वे बड़े हो जाते हैं तब नए नियम बनाना मुश्किल हो जाता है और हम उनके व्यवहार पर सिर्फ अफसोस जता सकते हैं। बच्चों में संस्कार (Culture in children)आपको शुरू से डालना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि बड़े होने पर आप उनकी आदतों पर पछता ही सकते हैं।

    बच्चों में संस्कार डालें कि वह बड़ों से पूछें

    बच्चों को माता-पिता की निर्धारित सीट पर बैठने से पहले परमिशन लेनी चाहिए। जैसे कि किचन या डाइनिंग रुम में माता-पिता की निर्धारित सीट पर बच्चे को बैठने से पहले बच्चों को माता-पिता से पूछने की आदत डालनी चाहिए। अगर बच्चा कंप्यूटर पर बैठा है और माता-पिता खड़ें होकर काम कर रहे हैं, तो बच्चे को कुर्सी पर बैठने के लिए पूछना चाहिए। बच्चों में संस्कार (Culture in children) या बच्चों में कल्चर डालें कि वह खुद बैठने से पहले बड़ों को कुर्सी पर बैठने के लिए पूछें। बचपन से ही बच्चों में संस्कार (Culture in children) डालें की वो अपने से बड़ों से पूछें। किसी भी काम को करने से पहले बड़ों से पूछना बड़ों को ऐसा महसूस करवाता है कि बच्चा उनके बारे में सोच रहा। इसलिए बच्चों में संस्कार डालें कि बच्चा खाने से पहले, कहीं बैठने से पहले या काम करने से पहले बड़ों से सलाह जरूर लें। ये आदत बच्चों के लिए हमेशा काम आती है।

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    बड़ों की इज्जत करना भी सिखाएं

    बच्चों को सम्मान के साथ अनुरोध करना सिखाया जाना चाहिए। इसका मतलब यह नहीं है कि उनकी हर इच्छाओं को परमिशन दी जाएगी। बच्चों को यह पता होना चाहिए कि जब आप उनको मना करते हैं तो वह आपका फैसला है। उनके रोने, चिल्लाने और पैर पटकने जैसी हरकतों से आपका फैसला नहीं बदलेगा। यह अपमानजनक और अस्वीकार्य है। अगर आपका बच्चा सम्मानपूर्वक नहीं पूछ सकता तो निश्चित रूप से उसके अनुरोध पर विचार करने का कोई मतलब नहीं है। अपने बच्चे को उदाहरण दें कि आप उससे कैसे बोलने की उम्मीद करते हैं। अक्सर हम यह महसूस नहीं कर पाते कि हमारे बच्चों के व्यवहार में कहीं ना कहीं हमारी गलती है। उनके व्यवहार से परेशान होने की जगह उसको बदलने पर काम करें। जब आप बचपन में बच्चों में संस्कार (Culture in children) या बच्चों में कल्चर की बात करते हैं तो उन्हें बड़ों की इज्जत करना भी सिखाएं।

    बच्चों में संस्कार दें कि बड़ों का पर्स छूना है गलत

    बच्चों के लिए अपने माता-पिता की जेब और उनके पैसों को छूना गलत है। उनके अंदर से इस धारणा को निकाल दें कि मां बाप के पैसे उनके हैं और जरूरत पड़ने पर वह कभी भी उनसे पूछे बिना पैसे ले सकते हैं। बिना परमिशनअपने माता-पिता के कपड़े पहनना और उनका सामान छूना भी गलत है। ऐसा करना बच्चों के अंदर संस्कार की कमी दिखाता है। कई बार आपके बहुत अधिक फ्रेंडली व्यवहार से बच्चे कुछ चीजें नहीं समझते जैसे वह मां-बाप के पर्स को अपना समझने लगते हैं। ऐसे में जब बच्चे पहली बार ही आपका पर्स या कोई भी जरूरी चीज छूएं तो आप उन्हें बताएं कि ऐसा करना गलत ह। माता-पिता का पर्स छूना बच्चे के लिए हर उम्र में गलत होता है। ऐसे में बच्चों में संस्कार (Culture in children) या बच्चों में कल्चर डालें कि वो ऐसा कुछ ना करें।

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    अपने साथ-साथ दूसरों के लिए भी सोचना सिखाएं

    बच्चों को प्रोत्साहित करें कि अपने लिए कुछ काम करते हुए वे दूसरे के बारे में भी सोचें। जब एक बच्चा चाय पीता है तो उसे यह पूछना सिखाया जाना चाहिए कि क्या आप भी चाय लेना पसंद करेंगे। जब बच्चे आइसक्रीम, पिज्जा या बाहर खाने जाते हैं तो अपने माता-पिता को भी पूछें कि क्या वो भी कुछ खाना-पीना पसंद करेंगे। हम अपने बच्चों को संवेदनशील और दूसरों का सम्मान करने वाला बना सकते हैं।

    चिल्लाकर बात न करें

    बच्चों को बड़ों से गलत काम करने पर डांट पड़ती है, तो बच्चों को कई बार लग सकता है कि अगर वो भी बड़ों को डांट सकते हैं या फिर चिल्लाकर बात कर सकते हैं। आपको बच्चे को समझाना होगा कि अगर वो गलती करते हैं, तो पेरेंट्स डांट सकते हैं लेकिन उनको अपनी गलती एक्सेप्ट करनी चाहिए न कि पेरेंट्स से चिल्लाकर बात करनी चाहिए। बच्चों को हमेशा प्यार से ट्रीट करें और बच्चों के गलती करने पर उन्हें समझाएं भी। पेरेंट्स भी कोशिश करें कि बच्चे से चिल्लाकर बात बिल्कुल न करें वरना उनको लगेगा कि चिल्लाकर बात करना गलत नहीं होता है।

    बच्चों में संस्कार (Culture in children) उनके माता-पिता से आते हैं। कई बार वो बिना सिखाएं वो फॉलों करते हैं जो उनके माता-पिता करते हैं। ऐसे में आप का व्यवहार बच्चों पर गहरा असर डालता है। अगर आप बच्चों के सामने हर वो चीज करते हैं जो आप उनमें देखना चाहते हैं तो बच्चा वैसे भी गलत नहीं करता। बच्चों में संस्कार डालने का सबसे आसान तरीका है कि आप बच्चों के सामन वहीं व्यवहार पेश करें जो आप उनके अंदर देखना चाहते हैं। बच्चों में संस्कार डालने की कोई उम्र नहीं होती लेकिन ऐसा माना जाता है कि बच्चों को बचपन से ही सही व्यवहार में ढ़ालना माता-पिता के लिए बेहतर होता है।

    हैलो हेल्थ किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार उपलब्ध नहीं कराता। इस आर्टिकल में हमने आपको बच्चों में संस्कार (Culture in children) के संबंध में जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्सर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंग।

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