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क्या प्रेग्नेंसी में सेल्युलाइट बच्चे के लिए खतरा बन सकता है? जानिए इसके उपचार के तरीके

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Ankita mishra द्वारा लिखित · अपडेटेड 17/10/2020

    क्या प्रेग्नेंसी में सेल्युलाइट बच्चे के लिए खतरा बन सकता है? जानिए इसके उपचार के तरीके

    गर्भावस्था के दौरान कई तरह के शारीरिक बदलाव पूरी तरह से स्वाभाविक होते हैं। जिनमें वजन बढ़ना और स्तनों के आकार में परिवर्तन होना सामान्य है। हालांकि, अगर प्रेग्नेंसी के दौरान वजन बढ़ने का कारण सेल्युलाइट की समस्या हो रही है, तो यह परेशानी का कारण बन सकता। प्रेग्नेंसी में सेल्युलाइट की समस्या देखी जाती है। खासकर ऐसी महिलाओं में जिनका वजन गर्भावस्था के पहले से ही काफी अधिक होता है।

    क्या है सेल्युलाइट की समस्या?

    सेल्युलाइट की समस्या होने पर शरीर के कई हिस्सों की त्वचा उबड़-खाबड़ हो जाती है। सेल्युलाइट खासतौर पर शरीर के फैट वाले हिस्सों में होता है, जैसे हिप, कूल्हे, जांघ, पेट, घुटने और बाजूएं। सेल्युलाइट होने पर प्रभावित त्वचा संतरे के छिलके जैसी दिखाई देती है। शरीर के इन अंगों में होने वाले फैट के जमा होने को ही सेल्युलाइट कहा जाता है। कभी-कभी ये जमा फैट अधिक खिंचाव पड़ने के कारण टूट भी सकते हैं, जिससे यहां की त्वचा गढ्ढेदार हो जाती है। लगभग 80 फीसदी महिलाओं में सेल्युलाइट की समस्या देखी जाती है। हालांकि, सेल्युलाइट की समस्या स्वास्थ्य के लिए नुकासनदेह नहीं होती है।

    कितना सामान्य है प्रेग्नेंसी में सेल्युलाइट होना?

    प्रेग्नेंसी में सेल्युलाइट या इससे पहले या बाद में भी सेल्युलाइट की समस्या होना एक सामान्य स्थिति होती है। सेल्युलाइट की समस्या होने का मुख्य कारण फैट कोशिकाओं का बढ़ना और अधिक वजन होना होता है। इसके अलावा यह जरूरी नहीं कि सभी महिलाओं को प्रेग्नेंसी में सेल्युलाइट की समस्या हो।

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    प्रेग्नेंसी में सेल्युलाइट होने का कारण

    प्रेग्नेंसी में सेल्युलाइट होने के कई कारण हो सकते हैं। जिसमें सबसे बड़ा कारण लाइफस्टाइल और हार्मोन्स होता है।

    गर्भावस्था में बढ़ी हुई सेल्युलाइट के कारण भिन्न होते हैं और इसमें खराब जीवन शैली विकल्पों से लेकर शरीर के कई आंतरिक कारक भी शामिल हो सकते हैं। इसके अलावा, महिलाओं के शरीर में कई जगह फैट इक्ठ्ठा रहता है, जो बच्चे को जन्म देने के लिए महिला के शरीर में बनता है। फिर यही फैट प्रेग्नेंसी के दौरान गर्भ में पल रहे बच्चे को पोषण देता है और जन्म के बाद ब्रेस्टफीडिंग के दौरान महिला के शरीर को ऊर्जा की जरूरत होती है। जिसकी पूर्ति करने के लिए ये फैट ही महिला के शरीर की मदद करते हैं।

    यहां नीचे प्रेग्नेंसी में सेल्युलाइट होने का अन्य मुख्य कारणों के बारे में बता रहे हैं, जिनमें शामिल हैंः

    1.डायट और खराब लाइफस्टाइल

    गर्भावस्था के दौरान अक्सर महिलाएं कई तरह की शारीरिक गतिविधियां करना बंद कर देती हैं। इस दौरन अलग-अलग तरह के खाद्य पदार्थों की क्रेविंग भी अधिक होती है, जिसके कारण महिलाएं खानपान के मामले में भी लापरवाही बरत सकती हैं। गर्भावस्था के दौरान या इससे पहले जंक फूड की अधिक मात्रा भी प्रेग्नेंसी में सेल्युलाइट का एक सबसे बड़ा कारण बन सकता है।

    2.हार्मोंस में बदलाव

    गर्भावस्था में एस्ट्रोजन हार्मोन के स्तर अत्यधिक बढ़ने के कारण भी प्रेग्नेंसी में सेल्युलाइट की समस्या हो सकती है। एस्ट्रोजन हार्मोन शरीर में फैटी टिश्यू के विकास को बढ़ावा दे सकता है। एस्ट्रोजन के अलावा, इंसुलिन, नोरएपिनेफ्रीन, थायरॉइड हार्मोन और प्रोलैक्टिन हार्मोन का अत्यधिक उत्पादन भी प्रेग्नेंसी में सेल्युलाइट की समस्या को बढ़ा सकता है।

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    3.वॉटर रिटेंशन

    वॉटर रिटेंशन मतलब शरीर के अलग-अलग अंगों में पानी का इक्ठ्ठा होना। गर्भावस्था के दौरान, महिलाओं के शरीर में अत्यधिक मात्रा में शारीरिक तरल पदार्थ जमा होते हैं। जिसके कारण शरीर के अलग-अलग हिस्सों में पानी का जमाव हो सकता है, जो प्रेग्नेंसी में सेल्युलाइट के जोखिम को बढ़ा सकता है।

    4.जेनेटिक फैक्टर

    जेनेटिक फैक्टर यानी किसी महिला को प्रेग्नेंसी में सेल्युलाइट की समस्या उसे उसकी मां से विरासत के तौर पर भी मिल सकती है। अगर किसी महिला को प्रेग्नेंसी में सेल्युलाइट की समस्या हुई थी, तो उसके जरिए जन्म ली हुई बेटी को भी प्रेग्नेंसी में सेल्युलाइट होने के खतरे बढ़ जाते हैं।

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    ऊपर बताए गए कारणों के अलावा भी निम्न स्थितियां प्रेग्नेंसी में सेल्युलाइट की समस्या का कारण बन सकती हैंः

    • महिला की उम्र, खासकर 30 या 35 साल के बाद गर्भवती होना
    • गर्भावस्था में बहुत ज्यादा वजन बढ़ना
    • प्रेग्नेंसी से पहले ही ओवरवेट होना

    प्रेग्नेंसी में सेल्युलाइट की समस्या के उपचार के लिए मेडिकल ट्रीटमेंट क्या हैं?

    आमतौर पर देखा जाए तो सामान्य अवस्था या प्रेग्नेंसी में सेल्युलाइट की समस्या कोई गंभीर स्थिति या मां या बच्चे के लिए गंभीर समस्या नहीं होता है। यह काफी सामान्य माना जाता है, लेकिन शारीरिक सुंदरता को बनाए रखने और इसकी स्थिति गंभीर होने पर गर्भावस्था के दौरान सेल्युलाइट की समस्या से राहत पाने के लिए आप निम्न मेडिकल ट्रीटमेंट अपना सकते हैं, जिनमें शामिल हैंः

    1.दवाओं का सेवन करना

    शरीर से सेल्युलाइट को कम करने के लिए आपका डॉक्टर आपको कुछ मौखिक दवाओं के साथ-साथ त्वचा पर लगाने वाले लोशन और क्रीम की सलाह भी दे सकते हैं। ध्यान रखें कि गर्भावस्था के दौरान किसी भी तरह के दवाओं का सेवन करना महिला और उसके बच्चे के स्वास्थ्य के लिए जोखिम भरा हो सकता है। इसलिए इसके बारे में सबसे पहले अपने डॉक्टर से परामर्श करें।

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    2.लेजर ट्रीटमेंट या थर्मल ट्रीटमेंट

    सेल्युलाइट को कम करने के लिए लेजर ट्रीटमेंट सबसे आसान तरीका होता है। हालांकि यह खर्चीला होता है, लेकिन इसका प्रभाव कम समय में दिखाई देता है। हालांकि, गर्भावस्था के दौरान इसका प्रभाव मां या बच्चे के लिए नुकसानदेह भी साबित हो सकता है। इसलिए इसके बारे में अपने डॉक्टर से सलाह लें।

    3.कोलेजन की मात्रा बढ़ाने वाले आहार का सेवन करना

    सेल्युलाइट के निशान को कम करने के लिए ऐसे पदार्थों का सेवन बढ़ाया जा सकता है, जो शरीर में कोलेजन का उत्पादन अधिक करें। हालांकि, गर्भावस्था के दौरान शरीर में कोलेजन का अत्यधिक उत्पादन बच्चे के लिए असुरक्षित हो सकता है।

  • नोटः गर्भवती महिलाओं को सेल्युलाइट के लिए किसी भी तरह के उपचार से बचना चाहिए। ध्यान रखें कि सेल्युलाइट की समस्या काफी सामान्य है। अगर आप सेल्युलाइट का उपचार कराना चाहती हैं, तो बेहतर होगा कि प्रसव के बाद ही इस पर विचार करें। क्योंकि सेल्युलाइट के उपचार की विधियां गर्भ में पल रहे बच्चे और मां के लिए हानिकारक हो सकता है जिसका प्रभाव भी दीर्घकालिक हो सकता है।
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    प्रेग्नेंसी में सेल्युलाइट की समस्या के उपचार के लिए घरेलू तरीके क्या हैं?

    प्रेग्नेंसी में सेल्युलाइट की समस्या के उपचार के लिए निम्नलिखित घरेलू तरीके अपनाए जा सकते हैं, जो अन्य तरीकों से सुरक्षित भी हो सकते हैं। जिनमें शामिल हैंः

    • नियमित व्यायाम करना
    • ओमेगा-3 फैटी एसिड का सेवन करना (डॉक्टर की सलाह अवश्य लें)
    • गर्भावस्था के दौरान कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन करें। हालांकि, इसकी अधिक मात्रा के सेवन से बचें।
    • उचित मात्रा में पानी पीएं।
    • ताजे और मौसमी सब्जियों व फलों का सेवन करें
    • स्वस्थ भोजन खाएं
    • नमक का सेवन कम करें
    • वजन अगर अधिक है, तो वजन कम करें और उसे नियंत्रित रखें
    • जंक फूड, मीट, बेकरी उत्पाद, पनीर जैसे खाद्य पदार्थों के सेवन से बचें
    • उच्च मात्रा वाले कैलोरी युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन न करें
    • प्रेग्नेंसी के लिए उपयुक्त योग करें
    • धूम्रपान न करें

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    सेल्युलाइट को कम करने के लिए और कौन से विकल्पों के बारे में मैं विचार कर सकती हूं?

    प्रेग्नेंसी में सेल्युलाइट का उपचार न कराएं। अगर सेल्युलाइट के उपचार के बारे में विचार कर रही हैं, तो हमेशा प्रसव के बाद ही इसके बारे में अपने डॉक्टर से चर्चा करें। इसके लिए आप निम्न विधियों के बारे में विचार कर सकती हैंः

    1.सेलफिना

    सेलफिना सेल्युलाइट के निशानों को कम करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली एक प्राकृतिक तरीका है। यह होता सर्जरी की ही तरह है, लेकिन इसके प्रक्रिया में सर्जरी या एनेस्थीसिया की आवश्यकता नहीं होती है। सेलफिना की प्रक्रिया में प्रभावित त्वचा में एक छोटा चीरा लगाकर त्वचा के नीचे की चर्बी को कम किया जाता है। इसकी प्रक्रिया के लिए बहुत पतले ब्लेड का इस्तेमाल किया जाता है। इसकी प्रक्रिया में त्वचा को किसी तरह का नुकसान नहीं होता है। सेलफिना डिवाइस का इस्तेमाल सुरक्षित माना जा सकता है। इसके परिणाम बहुत जल्दी दिखाई देते हैं और अगले तीन सालों तक या इससे भी अधिक समय के लिए इसका प्रभाव बना रह सकता है।

    डिस्क्लेमर

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