दूध, योगर्ट और चीज का सेवन किया जा सकता है क्योंकि इसमें मौजूद प्रोबायोटिक थायरॉइड पेशेंट के लिए लाभदायक होता है। डॉक्टर की सलाह से अपने हायपोथायरॉइडिज्म डाइट चार्ट में इसको शामिल करें।
7. ग्लूटन फ्री अनाज
चावल, चिया सीड्स और फ्लेक्स सीड्स को अपने हायपोथायरॉइडिज्म डायट चार्ट में शामिल किया जाना चाहिए।
गर्भवती हैं तो हायपोथायरॉइडिज्म डायट चार्ट फॉलो करना आवश्यक है। ऊपर बताई गई 7 खाद्य पदार्थों को अपने आहार में नियमित रूप से सेवन करना जरूरी है, नहीं तो यह मां और शिशु दोनों को मुसीबत में डाल सकता है।
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गर्भवती हैं तो हायपोथायरॉइडिज्म डायट चार्ट फॉलो नहीं करने के साइड इफेक्ट्स क्या हैं?
प्रेग्नेंट लेडी और शिशु को होने वाली परेशानी निम्नलिखित है
थायराॅइड हार्मोन अधिक बनने के कारण, यह गर्भ में पल रहे शिशु के अंदर भी थायराॅइड हार्मोन अधिक मात्रा में स्त्रावित होने का कारण बनता है। हाइपरथायराॅइडिज्म की समस्या पर रेडियोएक्टिव आयोडिन ट्रीटमेंट से अपना इलाज करवा सकती हैं। इसमें सर्जरी के द्वारा आपके थायराॅइड कोशिकाओं को निकाल दिया जाता है, लेकिन इसके बावजूद आपका शरीर दोबारा से टीएसआई एंटीबॉडी बनाने लगता है। जब इनका स्तर बढ़ जाता है तो आपके टीएसआई आपके बच्चे के रक्त में भी पहुंच जाता है। टीएसआई के कारण आपकी थायराॅइड ग्रंथि अधिक मात्रा में थायराॅइड हार्मोन बनाती है। इस कारण आपके बच्चे के शरीर में भी थायराॅइड हार्मोन अधिक बनना शुरू हो जाता है।