अगर आपको लगता है कि आपका शिशु कुछ शब्द ही बोल पा रहा है, तो आपको शिशु को खेल की मदद से अन्य शब्दों का अभ्यास कराना चाहिए। अगर बच्चा शब्दों को बोलने में दिक्कत महसूस कर रहा है, तो आपको थेरिपी की मदद लेने चाहिए। दो साल का शिशु न बोले (Toddler problems with speaking), तो आपको कुछ निम्नलिखित थेरिपी की सहायता लेनी चाहिए।
खेल-खेल में सिखाएं- शिशु खेल के माध्यम से बहुत सी बातें सीखते हैं। आप दो साल के शिशु को प्लेस्कूल भेज सकते हैं । प्ले स्कूल में खेल-खेल के माध्यम से बच्चे खेलना सीखते हैं। आप डे केयर सेंटर में भी बच्चे को भेज सकते हैं। कई बच्चों के साथ होने पर बच्चे जल्दी बोलने की कोशिश करते हैं।
स्पीच थेरिपी (Speech therapy) – स्पीच थेरिपी के माध्यम से शिशु की न बोलने की समस्या का समाधान किया जा सकता है। आप इसमें एक्सपर्ट की मदद ले सकते हैं। एक्सपर्ट आपके शिशु से बात करने की कोशिश करेंगे और साथ ही शिशु को बोलना सिखाएंगे।
साउंड प्रैक्टिस (practicing with sounds) – बच्चों को साउंड के माध्यम से समझाना आसान होता है।आप शिशु को अलग-अलग जानवरों की आवाज सुना सकती हैं। साथ ही आप अन्य साउंड का इस्तेमाल भी कर सकती है। ऐसा करने से शिशु उसे दोहराने का प्रयास करेंगे।
अगर आपके शिशु को ऑटिज्म की समस्या नहीं है, तो भले ही देर से सही, वो बोलना सीख जाएगा। आपको कुछ समय तक इंतजार करना चाहिए। स्पीच थेरिपी के बाद बच्चे अच्छा रिस्पॉन्स करते हैं। अगर बच्चा किसी कंडीशन के कारण नहीं बोल पा रहा है, तो बीमारी के इलाज के बाद बोलने की संभावना बढ़ जाती है। बेहतर होगा कि आप अपने शिशु की जांच कराएं और इस बारे में डॉक्टर से परामर्श जरूर करें।
हम आशा करते हैं कि आपको दो साल का शिशु न बोले (Toddler problems with speaking) संबंधित ये लेख पसंद आया होगा। हैलो स्वास्थ्य के इस आर्टिकल में दो साल के शिशु के न बोल पाने की समस्या के बारे में बताया गया है। अगर आपका बच्चा दो साल में थोड़े शब्द बोल रहा है, तो परेशान न हो, बल्कि शिशु को रोजाना अभ्यास कराएं। यदि आप इससे जुड़ी कोई जानकारी चाहते हैं, तो आप हम से कमेंट कर पूछ सकते हैं। आपको हमारा यह लेख कैसा लगा यह भी आप हमें कमेंट सेक्शन में बता सकते हैं।