backup og meta

स्कूल में बच्चे की सेफ्टी का इन आसान टिप्स से रखें ध्यान

के द्वारा एक्स्पर्टली रिव्यूड डॉ. अभिषेक कानडे · आयुर्वेदा · Hello Swasthya


Nikhil Kumar द्वारा लिखित · अपडेटेड 30/09/2021

    स्कूल में बच्चे की सेफ्टी का इन आसान टिप्स से रखें ध्यान

    अपने बच्चों को हर सुबह स्कूल भेजते समय माता-पिता उसके अच्छे भविष्य का सपना संजोते हैं। बच्चों को स्कूल-बस पर चढ़ाते हुए उन्हें ये भरोसा होता है कि उनका बच्चा उस जगह जा रहा है, जहां वे घर की तरह सुरक्षित है। अमूमन पेरेंट्स स्कूल में बच्चे की सेफ्टी को लेकर आश्वस्त होते हैं।

    लेकिन, स्कूल में बच्चों के लेकर कई ऐसी घटनाएं सामने आई हैं, जोकि स्कूल में बच्चे की सेफ्टी को लेकर सवाल खड़े कर रही हैं। बच्चे को स्कूल छोड़ने के बाद माता-पिता का ध्यान अपने काम से ज्यादा अपने बच्चों की सुरक्षा पर रहता है। गुडगांव के रेयान इंटरनेशनल स्कूल में सात साल के बच्चे की विभत्स हत्या सहित कई घटनाओं ने अभिभावकों को स्कूलों में अपने बच्चे की सुरक्षा के लिए चिंतित होने पर मजबूर कर दिया है।

    यह भी पढ़ें : बच्चे की नाखून खाने की आदत कैसे छुड़ाएं

    स्कूल में बच्चे की सेफ्टी का कैसे रखें ध्यान?

    स्कूल के बारे में खुलकर कर बात करें

    बच्चों से स्कूल में होने वाली गतिविधियों के बारे में पूछें। उनके दोस्त और टीचर्स के बारे में वह क्या सोचते हैं, यह राय जानने की कोशिश करें। बच्चों को उसके शरीर के अंगों के बारे में खुलकर बताएं। ‘गुड टच’ और ‘बैड टच’ के बारे में जानकारी दें। शरीर के कुछ प्राइवेट पार्टस हैं, जिन्हें कोई और नहीं छू सकता यह बताएं। टीवी देखते समय किसी प्रकार के एडल्ट्री दृश्य आने पर टीवी बंद करने की बजाए उन्हें वह दिखाएं और उनके पूछे गए सवालों का सही जवाब दें। इससे उन्हें ‘गुड टच’ और ‘बैड टच’ का सही ज्ञान होता है। ऐसा करने से आप स्कूल में बच्चे की सेफ्टी को पुख्ता कर सकेंगे।

    वेबसाइट को फॉलो करते रहें

    हाल-फिलहाल में घटित हुई घटनाओं पर एक्शन लेते हुए सीबीएसई ने स्कूल में बच्चे की सेफ्टी को लेकर स्कूलों के लिए कई गाइडलाइन जारी किए हैं। इसमें समय-समय पर स्कूलों की सुरक्षा का निरक्षण, पुलिस वेरिफिकेशन करना शामिल है। इसके अलावा शिक्षकों और अभिभावकों का एक पैनल बनाने की भी सभी स्कूल्स को निर्देश दिए हैं।

    यह भी पढ़ें : बच्चे के विकास के लिए जरूरी है अर्ली चाइल्डहुड एज्युकेशन

    दूसरे बच्चों के अभिभावकों से बात करते रहें

    बच्चों के साथ स्कूल में होने वाले व्यवहार को जानने के लिए आप अपने बच्चे के साथ पढ़ने वाले अन्य छात्रों के अभिभावकों से भी विचार कर सकते हैं। हो सकता है आपका बच्चा कुछ न बता रहा हो, लेकिन दूसरे बच्चे अपने माता-पिता से किसी घटना का जिक्र किए हों। इससे स्कूल में बच्चे की सेफ्टी को आप और ज्यादा सही तरीके से कर सकते हैं। 

    स्कूल में किसी को विश्वसनीय स्रोत बनाएं

    आधे पहर से अधिक समय तक बच्चा आपका घर से दूर रहता है। यह आपके बच्चों के साथ होने वाले व्यवहार को आपसे शेयर कर सकता है। आप ऐसे लोगों की लिस्ट बनाएं और उनसे संपर्क स्थापित करें। आप खुद भी उसे क्लास-रूम के बाहर बच्चों पर ध्यान रखने के लिए आग्रह कर सकते हैं, यह बच्चों की सुरक्षा को लेकर आपको थोड़ी राहत दे सकती है।

    यह भी पढ़ें : 

    स्कूल में बच्चे की सेफ्टी तकनीकी मानकों से करें पूरा

    स्कूल में बच्चे की सेफ्टी के लिए अब कई नई टेक्नोलॉजी आ गई है जिसकी मदद से स्कूल बसों से बच्चों के लाने, ले जाने का रियल टाइम स्टेटस पता चल जाता है। इसके द्वारा बच्चे के मूवमेंट पर भी नजर रखना आसान हो गया है। आप अपने स्मार्टफोन में एक एप के जरिए बच्चा कहां से बस पर चढ़ा और कहां उतरा तक की खबर रख सकते हैं।

    यह भी पढ़ें : जानें बच्चे में होने वाली आयरन की कमी को कैसे पूरा करें

    जब बच्चे स्कूल आते हैं तो उसके मन में डर होता है कि स्कूल में अध्यापक मारेंगे और वे बोलने में संकोच करते हैं। अतः जब कभी जरूरत पड़े बच्चों से यह बात करना चाहिए कि उसे स्कूल में कौन टीचर अधिक पसंद है और कौन कम। साथ ही इसके कारण को जानने की कोशिश करें।

    स्कूल में बच्चे की सेफ्टी को लेकर आप अन्य निम्न बातों का भी ध्यान रख सकते हैं :

    स्कूल में कहीं अकेले जाए तो रोकें

    स्कूल से जुड़ी बातों में बच्चों को बताएं कि स्कूल में कहीं जाना हो तो अकेले नहीं जाएं। साथ ही उन्हें यह भी बताएं कि अगर उन्हें बाथरूम या किसी दूसरे क्लास में जाना हो तो अपने फ्रेंड्स में से किसी को साथ ले लें। बच्चों को समझाएं कि वो कहीं अकेले जाने के बजाए टीचर से रिक्वेस्ट कर सकते हैं कि उनके साथ किसी स्टाफ को भेज दें।

    स्कूल में बच्चे की सेफ्टी के लिए बच्चे को करें सतर्क

    बच्चों का एक बड़ा समय स्कूल बस और स्कूल कैंपस में बीतता है। इतनी देर तक घर से दूर बच्चे की चिंता होती रहती है। बच्चा कभी भी स्कूल से जुड़ी संदेहास्पद स्थिति की जिक्र करे तो उन्हें बताएं कि ऐसी स्थिति दोबारा हो तो टीचर से बताएं।

    यह भी पढ़ें : जानें पॉजिटिव पेरेंटिंग के कुछ खास टिप्स

    बच्चे को साफ-सफाई की जानकारी दें

    आप अपने बच्‍चे को स्कूल में पर्सनल हाइजीन की सीख जरूर दें। अगर बच्चा स्‍कूल में है तो उसके पास आप बार-बार नैप्पी जांच करने के लिए आप नहीं होंगे। आप बच्‍चे को सिखाएं कि अगर टॉयलेट आए बताए, टॉयलेट सीट पर बैठना, शौच का सही तरीका, शौच के बाद अपने हाथ-पैर की सफाई रखना।

    स्कूल में बच्चे की सेफ्टी के लिए नॉन-टीचिंग स्टाफ से दूर रहने को कहें

    अपने बच्चों को स्कूल के नॉन-टीचिंग स्टाफ जैसे – बस ड्राइवर, कंडक्टर, या माली और चपरासी से नजदीकी बढ़ाकर कर न रखने को कहें। इससे बच्चों पर गलत प्रभाव पड़ता है और भटकाव होने की संभावना हो जाती है।

    बच्चे को असभ्य न बनने दें

    कई बार मां-बाप बच्‍चे की गलती पर प्यार से हंस कर उसे टाल देतें हैं। आगे परिणाम यह होता है कि बच्‍चे को इसकी आदत लग जाती है और वह अभद्र होता चला जाता है। जैसे आप अपने बच्‍चे को बड़ों का आदर करना, आप करके बात करना सिखाएं, प्‍लीज, थैंक्‍यू और सॉरी जैसी कम्युनिकेशन स्किल्स के बेसिक बातें सिखाएं। जिससे कि वह स्‍कूल में अकेलापन महसूस न करे और दोस्‍त बना ले।

    यह भी पढ़ें: जानें बच्चे में होने वाली आयरन की कमी को कैसे पूरा करें

    बच्चे में पनिशमेंट का है डर तो बात करें

    कई बार बच्चे स्कूल में पनिशमेंट के डर की वजह से घबराए रहते हैं। घर पर भी इसका असर देखने को मिलता है। वह थोड़े उदास दिखते हैं, पढ़ाई में मन नहीं लगा पाते। स्कूल जाने में कतराते है। अगर ऐसा है तो बच्चों से बात करके इसका कारण पूछें। इसकी वजह जानकर उसका हल निकालें और बच्चों के अंदर से पनिशमेंट का डर को भगाएं।

    और पढ़ें : 

    एआरएफआईडी (ARFID) के कारण बच्चों में हो सकती है आयरन की कमी

    पिकी ईटिंग से बचाने के लिए बच्चों को नए फूड टेस्ट कराना है जरूरी

    बच्चों को खड़े होना सीखाना है, तो कपड़ों का भी रखें ध्यान

    बच्चों में फूड एलर्जी का कारण कहीं उनका पसंदीदा पीनट बटर तो नहीं

    डिस्क्लेमर

    हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

    के द्वारा एक्स्पर्टली रिव्यूड

    डॉ. अभिषेक कानडे

    आयुर्वेदा · Hello Swasthya


    Nikhil Kumar द्वारा लिखित · अपडेटेड 30/09/2021

    advertisement iconadvertisement

    Was this article helpful?

    advertisement iconadvertisement
    advertisement iconadvertisement