35 हजार से ज्यादा जुड़वां बच्चों पर रिसर्च
इस अंतर को समझने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय समूह ने जुड़वा बच्चों वाली 32 प्रेग्नेंसी के अध्ययनों की समीक्षा की। इन्हें पिछले 10 सालों में प्रकाशित और विश्लेषित किया गया। इस विश्लेषण में 35,171 जुड़वा बच्चों की प्रेग्नेंसी (29,685 दो गर्भनाल वाले और 5,486 एक गर्भनाल वाले) को शामिल किया गया।
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इस अध्ययन में गर्भाशय में बच्चों की मौत और जन्म के बाद शिशुओं की मौत के खतरों की तुलना की गई। जिसमें 34 हफ्तों के बाद अलग-अलग प्रेग्नेंसी पीरियड के समय में गर्भाशय में बच्चों की मौत और नवजात शिशुओं की मृत्यु (जन्म के 28 दिन के बाद तक) के मामले सामने आए। समूह ने पहले के परसेप्शन को ध्यान रखते हुए अध्ययन के तरीके और गुणवत्ता का भी ध्यान रखा।
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ट्विन प्रेगनेंसी डिलीवरी टाइम : 37 हफ्ते ही सबसे सेफ
विश्लेषण के आधार पर शोधकर्ताओं ने सुझाव दिया कि जुड़वा बच्चों की डिलिवरी 37 हफ्ते के पीरियड में करवाई जानी चाहिए। जिनमें दो गर्भनाल हैं। ताकि स्टिल बर्थ (जन्म के बाद 20-30 वीक में शिुश की मौत हो जाना) के जोखिम के मुकाबले प्रीमैच्योर बर्थ के बाद होने वाली शिशु मृत्यु दर को रोका जा सके।
वहीं, शोधकर्ताओं ने कहा कि एक गर्भनाल वाली जुड़वा बच्चों की प्रग्नेंसी में 36 हफ्तों के पीरियड से पहले डिलिवरी कराने को लेकर स्पष्ट साक्ष्य नहीं मिले। इस पर दक्षिणी दिल्ली के लाजपत नगर में स्थित सपरा क्लीनिक की सीनियर गायनेकॉलोजिस्ट डॉक्टर एस के सपरा ने कहा, ‘जुड़वा बच्चों की डिलिवरी के मामले में 37 हफ्तों का समय इसलिए बेहतर माना जाता है क्योंकि इस अवधि में बच्चों को संपूर्ण विकास हो जाता है।’
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