3.वॉटर रिटेंशन
वॉटर रिटेंशन मतलब शरीर के अलग-अलग अंगों में पानी का इक्ठ्ठा होना। गर्भावस्था के दौरान, महिलाओं के शरीर में अत्यधिक मात्रा में शारीरिक तरल पदार्थ जमा होते हैं। जिसके कारण शरीर के अलग-अलग हिस्सों में पानी का जमाव हो सकता है, जो प्रेग्नेंसी में सेल्युलाइट के जोखिम को बढ़ा सकता है।
4.जेनेटिक फैक्टर
जेनेटिक फैक्टर यानी किसी महिला को प्रेग्नेंसी में सेल्युलाइट की समस्या उसे उसकी मां से विरासत के तौर पर भी मिल सकती है। अगर किसी महिला को प्रेग्नेंसी में सेल्युलाइट की समस्या हुई थी, तो उसके जरिए जन्म ली हुई बेटी को भी प्रेग्नेंसी में सेल्युलाइट होने के खतरे बढ़ जाते हैं।
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ऊपर बताए गए कारणों के अलावा भी निम्न स्थितियां प्रेग्नेंसी में सेल्युलाइट की समस्या का कारण बन सकती हैंः
- महिला की उम्र, खासकर 30 या 35 साल के बाद गर्भवती होना
- गर्भावस्था में बहुत ज्यादा वजन बढ़ना
- प्रेग्नेंसी से पहले ही ओवरवेट होना
प्रेग्नेंसी में सेल्युलाइट की समस्या के उपचार के लिए मेडिकल ट्रीटमेंट क्या हैं?
आमतौर पर देखा जाए तो सामान्य अवस्था या प्रेग्नेंसी में सेल्युलाइट की समस्या कोई गंभीर स्थिति या मां या बच्चे के लिए गंभीर समस्या नहीं होता है। यह काफी सामान्य माना जाता है, लेकिन शारीरिक सुंदरता को बनाए रखने और इसकी स्थिति गंभीर होने पर गर्भावस्था के दौरान सेल्युलाइट की समस्या से राहत पाने के लिए आप निम्न मेडिकल ट्रीटमेंट अपना सकते हैं, जिनमें शामिल हैंः
1.दवाओं का सेवन करना
शरीर से सेल्युलाइट को कम करने के लिए आपका डॉक्टर आपको कुछ मौखिक दवाओं के साथ-साथ त्वचा पर लगाने वाले लोशन और क्रीम की सलाह भी दे सकते हैं। ध्यान रखें कि गर्भावस्था के दौरान किसी भी तरह के दवाओं का सेवन करना महिला और उसके बच्चे के स्वास्थ्य के लिए जोखिम भरा हो सकता है। इसलिए इसके बारे में सबसे पहले अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
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