पेनफुल स्कारिंग के कारण सेक्स करते समय भी दर्द महसूस हो सकता है।
इनकॉन्टिनेंस की समस्या
महिलाओं को डिलिवरी के बाद यूरिनरी इनकॉन्टिनेंस या फीकल इनकॉन्टिनेंस होने की संभावना रहती है। उन महिलाओं में फीकल इनकॉन्टिनेंस होने की संभावना ज्यादा रहती है जिन्हें एनस में फोर्थ डिग्री टियर हो। जब नॉर्मल डिलिवरी के दौरान बच्चा आसानी से नहीं निकलता है तो डॉक्टर छोटा सा कट लगाते हैं। इसके बावजूद बच्चा नहीं निकल रहा है तो फोर्थ डिग्री टियर यानी लंबा कट लगाने की जरूरत पड़ती है। ये कट वजायना और एनस के बीच में लगाया जाता है। जिन महिलाओं को ये कट लगाया जाता है, उन्हें फीकल इनकॉन्टिनेंस यानी जरा सा दबाव पड़ने पर स्टूल होने की संभावना रहती है।
और पढ़ें : क्या कोज्वाॅइंट ट्विन्स की मौत एक साथ हो जाती है?
घाव कब होता है ठीक?
डिलिवरी के दौरान एपीसीओटॉमी को रिपेयर करने के लिए टांके लगाए जाते हैं। ये टांके काटने वाले नहीं होते हैं। ये कुछ समय बाद अपने आप ही हील हो जाते हैं। इसके दर्द से छुटकारा पाने के लिए ओवर द काउंटर मेडिसिन का यूज किया जा सकता है। पेन रिलीवर क्रीम या फिर बीटाडाइन को गुनगुने पानी में घोल कर सिकाई करने से भी राहत मिलती है। हो सकता है कि घाव वाली जगह से पस निकले या फिर बुखार आ जाए। ये इंफेक्शन के लक्षण हो सकते हैं।ऐसी स्थिति में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। अगर इंफेक्शन नहीं हुआ है तो घाव को ठीक होने में एक से दो सप्ताह लग सकते हैं।
एपीसीओटॉमी की हेल्प से बच्चे की डिलिवरी आसान हो जाती है, वहीं दूसरी ओर एपीसीओटॉमी के अपने रिस्क भी होते हैं। ऐसे में डॉक्टर ही इस बात का सही निर्णय ले सकते हैं कि आपको एपीसीओटॉमी की जरूरत पड़ेगी या नहीं। इसलिए इस बारे में डॉक्टर से जानकारी प्राप्त करना उचित रहेगा। डॉक्टर डिलिवरी के समय परिस्थियों के अनुसार ही कोई भी कदम उठाते हैं।
बच्चे की डिलिवरी वजायनल होगी या फिर सी-सेक्शन से, इस बारे में पहले से कहना मुश्किल होता है। अगर आप प्रेग्नेंट हैं और इस विषय में जानना चाहती हैं तो बेहतर होगा कि आप एक बार डॉक्टर से परामर्श करें। किसी भी महिला को डिलिवरी से पहले नॉर्मल डिलिवरी और सी-सेक्शन दोनों की जानकारी होना जरूरी है। ताकि वो इसके लिए खुद को तैयार कर सके। पहले से जानकारी होने पर माइंड प्रिपेयर हो जाता है और डर और अशंकाएं भी कम रहती हैं।