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पोस्टपार्टम इंकॉन्टीनेंस क्यों होता है? जानिए इसका इलाज

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr Sharayu Maknikar


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 30/07/2020

    पोस्टपार्टम इंकॉन्टीनेंस क्यों होता है? जानिए इसका इलाज

    डिलिवरी के समय जब महिलाएं लेबर के दौरान पुश करती हैं तो कुछ मात्रा में यूरिन बाहर आ जाती है। कई बार स्टूल भी आ सकता है। हो सकता हो कि ये कुछ लोगों को ये अजीब लगे लेकिन, ऐसा होने की संभावना रहती है। पोस्टपार्टम इंकॉन्टीनेंस को यूरिनरी इंकॉन्टीनेंस से जोड़ा जाता है। डिलिवरी के बाद महिलाओं के पेल्विक मसल्स में ढीलापन आ जाता है। इस कारण से उन्हें बार-बार वॉशरूम जाने की जरूरत पड़ सकती है। कई बार स्थिति इतनी बुरी हो जाती है कि समय पर वॉशरूम न पहुंचने पर यूरिन लीक होने की भी संभावना रहती है। फिजिकल एक्टिविटी के दौरान पोस्टपार्टम इंकॉन्टीनेंस (Postpartum Incontinence) को ज्यादा महसूस किया जाता है। इस आर्टिकल के माध्यम से जानिए कि आखिर क्यों होता है पोस्टपार्टम इंकॉन्टीनेंस ? और कैसे इस समस्या से निजात पाई जा सकती है।

    सर्वे के अनुसार

    2004 के बायोमाड सेंट्रल प्रेग्नेंसी एंड चाइल्ड बर्थ कॉहोर्ट स्टडी के अनुसार, पोस्टपार्टम इंकॉन्टीनेंस बहुत ही आम समस्या है। इसे लगभग हर महिला महसूस कर सकती है। बायोमाड की स्टडी के अनुसार जिन महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान ब्लैडर कंट्रोलिंग (bladder controlling) में समस्या होती है, उनमें पोस्टपार्टम इंकॉन्टीनेंस का रिस्क तीन गुना बढ़ जाता है।

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    यूरिनरी पोस्टपार्टम इंकॉन्टीनेंस

    तीन प्रकार के यूरिनरी इंकॉन्टीनेंस महिलाओं में पोस्ट प्रेग्नेंसी के दौरान देखने को मिल सकते हैं। स्ट्रेस इंकॉन्टीनेंस यंगर महिलाओं में बहुत कॉमन होता है जिन्होंने हाल ही में बच्चे को जन्म दिया हो। अर्जेंसी इंकॉन्टीनेंस उन महिलाओं में अधिक देखने को मिलता है जिनकी उम्र अधिक हो गई हो। ये जरूरी नहीं है कि इसे पोस्टपार्टम इंकॉन्टीनेंस से जोड़ा जाए। जो महिलाएं प्रेग्नेंसी के दौरान इंकॉन्टीनेंस महसूस करती हैं, उनमें पोस्टपार्टम इंकॉन्टीनेंस होने की संभावना बढ़ जाती है।

    अमेरिकन कॉलेज ऑफ ओब्स्टेट्रिशियन एंड गायनेकोलॉजिस्ट के अनुसार पोस्टपार्टम यूरिनरी इंकॉन्टीनेंस के तीन प्रकार का होता है। स्ट्रैस इंकॉन्टीनेंस, अर्जेंसी इंकॉन्टीनेंस, मिक्स्ड इंकॉन्टीनेंस में बांटा जा सकता है। घर में हो या फिर घर के बाहर यूरिनरी पोस्टपार्टम इंकॉन्टीनेंस महिलाओं को परेशान कर देता है। एक महिला को दिन में कई बार महसूस होता है कि उन्हें वॉशरूप जाना है। यूरिन के साथ ही खुजली की समसया भी हो सकती है।  स्टूल पास करने के दौरान भी यहीं समस्या हो सकती है।

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    • स्ट्रैस इंकॉन्टीनेंस (stress incontinence)

    ब्लैडर में फिजिकल प्रेशर के कारण यूरिन पास होती है। लिकी ब्लैडर का ये मुख्य कारण हो सकता है। ऐसा अक्सर जब हंसते, छींकते या खांसी आने के समय होता है। यह न्यू मॉम्स द्वारा अनुभव की जाने वाली सबसे आम समस्याओं में से एक है।

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    • अर्जेंसी इंकॉन्टीनेंस (Urgency incontinence)

    ब्लैडर कॉन्स्ट्रेक्शन के कारण अचानक से यूरिन आ जाना।

    मिक्स्ड इंकॉन्टीनेंस (mixed incontinence)

    ये स्ट्रैस इनकॉन्टिनेंट और अर्जेंसी इंकॉन्टीनेंस का कॉम्बिनेशन है।

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    फीकल इंकॉन्टीनेंस (Fecal Incontinence)

    फीकल इनकॉन्टिनेंस प्रेग्नेंसी और डिलिवरी के बाद हो सकता है, लेकिन ये कॉमन नहीं है। मतलब ज्यादातर महिलाओं में इसके होने की संभावना नहीं रहती है। उन महिलाओं में फीकल इंकॉन्टीनेंस होने की संभावना ज्यादा रहती है जिन्हें एनस में फोर्थ डिग्री टियर हो। जब नॉर्मल डिलिवरी के दौरान बच्चा आसानी से नहीं निकलता है तो डॉक्टर छोटा सा कट लगाते हैं। इसके बावजूद बच्चा नहीं निकल रहा है तो फोर्थ डिग्री टियर यानी लंबा कट लगाने की जरूरत पड़ती है। ये कट वजायना और एनस के बीच में लगाया जाता है।

    जिन महिलाओं को ये कट लगाया जाता है, उन्हें फीकल इंकॉन्टीनेंस यानी जरा सा दबाव पड़ने पर स्टूल होने की संभावना रहती है। यूरिनरी इंकॉन्टीनेंस थेरिपी की हेल्प से ठीक हो सकता है, जबकि फीकल इंकॉन्टीनेंस के लिए सर्जरी की सहायता लेनी पड़ सकती है। फीकल इंकॉन्टीनेंस के कारण स्टूल पास करने के दौरान दर्द भी महसूस हो सकता है। हमारी मसल्स के मुताबिक जब तक हम नहीं चाहते हैं तब तक स्टूल पास नहीं होती है। लेकिन फीकल इनकॉन्टिनेंस में न चाहते हुए भी स्टूल आसानी से पास हो जाती है। ये मसल्स के ढीलेपन की वजह से होता है। ऐस समस्या से निपटने के लिए सिवाय सर्जरी के कोई और तरीका नहीं होता है।

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    पोस्टपार्टम इंकॉन्टीनेंस की समस्या कब तक रहती है?

    इस समस्या का समय सबके लिए अलग-अलग होता है। कुछ महिलाओं में जन्म देने के कुछ हफ्तों के भीतर ही यह समस्या दूर हो जाती है। तो कुछ महिलाओं में यह कई महीनों तक चलती है। यदि शिशु के जन्म के लगभग छह सप्ताह बाद प्रसवोत्तर जांच में भी लीक की परेशानी सामने आ रही है तो अपने डॉक्टर को बताएं। त

    पोस्टपार्टम इंकॉन्टीनेंस से कैसे करें बचाव?

    प्रेग्नेंसी के दौरान पेल्विक फ्लोर एक्सरसाइज करने से पोस्टपार्टम इंकॉन्टीनेंस से बचाव किया जा सकता है।  प्रेग्नेंसी के दौरान हाई-इम्पैक्ट एक्सरसाइज न करें। जंपिंग जैक्स, जंप-रोपिंग आदि को करने से पेल्विक फ्लोर पर एक्सट्रा प्रेशर पड़ता है। प्रेग्नेंसी के दौरान स्ट्रेथिंग प्रोग्राम जैसे प्रीनेटल योगा (prenatal yoga) का सहारा लिया जा सकता है। ऐसे में डॉक्टर से बात करके भी जानकारी प्राप्त की जा सकती है। बिना डॉक्टर की राय के किसी के कहने भर से कोई उपाय न लें।

    ट्रीटमेंट ऑप्शन (treatment option)

    पोस्टपार्टम इंकॉन्टीनेंस में ट्रीटमेंट ऑप्शन को भी अपनाया जा सकता है, लेकिन ये बात निर्भर करती है कि महिला को किस तरह की समस्या हो रही है। ब्लैडर को सपोर्ट करने वाली पेल्विक मसल्स की स्ट्रेथनिंग बहुत जरूरी है। इस बारे में डॉक्टर से राय लें। डॉक्टर आपको थेरिपी और एक्सरसाइज के बारे में सजेस्ट कर सकते हैं।

    • अर्जेंसी इनकॉन्टिनेंट और फ्रीक्वेंसी ऑफ यूरिनेशन (urination) को कम करने के लिए मेडिकेशन का सहारा लिया जा सकता है।
    • सर्जरी की हेल्प से यूरेथ्रा से होने वाले लीकेज को रोका जा सकता है।
    • ब्लैडर से कनेक्ट नर्व को स्टिमुलेट करके रिपेयर किया जा सकता है।

    पोस्टपार्टम इंकॉन्टीनेंस ऐसी समस्या है जो अधिकतर महिलाएं महसूस करती हैं। कुछ महिलाओं में ये समस्या अपने आप ही ठीक हो जाती है। अगर समस्या ज्यादा है और उसकी वजह से कोई और परेशानी हो रही है तो ऐसी स्थिति में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

    उम्मीद करते हैं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और पोस्टपार्टम इंकॉन्टीनेंस से संबंधित जरूरी जानकारियां आपको मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।

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