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अगर बच्चे का क्लास में कोई दोस्त नहीं है, तो अपनाएं ये टिप्स

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Nikhil Kumar द्वारा लिखित · अपडेटेड 06/07/2021

    अगर बच्चे का क्लास में कोई दोस्त नहीं है, तो अपनाएं ये टिप्स

    दोस्ती, एक ऐसा शब्द जो, हर इंसान के लिए स्वार्थहीन जरूरत की तरह है। जब दो इंसान कोई रिश्ता ना होते हुए भी एक-दूसरे के प्रति सच्ची आत्मीयता से भरे होते हैं, तब उस संबंध को हम दोस्त कहते हैं। जीवन में सब कुछ दोस्त के इर्द-गिर्द होता है। जब बच्चे स्कूल जाने की आदत डाल चुके होते हैं, तो कई बार उन्हें कहते हुए सुना होगा कि, मेरा स्कूल में दोस्त (Friends in school)  बहुत अच्छा है, लेकिन, सोचिए कि यदि वे स्कूल जाएं और वहां उसका कोई दोस्त न हो। ये विषय कई बच्चों के लिए तनाव (Tension) का कारण भी होता है।

    कई बार स्कूल में दोस्त (School friends) बनाने में बहुत कठिनाई होती है। दोस्ती के बीच एक विश्वास का होना बहुत जरुरी है, तभी दोस्ती की नींव मजबूत हो पाती हैं। दोस्ती के रिश्ते के लिए सबसे जरूरी है कि पहले अपने बच्चों के अंदर कुछ आदतों को शामिल करने की कोशिश करें। जब बच्चों के स्कूल में दोस्त न हो, तो बतौर माता-पिता आपकी चिंता जायज है। लेकिन चिंता करने मात्र से भी कुछ बदलने वाला नहीं।

    पेरेंटिंग एक्सपर्ट डॉ. नीता ऐसे बच्चों के माता-पिता को सुझाव देती हैं कि  बच्चों को हमेशा सिखाते रहना चाहिए कि दोस्तों को दोस्तों को एक-दूसरे के कॉम्पिटिशन में नहीं आना चाहिए, बल्कि  दोस्ती को एंजॉय (Enjoy) करना चाहिए।

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    कुछ बच्चों को घुलने मिलने में बिल्कुल समय नहीं लगता, वहीं कुछ बच्चे बेहद शर्मीले होते हैं। यदि आपका बच्चा शर्मीला है तो इसमें कोई चिंता वाली बात नहीं है। हर बच्चा ग्रुप का लीडर बने ऐसा तो नहीं हो सकता है। इसलिए अपने बच्चे को जबरदस्ती लोगों से मिलने के लिए न कहें। डॉ. नीता कहती हैं, अपने बच्चे को दूसरे बच्चों के साथ घुलने मिलने के लिए अपने घर में प्लेडेट रखें। इस पार्टी में अपने बच्चे के पसंदीदा (Child’s favorite) गेम्स रखें। इससे बच्चे की एंग्जायटी (Anxiety) दूर होती है। हर बच्चा अलग होता है। यदि आपका बच्चा गेम्स में हिस्सा नहीं ले रहा है तो जिसके साथ वह सबसे ज्यादा समय बिताता है उसके साथ उसे गेम्स में शामिल होने के लिए कहें। शर्मीले बच्चों को थोड़ा समय दें। दो चार पार्टी के बाद आपको उनमें कुछ बदलाव दिखने लगेंगे। आप देखेंगे वो दोस्त बनाने लग गए हैं।

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    बच्चे के स्कूल में दोस्त बनवाने में काम आएंगे ये टिप्स

    यदि आपका बच्चे के स्कूल में दोस्त नहीं है व वो लेफ्ट आउट फील करता है तो अपने बच्चे को यह अहसास दिलाएं कि आप उसके लिए मौजूद हैं और हमेशा रहेंगे। जितना हो सके अपने बच्चे से बात करें व उसकी परेशानी को गहराई से जानने की कोशिश करें। इससे आपका बच्चा अपने दिल की बात शेयर करेगा और हल्का महसूस करेगा। अपने बच्चे को सुनने के साथ कई बार उसे प्यार से झप्पी दें। आइए जानते हैं जब बच्चे स्कूल में दोस्त बनाने में असफल हों तो करें उनकी मदद इस प्रकार करना चाहिए:

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    दूसरे बच्चों के साथ कैसे व्यवहार करना सिखाएं

    किसी को भी दोस्त बनाने के लिए बच्चों का व्यवहार बहुत मायने रखता है। कई बार स्कूल में बच्चे दूसरे बच्चों से कटे-कटे से रहने लगते हैं। उनकी क्लास के बाकी बच्चों से ठीक से बात नहीं हो पाते हैं। कई बार बच्चे का कुछ ज्यादा शर्मिला होना भी स्कूल में किसी का दोस्त न होने का  कारण बन जाती है। बच्चों को अपने व्यवहार में प्रेम बढ़ाने की व्यवहार को अपनाना चाहिए। सबके साथ प्यार से बात करना, किसी के साथ भी बुरा व्यवहार न करना, सभी को अपना दोस्त और एक जैसा समझना जैसी खूबियां खूबी बहुत कम लोगो में होती हैं। परंतु अच्छे दोस्त बनाने के लिए इस खूबी का होना बहुत जरूरी होता हैं। अगर आप यह चाहते हैं कि, आपके बच्चे अच्छे दोस्त पा सकें, उन्हें सबके साथ अच्छे से रहने और सबके बीच प्यार से रहने को प्रेरित करें।

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    बच्चों में कभी दूसरो के प्रति अभिमान न आने दें

    दोस्ती में बराबर की हिस्सेदारी बहुत मायने रखती है। कई बार बच्चों में साथ के बच्चों के प्रति एक अलग भावना आने लगती है। बड़ों के बीच भी जब अहम आता है, दोस्ती को संभाल पाना बहुत मुश्किल है। इस तरह के स्वभाव वाले बच्चों से क्लास के सदस्य बचने की कोशिश करता है। स्कूल में दोस्त न होने का यह एक प्रमुख कारण है। यदि आप चाह रहे हैं कि, आपका बच्चा स्कूल (School) में अकेला नहीं रहे तो बच्चों के व्यवहार को परखना शुरू कीजिये। कहीं आपका बच्चा बदला-बदला तो नहीं।

    अपने बच्चे को ऑब्जर्व करें और यह जानने की कोशिश करें कि उसे कैसे सोशल किया जाए

    एक्सपर्ट्स के अनुसार, अपने बच्चे को अटेंशन दें। देखें कि वह दूसरों से कैसे इंटरैक्ट (Intract) करता है। क्या वह कुछ अलग बिहेव करता है। अगर करता है तो क्यों? हो सकता है आपके बच्चे को किसी से बात करने में समय लगता है। आपके बच्चे को बहुत सारे लोगों को साथ देखकर एंग्जायटी हो सकती है। बच्चे के बिहेवियर को नोटिस करें और जो आपको कमी नजर आए उस पर काम करें। इस बात पर ध्यान दें कि आपको किन चीजों पर काम करना है, उनमें अपना योगदान दें। अपने आप पर भरोसा रखो। क्योंकि आप ही अपने बच्चे को सबसे अच्छे से जानते हो।

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    आपका बच्चा कहीं ऐसा तो नहीं करता

    सभी बच्चों की अपनी-अपनी जरूरतें होती हैं, जिसके लिए माता-पिता (Parents) हर संभव कोशिश करते हैं। कई बच्चे अपने पेरेंट्स से ऐसा प्यार पा कर थोड़े बिगड़ जाते हैं, तथा उन्हें दिखावटी व्यवहार करने की आदत लग जाती है। ऐसा होने से बच्चे को अपने बारे में बड़ाई करने से बहुत आनंद मिलता है। दूसरे बच्चों का मन भी यह सब भांप लेता है। आपके बच्चों की इस दिखावटीपन को देख उनके साथी दूर भागने लगते है। इसलिए बच्चों को सिखाएं कि जो उनके पास है, उसमें बहुत खामोशी से खुश रहने की आदत डालनी चाहिए। ताकि, क्लास के अन्य बच्चे भी उसकी तरफ खींचे चले आएं। बच्चे को बताएं कि जो स्कूल में दोस्त (School friends) बनते हैं, वे जीवनभर साथ रहते हैं।

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    दूसरे बच्चों से तुलना न करें

    अपने बच्चे के व्यक्तित्व और स्वभाव के बारे में आप अच्छे से जानते हैं। आप उनकी कमियों पर काम कर रहे हैं, यह अच्छी बात है। लेकिन रिश्तेदारों के सामने अपने बच्चे की दूसरों से तुलना करना गलत कदम हो सकता है। सामने वाले के बच्चे के बहुत सारे दोस्त (Friends) हैं तो जरूरी नहीं आपके बच्चे के भी बहुत सारे दोस्त हो। आपके बच्चे के कम दोस्त (Less friends) होना कोई समस्या नहीं है। कुछ बच्चे शर्मीले होते हैं, वो बहुत सारे दोस्त बनाने की बजाय कम दोस्त बनाते हैं, लेकिन बहुत अच्छे दोस्त बनाते हैं।

    ये हैं स्कूल में दोस्त (School Friends) बनाने के अन्य टिप्स :

    • सबको अपनी सोच के हिसाब से चलाने का प्रयत्न नहीं करना चाहिए।
    • सबके साथ प्यार (Love) से रहें।
    • उदास न रहें, हमेशा खुश रहें।
    • दोस्तों के विश्वास (Believe) को कभी नहीं तोड़ें।
    • दोस्तों के साथ धोखेबाजी बिलकुल न करें।
    • किसी भी मौके पर दोस्तों को  शर्मसार न करें।
    • दोस्तों के साथ उत्सव जरूर मनाएं।
    • हमेशा दोस्तों की मदद (Help) करने की कोशिश करना चाहिए।

    डिस्क्लेमर

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