- शिशु का जन्म समय से पहले हो सकता है।
- नवजात का जन्म सिजेरियन डिलिवरी से करवाया जा सकता है।
- प्री-एक्लेमप्सिया की समस्या हो सकती है। प्री-एक्लेमप्सिया होने पर गर्भ में पल रहे शिशु तक ऑक्सिजन नहीं पहुंच पाता है।
इन परेशानियों के साथ-साथ डेंगू की वजह से प्लेटलेट्स काउन्ट भी कम हो जाते हैं। ऐसे में गर्भवती महिला थ्रोम्बोसाइटोपीनिया से भी पीड़ित हो सकती हैं। अगर किसी महिला को गर्भावस्था के दौरान डेंगू (Dengue during pregnancy) खासकर बेबी डिलिवरी के दौरान या डिलिवरी होने के दिनों के आसपास हुआ है तो ब्लीडिंग की संभावना बढ़ सकती है।
क्या गर्भावस्था के दौरान डेंगू (Dengue during pregnancy) का असर शिशु पर भी पड़ता है?
नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी (NCBI) के अनुसार प्रेग्नेंसी के दौरान डेंगू होने से शिशु में इसके होने की संभावना बेहद कम होती है। हालांकि अगर शिशु के जन्म के समय गर्भवती महिला को डेंगू होता है, तो ऐसी स्थिति में शिशु को डेंगू का खतरा हो सकता है। इसलिए अगर नवजात को जन्म के समय डेंगू होता है, तो आने वाले दो सप्ताह तक शिशु में इसके संक्रमण के फैलने का खतरा बना रहता है।
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नवजात शिशु में डेंगू के लक्षण क्या होते हैं?
नवजात में डेंगू के लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं। जैसे-
- शिशु को 100.4 डिग्री फारेनहाइट बुखार आना या इससे भी तेज बुखार आ सकता है।
- नवजात के शरीर का टेम्प्रेचर 96.8 डिग्री फारेनहाइट से कम हो जाना।
- बच्चे का दूध नहीं पीना
- शिशु का चिड़चिड़ा होना
- शरीर या चेहरे पर निशान आना
नवजात में डेंगू के ऊपर बताये लक्षण हो सकते हैं लेकिन, इन लक्षणों के अलावा अगर कोई और लक्षण भी समझ आये तो उसे नजरअंदाज न करें। जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें।
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गर्भावस्था के दौरान डेंगू (Dengue during pregnancy) से बचने के क्या हैं उपाय?
प्रेग्नेंसी के दौरान डेंगू से बचने के लिए निम्नलिखित उपाय गर्भवती महिला कर सकती हैं। जैसे:-