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प्रेग्नेंसी में मछली खाना क्यों जरूरी है? जानें इसके फायदे

के द्वारा एक्स्पर्टली रिव्यूड डॉ. पूजा दाफळ · Hello Swasthya


Shivam Rohatgi द्वारा लिखित · अपडेटेड 27/09/2021

    प्रेग्नेंसी में मछली खाना क्यों जरूरी है? जानें इसके फायदे

    कई लोगों के मन में यह सवाल आता है कि प्रेग्नेंसी में मछली खाना (Eating fish during pregnancy) क्यों अच्छा माना जाता है? दरअसल, समुद्री आहार जैसे मछली और शेलफिश प्रोटीन (Protein), जिंक (Zink) और आयरन (Iron) का एक बेहतरीन स्रोत होती हैं। यह सभी पोषक तत्व आपके शिशु के विकास और वृद्धि में मदद करते हैं। प्रेग्नेंसी में मछली खाने से मछलियों में मौजूद फैटी एसिड और डोकोसाहेक्सानॉइक (Docosahexaenoic) एसिड (डीएचए) गर्भाशय में पल रहे शिशु के दिमाग के विकास को बढ़ावा देते हैं।

    प्रेग्नेंसी में मछली खाना (Eating fish during pregnancy) बेहद फायदेमंद माना जाता है क्योंकि प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को प्रोटीन, ओमेगा 3 फैटी एसिड (Omega 3 fatty acids), आयरन (Iron) और जिंक (Zink) सभी की आवश्यकता होती है वो भी बिना किसी सैचुरेटेड फैट (Saturated fat) के। इस कारण प्रेग्नेंसी में मछली खाना स्वास्थ्य के लिए बेहतर माना जाता है। हालांकि, ज्यादातर मछली में मरकरी नामक हानिकारक तत्व होता है जिसे प्रेग्नेंसी में खाने से शिशु और गर्भवती महिला दोनों पर दुष्प्रभाव पड़ सकता है।

    क्या कहती है एफडीए (FDA)?

    जनवरी 2017 में यू एस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) और यू एस एनवायर्नमेंटल प्रोटेक्शन एजेंसी (ईपीए) ने प्रेग्नेंसी , स्तनपान या गर्भधारण करने जा रही महिलाओं के मछली खाने के बारे में कई विशेष जानकारी दी थी। इसके अनुसार प्रेग्नेंसी में मछली खाना (Eating fish during pregnancy) फायदेमंद होता है लेकिन कुछ हद तक।

    एफडीए द्वारा बताई गई इस जानकारी में यह भी निर्धारित किया गया है कि कुछ प्रकार की मछली प्रेग्नेंसी में नहीं खानी चाहिए। इसमें शार्क, स्वोर्डफिश, किंग मैकेरल और टाइलफिश जैसी बड़ी मछलियां शामिल हैं। इन सभी मछलियों में मरकरी की मात्रा अधिक होती है जिसके कारण डॉक्टर भी प्रेग्नेंसी में इन मछली को खाने से मना करते हैं।

    मरकरी सभी वयस्कों पर एक समान प्रभाव डालता है, लेकिन प्रेग्नेंसी में मछली खाने से परहेज की सलाह दी जाती है। इसके अलावा यदि आप गर्भवती बनने का प्लान कर रही हैं तब भी इसका सेवन करने से परहेज करें। यदि आप रोजाना मरकरी युक्त मछली का सेवन करते हैं तो वह समय के साथ रक्त प्रवाह में शामिल हो जाता है। खून में अत्यधिक मरकरी होने से शिशु के मस्तिष्क और नर्वस सिस्टम के विकास को नुकसान पहुंच सकता है।

    यहां हम आपको प्रेग्नेंसी में मछली खाना (Eating fish during pregnancy) क्यों आवश्यक है, उसके फायदे, सही खुराक और नुकसानों के बारे में बताएंगे।

    और पढ़ें:  प्रेगनेंसी में डायबिटीज : गर्भावस्था के दौरान बढ़ सकता है शुगर लेवल, ऐसे करें कंट्रोल

    प्रेग्नेंसी में मछली खाने के फायदे (Benefits of eating fish during pregnancy)

    प्रेग्नेंसी में मछली खाना

    प्रेग्नेंसी में मछली खाना जिन्हें पसंद है उनके लिए एक खुशखबरी है कि गर्भावस्था में शिशु और मां दोनों के लिए मछली खाना फायदेमंद होता है। प्रेग्नेंसी में मछली खाना कई फायदे एक साथ प्राप्त करने का अच्छा विकल्प हो सकता है :

  • भ्रूण के विकास में तेजी : प्रेग्नेंसी में मछली खाने से लीन प्रोटीन प्राप्त होता है जो एक महत्वपूर्ण एमिनो एसिड है। गर्भावस्था में मछली खाने से लीन प्रोटीन शिशु के सभी कोशिकाओं को बनाने में मदद करता है। त्वचा, बाल, मांसपेशियों और हड्डियों तक सभी कुछ।
  • शिशु के दिमाग के लिए फायदेमंद: सैल्मन जैसी वसा युक्त अन्य मछलियों में ओमेगा 3 फैटी एसिड और डीएचए एसिड होता है जो बच्चे के दिमाग के विकास में मदद करता है और उसमें तेजी लाता है। 
  • याददाश्त बढ़ाता है: प्रेग्नेंसी में मछली खाने से दिमाग को तेज करने की बात करें तो ओमेगा 3 फैटी एसिड याददाश्त बेहतर करने में भी मदद करता हैं। इसका खासतौर से गर्भावस्था के दौरान भूलने की आदत से लड़ने में मदद मिलती है।
  • मूड (Mood) अच्छा रहता है : नियमित रूप से प्रेग्नेंसी में मछली खाने से ओमेगा 3 और डीएचए एसिड गर्भावस्था के दौरान डिप्रेशन और पोस्टपार्टम डिप्रेशन के खतरे को कम करने में मदद करते हैं।
  • हृदय स्वास्थ्य (Heart Health) : गर्भावस्था में मछली से भरपूर आहार खाने से खून के थक्के जमने और खून में वसा जैसी स्थिति कम होती है जिसकी वजह से हृदय रोग की आशंका भी कम हो जाती है। इसके अलावा यदि आपको हाई बीपी की बीमारी है तो यह उसका स्तर नियंत्रित करने में भी मदद करता है।
  • प्रीटर्म बर्थ (Preterm birth) का खतरा कम हो जाता है : समय से पहले डिलीवरी के कारण शिशु और महिला दोनों की जान खतरे में आ सकती है। इसकी वजह से शिशु के जन्म के बाद विकास संबंधी समस्याएं भी उत्पन्न होने का जोखिम रहता है। प्रेग्नेंसी में मछली खाने से प्रीटर्म बर्थ के खतरे को कम किया जा सकता है। कुछ अध्ययनों के मुताबिक ओमेगा 3 फैटी एसिड इसका कारण होते हैं।
  • और पढ़ें : जानिए क्या है प्रीटर्म डिलिवरी? क्या हैं इसके कारण?

    प्रेग्नेंसी में मछली खाना क्यों नुकसानदायी है (Why is eating fish harmful in pregnancy)

    प्रेग्नेंसी के दौरान मरकरी युक्त मछली खाने से महिला और शिशु दोनों की जान खतरे में आ सकती है। मरकरी एक ऐसा रसायन है जो लगभग हर बड़ी मछली में पाया जाता है। मरकरी पर्यावरण में प्राकृतिक रूप से निर्मित होता है और औद्योगिक प्रदूषण के कारण बढ़ता है। अधिकतर लोग मछली में मौजूद मरकरी की थोड़ी सी मात्रा से प्रभावित नहीं होते हैं। लेकिन यदि कोई महिला गर्भावस्था से पहले या उसके दौरान मरकरी के संपर्क में आती है तो इसका दुष्प्रभाव महिला और शिशु दोनों पर पड़ता है और जान को खतरा हो सकता है। भ्रूण में मरकरी के संपर्क में आने पर शिशु को निम्न परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है :

    • तंत्रिका तंत्र को गंभीर क्षति
    • मस्तिष्क को नुकसान
    • डिस्लेक्सिया (सीखने में समस्या आना)
    • बहरापन

    प्रेग्नेंसी में कौन सी मछली खाएं (What fish to eat in pregnancy)

    ओमेगा 3 (omega 3) से भरपूर और मरकरी की कम मात्रा वाली मछलियों का सेवन करें, जैसे कि :

    • सैल्मन
    • एन्कोवी (नमकीन छोटी मछली)
    • हिलसा
    • सार्डिन
    • ट्राउट
    • पैसिफिक मैकेरल

    अन्य सुरक्षित विकल्प

    • झींगा
    • पोलक
    • तिलापिया
    • कॉड
    • कैटफिश
    • टूना

    अमेरिकन कॉलेज ऑफ ऑब्स्टट्रिशन एंड गायनोकोलॉजिस्ट (ACOG) ने गर्भवती महिलाओं को एफडीए द्वारा प्रेग्नेंसी में मछ्ली खाने पर बताए गए निर्देशों का पालन करने की सलाह दी है। एफडीए अनुसार निम्न मात्रा में प्रेग्नेंसी में मछली खाना (Eating fish during pregnancy) सुरक्षित होता है :

    • हफ्ते में 2 से 3 बार कुल 250 से 350 ग्राम विभिन्न प्रकार की मछलियों का सेवन करें।
    • सफेद टूना जैसी मरकरी युक्त मछलियों का हफ्ते में एक बार से ज्यादा सेवन न करें (170 ग्राम)।
    • अत्यधिक मरकरी युक्त मछलियां खाने से परहेज करें।
    • यदि परिवार या दोस्तों में कोई मछली लाता है तो उसकी पूरी जानकारी लें और उसके मुताबिक ही सेवन करें। यदि मछली की पहचान नहीं हो पाती है तो उस पूरे  सप्ताह अन्य किसी मछली का सेवन न करें।
    • टूना का सेवन प्रति सप्ताह 170 ग्राम से अधिक न करें।

    और पढ़ें: क्या प्रेग्नेंसी में सेल्युलाइट बच्चे के लिए खतरा बन सकता है? जानिए इसके उपचार के तरीके

    प्रेग्नेंसी में मछली खाना: कौन सी मछली न खाएं (What fish not to eat in pregnancy)

    गर्भवती महिलाओं और शिशु को सुरक्षित रखने के लिए एफडीए और ईपीए ने ऐसी मछलियों के बारे में भी बताया है जिनका प्रेग्नेंसी के दौरान सेवन नहीं करना चाहिए। प्रेग्नेंसी में निम्न मछली खाना हो सकता है नुकसानदायी :

    • टाइलफिश
    • शार्क
    • स्वोर्डफिश
    • ऑरेंज रौफी
    • बिग टूना
    • मार्लिन
    • बांगड़ा

    मरकरी से भरपूर इन 7 मछलियों से परहेज करना गर्भावस्था में सबसे महत्वपूर्ण होता है।

    और पढ़ें: गर्भावस्था के दौरान हिप पेन से कैसे बचें?

    प्रेग्नेंसी में मछली खाना चाहती हैं, तो बरते ये सावधानियां (These precautions while eating fish in pregnancy)

    प्रेग्नेंसी में कौन सी मछली खाएं और कौन सी न खाएं के साथ-साथ निम्न सावधानियां बरतना भी बेहद आवश्यक होता है। मछली के अत्यधिक सेवन से आपकी और आपके शिशु की स्वास्थ्य स्थिति खतरे में आ सकती है। इसलिए निम्न बातों का खास ध्यान रखें :

    • बड़ी और मांसभक्षी मछलियां न खाएं : मरकरी के सेवन से बचने के लिए शार्क, स्वोर्डफिश, किंग बांगड़ा और टाइलफिश न खाएं।
    • बिना पकाए न खाएं : खतरनाक वायरस, बैक्टीरिया और बीमारियों से बचाव के लिए मछलियों और शेलफिश को अच्छे से पका कर खाएं। खासतौर से ओएस्टर, सुशी और साशिमी।
    • मछली के बारे में जाने : यदि आप मछली किसी लोकल दुकान से खरीद रहें हैं तो मछली की संपूर्ण जानकारी प्राप्त करने की बाद ही उसका सेवन करें। यदि कोई न्यूट्रिशन संबंधी जानकारी नहीं मिल पाती है तो प्रति सप्ताह 170 ग्राम से अधिक का सेवन न करें।
    • अच्छे से पका कर खाएं : अधिकतर समुद्री आहार को अंदर तक 65 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर पकाना चाहिए।

    उम्मीद करते हैं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और प्रेग्नेंसी में मछली खाना (Eating fish during pregnancy) चाहिए या नहीं इससे संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।

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