गर्भधारण का समय (Pregnancy time) प्लान कर रहें हैं तो सबसे पहले गर्भधारण करने वाली महिला का फिट होना आवश्यक है। अगर गर्भधारण करने वाली महिला सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर (SAD) से पीड़ित हैं, तो ऐसे में महिला को अपनी इस परेशानी को दूर करना चाहिए। सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर होने की वजह से विंटर सीजन यानी ठंड के मौसम में गर्भधारण की वजह से कंसीव करने वाली महिला को ठंड के मौसम और प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाले हॉर्मोनल बदलाव की वजह से शारीरिक परेशानी हो सकती है। जिसका नकारात्मक प्रभाव महिला के इमोशनल हेल्थ पर भी पड़ सकता है। प्रेग्नेंसी का समय (Pregnancy time) (कंसीव करने का समय) स्प्रिंग बेहतर माना जाता है, क्योंकि मार्च और अप्रैल महीने के बाद फ्लू और सर्दी-जुकाम का खतरा कम रहता है।
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यूनिवर्सिटी ऑफ इंडियाना, यूएसए के द्वारा किये गए रिसर्च के अनुसार दिसंबर को गर्भधारण का समय (Pregnancy time) सबसे बेहतर होता है। यह समय इसलिए सबसे बेस्ट माना गया है क्योंकि मौसम बहुत अच्छा होता है। इस समय में कपल भी एक दूसरे के साथ ज्यादा समय बिता पाते हैं। इस दौरान स्पर्म की क्वॉलिटी भी अच्छी होती है।
गर्भधारण का समय (Pregnancy time) प्लान करने से पहले पारिवारिक स्थिति को भी समझना बेहद जरूरी होता है। दरअसल गर्भावस्था के शुरुआत से ही गर्भवती महिला में कई तरह के शारीरिक बदलाव होते हैं। ऐसे में उन्हें भावनात्मक सहारे (emotional support) की बेहद जरूरत होती है, क्योंकि शुरुआत के तीन महीने किसी भी गर्भवती महिला के लिए थोड़ा कठिन होता है। ऐसे में फैमली सपोर्ट आवश्यक हो जाता है। गर्भावस्था के दौरान हर महिला मानसिक और शारीरिक तौर पर अलग-अलग अनुभव कर सकती हैं। कुछ महिलाएं प्रेग्नेंसी के समय से लेकर बेबी डिलिवरी के बाद भी पूरी तरह से स्वस्थ और खुशनुमा माहौल में रहती हैं, तो वहीं कुछ ऐसी भी महिलाएं होती हैं जो प्रेग्नेंसी के दौरान कई शारीरिक और मानसिक समस्याओं का सामना करती हैं। कुछ गर्भवती महिलाएं शिशु के जन्म के बाद होने वाली शारीरिक और मानसिक समस्या का भी अनुभव कर सकती हैं। इनसभी पहलु को समझना जितना गर्भधारण करने वाली महिला को समझना जरूरी है, उतना ही उनके लाइफ पार्टनर को।
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गर्भधारण का समय (Pregnancy time) प्लान करने से पहले अपने वर्किंग स्टाइल को समझें:-