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फीकल इंकॉन्टीनेंस (Fecal Incontinence)
फीकल इनकॉन्टिनेंस प्रेग्नेंसी और डिलिवरी के बाद हो सकता है, लेकिन ये कॉमन नहीं है। मतलब ज्यादातर महिलाओं में इसके होने की संभावना नहीं रहती है। उन महिलाओं में फीकल इंकॉन्टीनेंस होने की संभावना ज्यादा रहती है जिन्हें एनस में फोर्थ डिग्री टियर हो। जब नॉर्मल डिलिवरी के दौरान बच्चा आसानी से नहीं निकलता है तो डॉक्टर छोटा सा कट लगाते हैं। इसके बावजूद बच्चा नहीं निकल रहा है तो फोर्थ डिग्री टियर यानी लंबा कट लगाने की जरूरत पड़ती है। ये कट वजायना और एनस के बीच में लगाया जाता है।
जिन महिलाओं को ये कट लगाया जाता है, उन्हें फीकल इंकॉन्टीनेंस यानी जरा सा दबाव पड़ने पर स्टूल होने की संभावना रहती है। यूरिनरी इंकॉन्टीनेंस थेरिपी की हेल्प से ठीक हो सकता है, जबकि फीकल इंकॉन्टीनेंस के लिए सर्जरी की सहायता लेनी पड़ सकती है। फीकल इंकॉन्टीनेंस के कारण स्टूल पास करने के दौरान दर्द भी महसूस हो सकता है। हमारी मसल्स के मुताबिक जब तक हम नहीं चाहते हैं तब तक स्टूल पास नहीं होती है। लेकिन फीकल इनकॉन्टिनेंस में न चाहते हुए भी स्टूल आसानी से पास हो जाती है। ये मसल्स के ढीलेपन की वजह से होता है। ऐस समस्या से निपटने के लिए सिवाय सर्जरी के कोई और तरीका नहीं होता है।
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पोस्टपार्टम इंकॉन्टीनेंस की समस्या कब तक रहती है?
इस समस्या का समय सबके लिए अलग-अलग होता है। कुछ महिलाओं में जन्म देने के कुछ हफ्तों के भीतर ही यह समस्या दूर हो जाती है। तो कुछ महिलाओं में यह कई महीनों तक चलती है। यदि शिशु के जन्म के लगभग छह सप्ताह बाद प्रसवोत्तर जांच में भी लीक की परेशानी सामने आ रही है तो अपने डॉक्टर को बताएं। त
पोस्टपार्टम इंकॉन्टीनेंस से कैसे करें बचाव?
प्रेग्नेंसी के दौरान पेल्विक फ्लोर एक्सरसाइज करने से पोस्टपार्टम इंकॉन्टीनेंस से बचाव किया जा सकता है। प्रेग्नेंसी के दौरान हाई-इम्पैक्ट एक्सरसाइज न करें। जंपिंग जैक्स, जंप-रोपिंग आदि को करने से पेल्विक फ्लोर पर एक्सट्रा प्रेशर पड़ता है। प्रेग्नेंसी के दौरान स्ट्रेथिंग प्रोग्राम जैसे प्रीनेटल योगा (prenatal yoga) का सहारा लिया जा सकता है। ऐसे में डॉक्टर से बात करके भी जानकारी प्राप्त की जा सकती है। बिना डॉक्टर की राय के किसी के कहने भर से कोई उपाय न लें।
ट्रीटमेंट ऑप्शन (treatment option)