एमनियोटिक फ्लूइड ज्यादा होना गर्भवती महिला के स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक हो सकता है इसकी वजह से होने वाली कुछ जटिलताएं-
- गर्भवती महिला को सांस लेने में तकलीफ होना (Maternal Dyspnea)
- डिलिवरी से पहले ही एमनियोटिक थैली (जिसमें भ्रूण रहता है) का फटना और एमनियोटिक द्रव का रिसाव होना ( Premature Rupture of Membranes)
- डिलिवरी से पहले योनि से रक्तस्राव होना (Postpartum Hemorrhage)।
जटिलताओं के बाद जानते हैं पॉलिहाइड्रेमनियोस का परीक्षण कैसे किया जा सकता है?
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पॉलिहाइड्रेमनियोस का डाइग्नोसिस (निदान) कैसे किया जाता है?
पॉलिहाइड्रेमनियोस का निदान दो तरह से हेल्थ एक्सपर्ट्स करते हैं। इनमें शामिल है।
1. अल्ट्रासाउंड
2. लेब टेस्ट
1. अल्ट्रासाउंड
प्रेग्नेंसी के दौरान अल्ट्रासाउंड की मदद से शिशु की स्थिति समझने के साथ-साथ अगर कोई परेशानी जैसे पॉलिहाइड्रेमनियोस (एमनियोटिक फ्लूइड ज्यादा होना) की स्थिति नजर आती है तो डॉक्टर इसकी जानकारी गर्भवती महिला या उनके परिवार वालों को देते हैं। इसके जरिए आपके गर्भ की जांच की जाती है और होने वाली समस्याओं का निदान किया जाता है। अगर पॉलिहाइड्रेमनियोस की स्थिति बनती है, तो डॉक्टर इसका उपचार की सलाह देते हैं।
2. लेब टेस्ट
गर्भवती महिला के ब्लड टेस्ट में बढ़ी हुई प्रोटीन की मात्रा से भी गर्भाशय में बढ़े हुए एमनियॉटिक फ्लूइड की जानकारी मिल सकती है।