गर्भावस्था में शरीर का वजन सामान्य से 16 किलो तक ज्यादा बढ़ा रहता है, जिसका पूरा भार पैरों पर पड़ता है। इसलिए पैरों को स्ट्रॉन्ग रखने के लिए स्क्वॉट्स एक्सरसाइज करने की सलाह फिटनेस एक्सपर्ट्स देते हैं। इस वर्कआउट से कंधे, कमर और पैर की सभी मसल्स मजबूत होती हैं। सीधी खड़ी हो जाएं और दोनों हाथों को सामने लाएं। अब दोनों पैरों के बीच थोड़ा गैप दें और बैलेंस बनाते हुए दोनों घुटनों के सहारे शरीर को नीचे की ओर पुश करें। अब इसी अवस्था में 30 सेकंड से 1 मिनट तक रहें। इस एक्सरसाइज को करते वक्त यह ध्यान रखें कि आपके घुटने ज्यादा आगे न जाएं। इसे 10 से 15 बार किया जा सकता है।
4. वॉकिंग
प्रेग्नेंसी के आखरी महीने में अगर गर्भवती महिला एक्सरसाइज करने में असमर्थ है, तो वॉकिंग शरीर को स्वस्थ रखने के लिए आसानी से कर सकती है। गर्भावस्था के आखिरी महीने में गर्भ में पल रहा शिशु पूरी तरह से विकसित हो जाता है। इसलिए इस दौरान नियमित रूप वॉकिंग करना मां और शिशु दोनों के लिए अच्छा होता है। इस दौरान अपने डॉक्टर से यह जरूर समझें कि आपके शरीर को एक्सरसाइज की कितनी जरूरत है? प्रेग्नेंसी के दौरान एक्सरसाइज करने से जेस्टेशनल डायबिटीज का खतरा कम होता है और डिलिवरी आसानी से और नॉर्मल हो सकती है।
5. कीगल
नियमित रूप से 10-20 मिनट कीगल (Kegel) एक्सरसाइज डिलिवरी के दौरान और डिलिवरी के बाद भी हेल्थ के लिए बेहतर मानी जाती है। कीगल एक्सरसाइज करने से गर्भावस्था में होने वाली यूरिन और पेल्विक फ्लोर मसल्स संबंधी समस्या कम हो सकती है। कीगल एक्सरसाइजिस मैट पर आसानी से लेट कर की जा सकती है। इसमें पेल्विक फ्लोर की मसल्स को ऐसे मूव करना होता है जैसे कि हमने यूरिन को रोक रखा है और फिर रिलीज कर दिया है। इस एक्सरसाइज से पेल्विक फ्लोर मसल्स स्ट्रांग होती हैं और डिलिवरी के दौरान परेशानी कम होती है। गर्भावस्था के दौरान कीगल एक्सरसाइज खाली ब्लैडर (टॉयलेट के बाद) के दौरान किए जाने पर सबसे ज्यादा आरामदायक होती है। गर्भावस्था के दौरान कीगल एक दिन में 3 बार 10-10 मिनट के लिए की जानी चाहिए।
नॉर्मल डिलिवरी की एक्सरसाइज करने के फायदे
- अत्यधिक बढ़ा हुआ वजन संतुलित रहता है।
- एक्सरसाइज के कारण बॉडी फ्लेक्सिबल होती है जिससे लेबर पेन कम हो सकता है।
- शरीर में ब्लड सर्कुलेशन ठीक रहता है।
- डिलिवरी के बाद महिला जल्दी स्वस्थ हो सकती है।
- जेस्टेशनल डायबिटीज का खतरा कम होता है।