एक्सटर्नल सेफेलिक वर्जन (external cephalic version) (ECV) क्या है?
एक्सटर्नल सेफेलिक वर्जन प्रॉसेस गर्भावस्था के 36वें हफ्ते में और लेबर पेन के पहले की जा सकती है। इसमें गर्भ में पल रहे शिशु की पुजिशन को गर्भ में ही ठीक किया जाता है। डॉक्टर अपने हाथ से पुजिशन ठीक करने का प्रयास करता है। यह प्रक्रिया उन महिलाओं में ज्यादा सफल होती है जो दूसरी बार मां बनी हो। यह प्रॉसेस 50 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं में सक्सेसफुल होती है। ECV के बाद सिजेरियन डिलिवरी की संभावना कम हो जाती है।
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सिजेरियन डिलिवरी (C-section) क्या है?
जब शिशु का जन्म किसी कारण वजायना से न होकर सर्जरी की मदद से एब्डोमेन से करवाया जाता है, तो उसे सिजेरियन डिलिवरी कहते हैं। आजकल कपल्स सिजेरियन डिलिवरी पहले से प्लान भी करते हैं।
एक्सटर्नल सेफेलिक वर्जन और सिजेरियन डिलिवरी के अलावा ब्रीच बेबी की पुजिशन को ठीक करने के तरीके उपलब्ध हैं। इनमें शामिल हैं।
1. फॉरवर्ड-लीनिंग इनवर्जन
2. एक्यूपंक्चर और मोक्सीबस्टन
3. स्विमिंग
4. पेल्विस टिल्ट
5. कायरोपेटिक (Chiropractics)
1. फॉरवर्ड-लीनिंग इनवर्जन (Forward-Leaning Inversion)
फॉरवर्ड-लीनिंग इनवर्जन (Forward-leaning inversion) के लिए बेड या सोफे पर घुटने की मदद झुक जाएं। ऐसा करने से पेल्विस मसल्स को आराम मिलेगा और ग्रेविटी के कारण यूट्रस का पुजिशन भी ठीक रहेगी। हालांकि इसे करने से पहले अपने साथ किसी एक्सपर्ट को रखें या परिवार के सदस्य को अपने पास मदद के लिए जरूर रखें। इसे 30 सेकेंड से ज्यादा देर तक न करें और एक दिन में सिर्फ एक बार ही करें।