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प्रेग्नेंसी में मीठा खाने से क्या बच्चे को हो सकता है नुकसान?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Shivam Rohatgi द्वारा लिखित · अपडेटेड 27/09/2021

    प्रेग्नेंसी में मीठा खाने से क्या बच्चे को हो सकता है नुकसान?

    हाल ही में हुए एक नए अध्ययन के मुताबिक जो महिलाएं प्रेग्नेंसी में मीठा (Sweet in pregnancy) खाना अधिक पसंद करती हैं या मीठे व्यंजन का अत्यधिक सेवन करती हैं तो उनकी इस आदत का सीधा असर उनके गर्भ में पल रहे शिशु पर पड़ता है। प्रेग्नेंसी में ज्यादा मीठा खाना शिशु के बौद्धिक विकास के लिए हानिकारक होता है। इस स्टडी में बताया गया कि प्रेग्नेंसी में मीठा खाने से बच्चे को याददाश्त और शिक्षा संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। साथ ही फलों के अधिक सेवन का प्रभाव विपरीत पाया गया। आइए जानते हैं कि प्रेग्नेंसी में मीठा खाना सही है या नहीं!

    प्रेग्नेंसी में मीठा (Sweet in pregnancy) खाने पर क्या कहती है रिसर्च?

    अमेरिकन जर्नल ऑफ प्रिवेंटिव मेडिसिन में छपे नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने 1999 से 2002 तक 1000 गर्भवती महिलाओं पर शोध किया जिन्होंने प्रोजेक्ट वाइवा में हिस्सा लिया था। प्रोजेक्ट वाइवा एक ऐसा अध्ययन है जिसे खासतौर से महिलाओं और उनके शिशु पर किया जाता है। इसके अलावा शोधकर्ताओं ने सभी महिलाओं के बच्चे के आहार का मूल्यांकन किया और 3 व 7 वर्ष की उम्र में सभी जानकारियां प्राप्त की।

    शोध के परिणाम में पाया गया कि प्रेग्नेंसी के दौरान मीठा खाना शिशु के मानसिक विकास के लिए हानिकारक हो सकता है। इसके कारण उसमें बौद्धिक समस्याओं की आशंका अधिक हो जाती है। साथ ही शोधकर्ताओं ने यह भी स्पष्ट किया कि कम उम्र में अधिक मीठा खाने से भी बच्चों के बौद्धिक विकास पर प्रभाव पड़ता है। इन बौद्धिक कमियों के कारण बच्चों को चीजें याद रखने और सवालों का समाधान ढूंढ़ने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है और साथ ही इससे उनमें कम आईक्यू स्तर भी देखा गया।

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    क्या प्रेग्नेंसी में मीठा (Sweet in pregnancy) खाना चाहिए?

    प्रेग्नेंसी में मीठा खाने से कोई नुकसान नहीं होता है लेकिन इसकी मात्रा सीमित होनी चाहिए। हालांकि, यदि आपको जेस्टेशनल डायबिटीज (gestational diabetes) है तो आपको मीठा खाते समय अधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता है। इसके साथ ही ध्यान रखें कि मिठाई, कुकीज, केक और सॉफ्ट ड्रिंक में अधिक रिफाइंड शुगर होती है जिसमें शून्य पोषक तत्व मौजूद होते हैं। यदि आप प्रेग्नेंसी में इन मीठी चीजों का अधिक सेवन कर रही हैं तो आपको इन्हें तुरंत स्वस्थ आहार जैसे साबुत अनाज, फल और सब्जियों से बदलना होगा। इन सभी में प्राकृतिक मिठास होती है जो प्रेग्नेंसी में कोई नुकसान नहीं पहुंचाती हैं।

    अगर आपको किसी भी तरह की कोई समस्या नहीं है तो आप अपनी पसंद की स्वीट खा सकती हैं। लेकिन रोजाना अधिक मात्रा में मीठा खाना भी आपकी सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। आपको कुछ बातों पर ध्यान देना होगा ताकि आपको प्रेग्नेंसी में किसी तरह का नुकसान न पहुंचे।

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    प्रेग्नेंसी में मीठा खाने से क्या होता है?

    • जन्म के दौरान शिशु का वजन कम हो सकता है।
    • प्रेग्नेंसी में मीठा (Sweet in pregnancy) खाना हमारे शिशु के जीन्स में मेटाबोलिक सिंड्रोम और डायबिटीज का खतरा बढ़ा सकता है। इस स्थिति को आप चाहें तो रोक सकती हैं।
    • प्रेग्नेंसी में ज्यादा मीठा खाना ग्लूकोज और इंसुलिन (Insulin के स्तर को बढ़ा देता है। इसका मतलब अधिक मीठा खाने से प्रेग्नेंसी में डायबिटीज का खतरा बढ़ सकता है।
    • इसके कारण फैटी लिवर (Fatty liver) जैसी समस्या उत्पन्न हो सकती है।
    • आर्टिफिशियल मिठास वाली सॉफ्ट ड्रिंक और साधारण सॉफ्ट ड्रिंक दोनों का ही सेवन समय से पहले प्रसव का खतरा बढ़ सकते हैं।
    • प्रेग्नेंसी के दौरान मीठा खाना बच्चों में मोटापे की आशंका को बढ़ा देता है।
    • प्रेग्नेंसी में मिठाई युक्त आहार खाने से मितली और उल्टी की समस्या होने की आशंका बढ़ जाती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि मिठाई में अधिक कार्बोहाइड्रेट और शुगर मौजूद होती है।
    • प्रेग्नेंसी में अत्यधिक मीठा खाना अधिक वजन या मोटापे का खतरा बढ़ा सकता है।
    • अत्यधिक मिठाई खाने से बच्चे की रक्त वाहिकाओं की संरचना और स्थान में खराबी आने के कारण उनमें हृदय संबंधी रोग (Heart problem) का खतरा अधिक हो सकता है। यह जोखिम कारक जल्द से जल्द शिशु के 7 वर्ष के होने पर सामने आ सकते हैं।
    • मिठास से भरपूर आहार खाने से प्रेग्नेंसी में हाई ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure), तरल पदार्थों की कमी और पेशाब में प्रोटीन का खतरा बढ़ सकता है।

    मीठा कितना खाना चाहिए?

    प्रेग्नेंसी में मीठा खाना हानिकारक होता है लेकिन इसकी कम या अधिक मात्रा का कोई सामान्य स्तर निर्धारित नहीं किया गया है। प्रेग्नेंसी के दौरान मीठा खाना आपके मेटाबोलिक रेट, ब्लड शुगर लेवल (Blood sugar level) और वजन पर निर्भर करता है। किसी भी मामले में शुगर की मात्रा को प्रति दिन 25 ग्राम या उससे कम रखना सुरक्षित होता है। आप इस बाके में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से भी जानकारी ले सकते हैं।

    मीठा खाने का शिशु पर प्रभाव

    प्रेग्नेंसी में मीठे या कार्बोहाइड्रेट के सेवन से बढ़ते बच्चे पर प्रभाव पड़ सकता है। इसके साथ ही जेस्टेशनल डायबिटीज या अनियंत्रित टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) के कारण खून में अत्यधिक शुगर होने से शिशु को हानि पहुंच सकती है।

    प्रेग्नेंसी में मीठा खाना प्लेसेंटा तक पहुंच सकता है और भ्रूण में खून के अंदर शुगर की मात्रा को बढ़ा देता है। इसके परिणामस्वरूप बच्चे के शरीर में इंसुलिन का उत्पादन अधिक हो जाता है और बच्चा ज्यादा बढ़ने लगता है। इस स्थिति को आमतौर पर मैक्रोसोमिया कहा जाता है। आकार में बड़े हुए बच्चे को प्रसव से पैदा करने में कई प्रकार की समस्याएं आ सकती हैं जैसे कि सर्जरी से डिलिवरी और समय से पहले प्रसव।

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    प्रेग्नेंसी में क्या खा कर ब्लड शुगर लेवल (Blood sugar level) को ठीक रखा जा सकता है?

    अगर आप गर्भावस्था में मीठा नहीं खाना चाहती हैं, तो आप कुछ ऐसी चीजों को खा सकती हैं, जिससे अपना ब्लड शुगर लेवल मेंटेन रख सकती हैं। आप अपनी प्रेग्नेंसी डायट में निम्न चीजें शामिल करें :

    • प्रोटीन – लीन प्रोटीन वाले आहार, जैसे- बादाम, अंडे और मीट का सेवन अधिक करें। प्रोटीन ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित रखता है और शरीर में ऊर्जा प्रदान करता है।
    • प्रोबायोटिक्सप्रोबायोटिक्स ऐसे जीवाणु होते हैं जो पाचन की क्षमता को बढ़ाते हैं और पेट के लिए अच्छे होते हैं। यह गुड बैक्टीरिया आपको कई प्रकार के आहार से प्राप्त हो सकते हैं। यह कार्बोहाइड्रेट मेटाबॉलिज्म (उपापचय) और ब्लड में शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। प्राकृतिक दही प्रोबायोटिक्स का सबसे बेहतरीन स्रोत होता है।
    • लो-ग्लाइसेमिक आहार – लो-ग्लाइसेमिक इंडेक्स (LGI) वाले आहार का सेवन करें यानी कि जिन व्यंजनों में ग्लूकोज की मात्रा कम होती है और जिन्हें पचाना आसान होता है उनका सेवन अधिक करें। जैसे कि साबुत आनाज, बींस, जौ, दलिया, ओट्स, फल और सब्जियां। इन सभी को पचाने में अधिक समय लगता है जिसके कारण ब्लड शुगर में बढ़ोत्तरी नहीं होती है।
    • फाइबर युक्त आहार – न घुलने वाले फाइबर (Insoluble fiber)  पाचन तंत्र को स्वस्थ रखते हैं और घुलने वाले फाइबर (soluble fiber) शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। ओट्स और फलियां सबसे अधिक घुलने वाले फाइबर में से एक हैं जबकि साबुत आनाज वाले आहार न घुलने वाले फाइबर युक्त होते हैं। फल और सब्जियां दोनों प्रकार के फाइबर से भरपूर होते हैं। सेब फाइबर का एक अच्छा स्रोत है, जिसे प्रेग्नेंसी में आप रोजाना सुबह खा सकती हैं।

    गर्भावस्था में मीठा खाने की इच्छा है तो आप ठोड़ी मात्रा में स्वीट खा सकती हैं। एक बात का ख्याल रखें कि प्रेग्नेंसी के दौरान किसी भी ऐसे फूड का अधिक सेवन न करें जो आपको पसंद हो। गर्भावस्था में सभी तरह के फूड का सेवन करना चाहिए ताकि आपको फूड से सभी प्रकार के पोषक तत्व मिलें। फलों का सेवन करना आपके लिए तब तक हानिकारक नहीं है जब तक आप अधिक मात्रा में मीठा नहीं लेते हैं।

    गर्भावस्था में मीठा खाने से शरीर का इम्यून सिस्टम कमजोर हो सकता है जिसका सीधा प्रभाव शिशु और मां पर पड़ता है। कमजोर इम्यून सिस्टम के कारण बच्चे और मां में आसानी से संक्रमण फैलने का खतरा रहता है। इसलिए प्रेग्नेंसी के दौरान मीठा खाना कम कर दें और ऐसे आहर चुनें जिनसे आपको और आपके शिशु को लाभ पहुंचे। हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर इससे जुड़ा आपका कोई सवाल है, तो अधिक जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं। आप स्वास्थ्य संबंधि अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं। 

    डिस्क्लेमर

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