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अल्सरेटिव कोलाइटिस - बच्चों में क्यों होती है यह समस्या?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Toshini Rathod द्वारा लिखित · अपडेटेड 01/07/2022

    अल्सरेटिव कोलाइटिस - बच्चों में क्यों होती है यह समस्या?

    बड़ों के साथ ही बच्चों को भी अक्सर कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। बच्चों को होने वाली कई बीमारियों में से एक अल्सरेटिव कोलाइटिस (Ulcerative colitis) भी है। आंत में सूजन की समस्या को ही अल्सरेटिव कोलाइटिस कहते हैं, हालांकि यह समस्या बड़ों को भी होती है। यह आंत से जुड़ी परेशानी है जिसमें बड़ी आंत में सूजन और जलन होने लगता है। बच्चों में अल्सरेटिव कोलाइटिस (Ulcerative colitis) होने पर उन्हें मल त्याग करने में परेशानी के साथ ही डायरिया भी हो सकता है। इसलिए इसके लक्षणों की पहचान कर तुरंत इलाज करवाना जरूरी है।

    अल्सरेटिव कोलाइटिस क्या है? (What is Ulcerative colitis)

    अल्सरेटिव कोलाइटिस (Ulcerative colitis) आंत (intestine) से जुड़ी बीमारी है जिसमें बड़ी आंत में सूजन और जलन होने लगता है। सूजन आमतौर पर मलाशय (rectum) और निचली आंत में शुरू होता है और धीरे-धीरे ऊपर पूरी आंत तक फैल जाता है। सूजन की वजह से दस्त और बार-बार आंत (colon) खाली करने की इच्छा होती है। बड़ी आंत में सूजन और जलन के कारण आंत के मलाशय और रेक्टम में छाले हो जाते हैं। सूजन के साथ ही ब्लीडिंग (bleeding) भी हो सकती है। एक बच्चे के लिए इस स्थिति को हैंडल करना बहुत मुश्किल हो जाता है, क्योंकि इससे बच्चे का शरीर बहुत कमजोर हो जाता है और कई बार यह जानलेवा भी साबित हो सकता है। अफसोस की बात है कि अभी तक इसका कोई सटीक इलाज नहीं है, सिर्फ लक्षणों का इलाज किया जाता है। बच्चों के इलाज का तरीका बड़ों से थोड़ा अलग होता है। बच्चों में अल्सरेटिव कोलाइटिस के लक्षण जान लीजिए।

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    बच्चों में अल्सरेटिव कोलाइटिस के लक्षण (Ulcerative colitis symptoms in children)

    आंत में सूजन वैसे तो व्यस्कों में ज्यादा होता है, लेकिन यह समस्या बच्चों को भी हो सकती है। बच्चों में सूजन से जुड़े कई तरह के लक्षण दिख सकते हैं। यह लक्षण सामान्य से गंभीर तक हो सकते हैं। कई बार बच्चों में लक्षण नजर नहीं आते हैं और स्थिति गंभीर हो जाने पर बच्चों में अल्सरेटिव कोलाइटिस के कुछ इस तरह के लक्षण नजर आ सकते हैं-

    • ब्लीडिंग के कारण एनीमिया
    • दस्त (diarrhoea) इसमें थोड़ा खून भी आता है
    • थकान
    • कुपोषण, क्योंकि आंत पोषक तत्वों को अवशोषित नहीं कर पाता है
    • मलाशय से खून आना (rectal bleeding)
    • पेट में दर्द
    • अचानक से वजन कम होना (weight loss)
    • बच्चों के विकास में समस्या

    बच्चों में कई बार आंत में सूजन की समस्या इतनी गंभीर हो जाती है कि उनमें कुछ ऐसे लक्षण भी दिखने लगते हैं जिसका आंत या पाचन तंत्र (digestive tract) से संबंध नहीं होता है जैसे-

    इन लक्षणों के साथ अल्सरेटिव कोलाइटिस को डायग्नोस करना मुश्किल हो जाता है। ऐसा लगता ये लक्षण कुछ अन्य अंतर्निहित स्थितियों के कारण दिखते हैं।

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    ​आंत में सूजन के प्रकार (ulcerative colitis types)

    अल्सरेटिव कोलाइटिस- ulcerative colitis

    अल्सरेटिव कोलाइटिस शरीर में किस जगह पर है, इसके आधार पर इसको कई प्रकार निर्धारित किए जाते हैं। सभी के लक्षण और गंभीरता अलग-अलग हो सकते हैं। अल्सरेटिव कोलाइटिस आमतौर पर निम्न प्रकार के होते हैं-

    अल्सरेटिव प्रोक्टाइटिस – इसमें सूजन रेक्टम (rectum) के आसपास ही होता है। इस बीमारी का लक्षण है मलाशय से खून आना। इसके अलावा इसका कोई और लक्षण नहीं है।

    प्रोक्टोसिग्मोइडिटिस- इस स्थिति में मलाशय (rectum) और सिग्मॉइड कोलोन (पेट के सबसे नीचे की ओर) में सूजन होती है। दस्त में खून आना, पेट में ऐंठन और दर्द,  मल त्याग की तीव्र इच्छा होने बावजूद मल त्याग न कर पाना आदि इसके कुछ लक्षण हैं।

    बायीं तरफा कोलाइटिस- इसमें सूजन सिग्मॉइड कोलोन (sigmoid colon) के सबसे नीचे की ओर से लेकर रेक्टम तक हो सकता है। इसके लक्षणों में शामिल है दस्त में खून आना, पेट में ऐंठन, पेट के बाईं ओर दर्द और बार-बार मल त्यागने की तीव्र इच्छा।

    पैनकोलाइटिस- यह स्थिति पूरे सिग्मॉइड कोलोन (sigmoid colon) को प्रभावित करता है, जिसकी वजह से दस्त में अधिक खून आता है, पेट में ऐंठन (abdominal crap) व दर्द, थकान और वजन कम होने जैसे गंभीर लक्षण दिखते हैं।

    बच्चों में अल्सरेटिव कोलाइटिस के कारण (ulcerative colitis reason)

    बच्चों के आंत में सूजन की समस्या क्यों होती है, एक्सपर्ट्स इसके सही कारणों का पता नहीं लगा पाए हैं। हालांकि कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि वायरस या बैक्टीरिया जाने के परिणास्वरूप आंत में सूजन हो सकती है। कुछ विशेषज्ञ इसके लिए कमजोर इम्यूनिटी (weak immunity) को जिम्मेदार ठहराते हैं जो वायरस या बैक्टीरिया से लड़ नहीं पाता है। इसके अलावा यदि परिवार में किसी को अल्सरेटिव कोलाइटिस है तो बच्चों में अल्सरेटिव कोलाइटिस की संभावना अधिक होती है।

    बच्चों में अल्सरेटिव कोलाइटिस का निदान (Diagnosing ulcerative colitis)

    इस समस्या के निदान के लिए कोई एक टेस्ट नहीं है। हालांकि, डॉक्टर बच्चों में अल्सरेटिव कोलाइटिस जैसे लक्षणों के लिए जिम्मेदार अन्य स्वास्थ्य स्थितियों का पता लगाने के लिए कई टेस्ट कर सकता है। शारीरिक परीक्षण के साथ ही वह बच्चे क लक्षणों के बारे में पूछता है। वह आपसे पूछ सकता है कि बच्चे क लक्षण कब गंभीर हो जाते हैं और कितनी देर में सामान्य होते हैं। इसके अलावा वह कुछ टेस्ट की भी सलाह दे सकता है जैसे- ब्लड टेस्ट (blood tests) जिसमें यह चेक किया जाता है रेड ब्लड सेल्स (red blood cell) का स्तर कम तो नहीं है, जो एनीमिया का संकेत देता है। इसका अलावा व्हाइट ब्लड सेल्स के स्तर की भी जांच की जाती है कि कहीं यह अधिक तो नहीं है जो इम्यून सिस्टम से जुड़ी समस्या की वजह से हो सकता है। मल में खून, बैक्टीरिया व पैरासाइट की जांच के लिए स्टूल सैंपल टेस्ट भी किया जा सकता है।

    सूजन के संकेतों का पता लगाने के लिए कोलोनोस्कोपी (colonoscopy) जिसे अपर या लोअर एंडोस्कोपी भी कहते हैं, की जा सकती है। कुछ मामलों में डॉक्टर बायोप्सी (biopsy) भी कर सकता है।

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    बच्चों में अल्सरेटिव कोलाइटिस का इलाज (ulcerative colitis treatment)

    अल्सरेटिव कोलाइटिस- ulcerative colitis

    आंत में सूजन का इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि बच्चे में यह कितना गंभीर है। बड़ों में आमतौर पर इसका उपचार खास तरह के एनीमा (enema) से किया जाता है जिसमें दवा होती है। हालांकि बच्चों तो एनीमा नहीं दिया जाता है, क्योंकि वह इसे सहन नहीं कर सकतें। जो बच्चे दवा खा सकते हैं बच्चों में अल्सरेटिव कोलाइटिस के उपचार में शामिल है-

    • आंत की सूजन ( को कम करने के लिए अमीनोसैलिसलेट्स (aminosalicylates)
    • इम्यून सिस्टम (immune system) को आंत पर हमला करने से रोकने के लिए कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स (corticosteroids) दिया जा सकता है
    • सूजन के परिणामस्वरूप शरीर में होने वाली प्रतिक्रिया को कम करने के लिए इम्यूनोमॉड्यूलेटर्स (immunomodulators) या TNF- अल्फा ब्लॉकिंग एजेंट दिया जाता है।

    यदि ऊपर बताए गए इलाज से बच्चे के लक्षणों में सुधार नहीं होता है या वह और खराब हो जाते हैं तो डॉक्टर सर्जरी (surgery) की सलाह दे सकता है, जिसमें आंत के प्रभावित हिस्से को हटाया जाता है।

    वैसे तो पूरी आंत या उसके कुछ हिस्से के हटाने पर बच्चा सामान्य जिंदगी तो जी सकता है, लेकिन इसका असर उसके पाचन पर बहुत गंभीर होता है। इतना ही नहीं आंत के प्रभावित हिस्से को हटाने के बावजूद भविष्य में दूसरे हिस्से में अल्सरेटिव कोलाइटिस (Ulcerative colitis) हो सकता है। आमतौर पर निम्न स्थितियों में सर्जरी की सलाह दी जाती है-

  • आंत में यदि छेद हो जाए
  • आंत चौड़ा हो जाए और उसमें सूजन हो
  • ब्लीडिंग रुक नहीं रही हो
  • उपचार से लक्षणों में सुधार न हो रहा हो।
  • पैरेंट्स के लिए आंत में सूजन की समस्या से निपटने के टिप्स (coping with ulcerative colitis)

    कुछ बातों का ध्यान रखकर पैरेंट्स न सिर्फ अपनी टेंशन कम कर सकते हैं, बल्कि बच्चे को भी बेहतर और स्वस्थ जिंदगी के लिए प्रेरित कर सकते हैं।

    • अपने प्रियजनों, शिक्षकों और करीबी दोस्तों को बीमारी, इसके लिए जरूर पोषण की जरूरतों और दवाओं के बारे में जानकारी दें।
    • बच्चे को पूरा पोषण (nutrition) मिले इसके लिए प्रोफेशनल डायटिशियन से उसकी मील प्लानिंग करवाएं।
    • ऐसे सपोर्ट ग्रुप की तलाश करें जिसमें लोग इन्फ्लामेट्री बाउल डिसऑर्डर (inflammatory bowel syndrome) यानी आंत से जुड़ी समस्या से पीड़ित हों।
    • जरूरत हो तो काउंसलर से बात करें।

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    लंबे समय तक बच्चों में अल्सरेटिव कोलाइटिस  का असर

    इस बीमारी का न सिर्फ बच्चों पर शारीरिक, बल्कि मानसिक और भावनात्मक असर भी बहुत गहरा होता है। बीमारी के कारण उनका शरीर कमजोर हो जाता है और पोषक तत्वों की कमी होने लगती है जिसका असर उनके सामान्य व्यवहार पर भी देखने को मिलता है। इसकी वजह से बच्चों को निम्न भावनात्मक परेशानियां होती हैं-

    • बीमारी और दवा के कारण मूंड स्विंग (mood swing) होना
    • बीमारी के लिए खुद को दोषी मानना
    • शारीरिक रूप से कमजोर होने पर चिड़चिड़ापन
    • खुद को दूसरों से अलग समझना
    • गुस्सा होना कि ‘आखिर मेरे साथ ही ऐसा क्यों हुआ?’
    • अपने लुक, धीमे विकास और कम वजन को लेकर चिंतित रहना
    • दोस्तों के साथ सामान्य तरीके से न खेल पाने के कारण गुस्सा व चिढ़
    • दूसरे बच्चों की तरह शारीरिक गतिविधियां (physical activity) न करने पाने की वजह से खुद को कमजोर महसूस करना

    भावनात्मक समस्याओं (emotional issues) के साथ ही ऐसे बच्चों को कुछ सामाजिक समस्याओं (social issues) का भी सामना करना पड़ता है जैसे-

    • स्कूल में दूसरे छात्रों का ताने मारना
    • बार-बार बाथरूम जाने पर शर्मिंदगी महसूस करना
    • खाने की चॉइस को लेकर पीयर प्रेशर (peer pressure)
    • जिन लोगों को बीमारी की जानकारी नहीं है, उन्हें हैंडल करना
    • फिजिकल स्टेमिना में बदलाव
    • स्कूल के काम पर ध्यान केंद्रित करने की क्षमता में बदलाव।

    आंत में सूजन की समस्या को हैंडल करना बच्चों के लिए बहुत मुश्किल हो जाता है, क्योंकि यह न सिर्फ उनके खेलने-कूदने, बल्कि मनपसंद खाने पर भी पाबंदी लगा देता है। वह अपना बचपन खुलकर जी नहीं पाते, ऐसे में पैरेंट्स और दोस्तों का सहयोग उनके लिए बहुत जरूरी है। बच्चों में अल्सरेटिव कोलाइटिस के बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर की सलाह लें।

    डिस्क्लेमर

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