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प्रीमैच्योर बेबी के बचने के कितने चांस होते हैं, जानिए यहां

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 12/05/2021

    प्रीमैच्योर बेबी के बचने के कितने चांस होते हैं, जानिए यहां

    40 सप्ताह की ड्यू डेट के पहले (करीब तीन सप्ताह) जिन बच्चों का जन्म हो जाता है, उन्हें प्रीमैच्योर बेबी (Premature Baby) कहा जाता है। बच्चे का समय से पहले जन्म कई कारणों से हो सकता है। प्रीमैच्योर बेबी की जिंदगी को खतरा हो, ऐसा जरूरी नहीं होता है। डॉक्टर को भी कई बार प्रीमैच्योर डिलिवरी के बारे में जानकारी नहीं मिल पाती है। प्रीमैच्योर बेबी प्रेग्नेंसी के 37वें सप्ताह या फिर उससे पहले भी पैदा हो सकता है। प्रीटर्म बर्थ मां और बच्चे के लिए खतरनाक हो सकती है लेकिन ये बात परिस्थितियों पर निर्भर करती है। अगर आपसे कोई कहे कि समय से पहले बच्चा पैदा होने पर उसके जीवित रहने के चांसेज कम रहते हैं, तो ये गलत बात है। बच्चे की जान को खतरा है या फिर नहीं, ये बात डॉक्टर ही आपको बेहतर बता सकते हैं। ये बात सच है कि बच्चा ड्यू डेट के जितना पहले पैदा होगा, कॉम्प्लीकेशन उतने ही बढ़ जाएंगे। भारत में निओनेटल डेथ (neonatal mortality) और मॉर्बिडिटी ( morbidity) का मुख्य कारण प्रीमैच्योरिटी है। भारत में साल में 26 मिलियन बर्थ में 3.5 मिलियन प्रीटर्म और इससे में करीब तीन लाख शिशु प्रीटर्म बर्थ कॉम्प्लीकेशन के कारण मर जाते हैं। अगर आपके मन में इस बात को लेकर कई प्रश्न हैं, तो ये आर्टिकल आपके लिए है। प्रीमैच्योर बेबी के सर्वाइवल रेट यानी उसके बचने के चांसेज के बारे में हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से जानकारी देंगे। जानिए क्या होते हैं प्रीमैच्योर बेबी के सर्वाइवल रेट।

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    प्रीमैच्योर बर्थ की रेंज (Premature birth ranges ) क्या होती है?

    प्रीमैच्योर बेबी के सर्वाइवल रेट जानने से पहले आपको ये जानकारी होना जरूरी है कि प्रीमैच्योर बर्थ रेंज क्या होती है। अमेरिकन कॉलेज ऑफ ऑब्स्टेट्रिशियंस एंड गायनेकोलॉजिस्ट्स ( American College of Obstetricians and Gynecologists) के अनुसार, ‘ ड्यू डेट के करीब तीन सप्ताह पहले प्रीमैच्योर बर्थ हो सकती है। जानिए प्रीमैच्योर बर्थ की रेंज के बारे में।

    • 20 सप्ताह से 26 सप्ताह के बीच जन्म पेरीविएबल बर्थ (periviable birth) कहलाता है।
    • 28 सप्ताह के पहले जन्म एक्ट्रीमली प्रीटर्म (extremely preterm) कहलाता है।
    • 28 सप्ताह से 32 सप्ताह के बीच जन्म वैरी प्रीटर्म (very preterm) कहलाता है।
    • 32 सप्ताह से 34 सप्ताह के बीच जन्म मॉडरेट प्रीटर्म (moderate preterm) कहलाता है।
    • 34 सप्ताह से 37 सप्ताह के बीच लेट प्रीटर्म (late preterm) कहलाता है।

    प्रत्येक जेस्टेशनल वीक (gestational week) बच्चे के सर्वाइवल रेट में असर डालता है। अगर पिछले कुछ सालों की तुलना की जाए, तो समय के साथ ही प्रीमैच्योर बेबी के सर्वाइवल रेट में सुधार हुआ है। समय के पहले जन्म के कारण के अज्ञात होते हैं लेकिन कुछ कारण हैं, जो रिस्क फैक्टर को बढ़ाने का काम करते हैं।

    • हाई ब्लड प्रेशर (High blood pressure)
    • डायबिटीज (Diabetes)
    • गंभीर बीमारी के कारण (Severe illness)
    • स्मोकिंग (Smoking)
    • मल्टीपल प्रेग्नेंसी के कारण (Twin or multiple pregnancy)
    • प्रीवियस प्रीमैच्योर बर्थ (Previous premature birth)

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    24 सप्ताह में जन्म लेने वाले प्रीमैच्योर बेबी का सर्वाइवल रेट

    20 से 26 सप्ताह के बीच होने वाली डिलिवरी पेरीविएबल बर्थ (periviable birth) कहलाती है। यूटा हेल्थ यूनिवर्सिटी (University of Utah Health) के विशेषज्ञों का कहना है कि 24 सप्ताह से पहले पैदा होने वाले बच्चे के जीवित रहने की संभावना 50 प्रतिशत से कम होती है। वहीं, यूनाइटेड स्टेट में पैदा हुए 8300 बच्चों में की गई स्टडी के अनुसार, ‘ 24 हफ्ते में पैदा हुए बच्चों में 68 % सर्वाइवल रेट था। साल 2016 में कोहोर्ट स्टडी ( cohort study) के दौरान करीब 6000 बच्चों में 60 % सर्वाइवल रेट की बात स्वीकार की गई। समय के साथ ही बढ़ती तकनीकों के कारण प्रीमैच्योर बेबी का सर्वाइवल रेट बढ़ा है। निओनेटल इंटेसिव केयर यूनिट्स (neonatal intensive care units) में नवजात शिशुओं की देखभाल की जाती है और उचित वातावरण भी उपलब्ध कराया जाता है। 24 सप्ताह से पहले जन्म लेने वाले बच्चे के साथ कुछ स्वास्थ्य जोखिम भी जुड़ें होते हैं। जानिए उसके बारे में।

    • समय से पहले जन्म होने के कारण बच्चे की स्किन में ब्राउन फैट (brown fat) डेवलप नहीं हो पाता है। इस कारण से बच्चे की स्किन बेहत पतली और नाजुक होती है इसलिए उसे खास केयर की जरूरत होती है। कुछ बच्चों की पीलिया की समस्या भी हो जाती है। बिलीरुबिन ( bilirubin) नामक कम्पाउंड के कारण त्वचा का रंग पीला पड़ जाता है। ये यौगिक रेड ब्लड सेल्स को तोड़ने का काम करता है। जिन बच्चों का जन्म समय से पहले होता है, उनका अविकसित लिवर बिलीरुबिन को प्रोसेस नहीं कर पाता है। पीलिया से ग्रस्त बच्चों को ठीक करने के लिए फोटोथेरिपी ( phototherapy) का इस्तेमाल किया जाता है।
    • 24 सप्ताह के दौरान शिशु के लंग यानी फेफड़े और एयरवेज डेवलप होना शुरू होते हैं। ऐसे समय में शिशु का जन्म होने से उन्हें सांस लेने में दिक्कत होती है और उन्हें सांस लेने में मदद की जरूरत होती है। इंक्यूबेटर में उन्हें छोटी ट्यूब की मदद से बच्चे सांस ले पाते हैं।
    • 24 सप्ताह के दौरान बच्चे की आंखें बंद रहती हैं और उनका विकास हो रहा होता है। इस समय आईलिड और आंखें पूरी तरह से डेवलप नहीं हो पाती है। ऐसे में बच्चे की आंखों में सॉफ्ट कॉटन या गॉज टेप लगाने की जरूरत पड़ती है ताकि उन्हें प्रकाश से बचाया जा सके।
    • बच्चे के कानों का विकास गर्भ में 18 सप्ताह के दौरान हो जाता है लेकिन 24 सप्ताह के दौरान शिशु के कान बहुत नाजुक होते हैं। इनमें बहरेपन की समस्या भी हो सकती है। साथ ही कान से जुड़ी अन्य समस्याओं का खतरा भी बना रहता है।

    प्रीमैच्योर बच्चे का जन्म:  26 सप्ताह में जन्म लेने वाले बच्चे का स्वास्थ्य

    26 सप्ताह में जन्म लेने वाले बच्चे एक्सट्रीमली प्रीटर्म (extremely preterm) कहा जाएगा। कोहार्ट यूनिवर्सिटी की मानें तो ऐसे बच्चों का सर्वाइवल रेट 89 % रहता है। ऐसे बच्चों में लंग्स और एयर सेक कम विकसित होते हैं, जिसे एल्वियोली ( alveoli) कहते हैं। 26 सप्ताह में जन्म लेने वाले प्रीमैच्योर बेबी अपने आप सांस नहीं ले पाते हैं। ऐसे बच्चों को देखने में, सुनने में, समझने में समस्या होती है। ऐसे बच्चों में हार्ट संबंधी समस्याओं का खतरा भी बना रहता है।

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    28 सप्ताह में जन्म लेने वाले बच्चे का स्वास्थ्य

    28 सप्ताह में जन्म लेने वाले बच्चों का स्वास्थ्य 26 सप्ताह में जन्म लेने वाले बच्चों की अपेक्षा अच्छा होता है लेकिन इन बच्चों का सिर बड़ा हो सकता है। यूटा स्वास्थ्य विश्वविद्यालय के अनुसार,’ 28 सप्ताह में जन्म लेने वाले बच्चों का सर्वाइवल रेट 80% से 90 % होता है। वहीं कुछ क्लीनिकल स्टडी में सर्वाइवल रेट 94% से 98% की बात कही गई है। करीब 10 % शिशुओं को लॉन्ग टर्म कॉम्प्लीकेशंस का सामना करना पड़ सकता है। जानिए कुछ परेशानियों के बारे में

    • सांस लेने में समस्या
    • इन्फेक्शन
    • पेट संबंधी समस्याएं
    • ब्लड प्रॉब्लम
    • किडनी प्रॉब्लम
    • ब्रेन और नर्वस सिस्टम प्रॉब्लम

    30 से 32 सप्ताह में जन्म लेने वाले बच्चे का स्वास्थ्य

    30 से 32 सप्ताह में जन्म लेने वाले बच्चे को प्रीटर्म माना जाता है। ऐसे बच्चों का सर्वाइवल रेट 99 परसेंट होता है। ऐसे बच्चों में स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का खतरा या कॉम्प्लीकेशन बहुत कम होता है। आप इस बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से परामर्श कर सकते हैं।

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    34 से 36 सप्ताह में जन्म लेने वाले बच्चे का स्वास्थ्य

    34 से 36 सप्ताह के बीच जन्म लेने वाले बच्चों का सर्वाइवल रेट सबसे अधिक होता है। ऐसे बच्चों को स्वास्थ्य संबंधी जोखिम कम रहता है। अगर ऐसे बच्चों की तुलना 40 सप्ताह में पैदा हुए बच्चों से की जाए, तो इनका वजन कम हो सकता है। साथ ही ये छोटे दिख सकते हैं। डॉक्टर 34 से 36 सप्ताह के बीच पैदा हुए बच्चों को करीब एक हफ्ते तक इंक्यूबेटर में रखने की सलाह देते हैं। आपको घबराने की जरूरत नहीं है। एक हफ्ते बाद आप बच्चे को घर लेकर जा सकते हैं।

    अगर आपका बच्चा प्रीमैच्योर पैदा हुआ है, तो कई फैक्टर उसे सर्वाइवल रेट को प्रभावित कर सकते हैं। गर्भ में यदि बच्चा एक से दो सप्ताह अधिक तक रहता है, तो उसमें बहुत से परिवर्तन देखने को मिलते हैं। मेडिकल एडवांस हो चुका है, जिसके कारण प्रीमैच्योर बेबी के सर्वाइवल रेट में ग्रोथ हुई है। आप इस बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से परामर्श कर सकते हैं। आप स्वास्थ्य संबंधी अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है, तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं और अन्य लोगों के साथ साझा कर सकते हैं।

    डिस्क्लेमर

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