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प्रेग्नेंसी के मिथक कर रहे हैं परेशान तो एक बार जरूर पढ़ लें ये आर्टिकल

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. हेमाक्षी जत्तानी · डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 23/09/2021

    प्रेग्नेंसी के मिथक कर रहे हैं परेशान तो एक बार जरूर पढ़ लें ये आर्टिकल

    अगर आप प्रेग्नेंट हैं तो आपने महसूस किया होगा कि कुछ लोग आपको गर्भावस्था के बारे में पहले से बहुत कुछ बता देते हैं। प्रेग्नेंसी के मिथक (Myths about Pregnancy) आपको कई बार भ्रमित कर सकते हैं। प्रेग्नेंसी के मिथक में फंसने से अच्छा है कि आपको सभी बातों की सही जानकारी होनी चाहिए। प्रेग्नेंसी के मिथक कई बार बड़ी समस्या खड़ी कर देते हैं क्योंकि हमें इसके बारे में सही जानकारी नहीं होती। कुछ लोग कहते हैं कि ये करना चाहिए, कुछ कहते हैं कि प्रेग्नेंसी के दौरान ऐसा बिलकुल मत करों। हो सकता है कि आप इन बातों से बहुत ज्यादा परेशान हो चुकी हैं। इस आर्टिकल के माध्यम से प्रेग्नेंसी के मिथक (Pregnancy myths) को दूर करने की कोशिश की जाएगी। आप भी इसे पढ़ें, हो सकता है कि अपने प्रश्नों का सही जवाब यहां मिल जाए।

    प्रेग्नेंसी के मिथक (Pregnancy myths)-  पेट की पुजिशन से पता चल जाएगा कि लड़का है या लड़की?

    सच – पेट की पुजिशन से या वेडिंग रिंग से बच्चे के जेंडर का पता नहीं चलता है। प्रेग्नेंसी के दौरान मिथक है कि पेट के ऊपर वेडिंग रिंग रखने के बाद उसके मूमेंट के हिसाब से ये पता लगाया जा सकता है कि बच्चा ज्यादा एक्टिव है तो रिंग नहीं गिरेगी। ये बच्चा लड़का हो सकता है। अगर रिंग गिर गई तो ये लड़की होगी। एक डॉक्टर ही अल्ट्रासाउंड से बच्चे के जेंडर का पता लगा सकता है।

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    प्रेग्नेंसी के मिथक (Pregnancy myths)-  प्रेग्नेंसी के दौरान हर्बल टी (Herbal tea) सेफ है।

    सच-  ज्यादातर हर्बल टी प्रेग्नेंसी के दौरान सेफ रहती हैं लेकिन आप एक बार डॉक्टर से संपर्क कर लेंगी तो अच्छा रहेगा। कुछ हर्बल टी में प्रीमैच्योर लेबर का खतरा रहता है। एक बात हमेशा याद रखें कि नैचुरल का मतलब सेफ नहीं होता है। अगर आपको किसी हर्बल को लेकर समस्या है तो एक बार डॉक्टर से जरूर संपर्क करें।

    प्रेग्नेंसी के मिथक (Pregnancy myths)  ज्यादा घी खाने से डिलिवरी (Delivery) आसान हो जाती है

    सच-  घी में सेचुरेटेड फैट होता है। इसके ज्यादा सेवन से आपका वजन बढ़ सकता है। लोगों में आम धारणा है कि घी लुब्रिकेट का काम करेगा और डिलिवरी को आसान बनाएगा। इस बात में कोई सच्चाई नहीं है।

    प्रेग्नेंसी के मिथक- प्रेग्नेंसी के समय दो लोगों के बराबर खाना चाहिए ? (Should you eat equal to two people during pregnancy?)

    सच – अगर आपने ये सोचकर खाना खाया तो सकता है कि आपको समस्या हो जाएं। प्रेग्नेंसी के समय भूख के हिसाब से खाना चाहिए। साथ ही खाने में पौष्टिक आहार भी लेना चाहिए।

    प्रेग्नेंसी के मिथक- मूंगफली और डेयरी पदार्थ (Dairy products) खाने से होने वाले बच्चे को एलर्जी (Allergy) हो सकती है?

    सच- इस खाद्य पदार्थों से किसी भी प्रकार की एलर्जी नहीं होती है। अगर आपको मूंगफली से एलर्जी है तो एक बार अपने डॉक्टर से जरूर संपर्क करें। कुछ खाद्य पदार्थ जैसे कच्चा मांस, मछली, या आंशिक रूप से पकाए गए अंडे से आपको समस्या हो सकती है।

    प्रेग्नेंसी के मिथक- सही समय पर क्रीम लगाने से स्ट्रैच मार्क्स (Starch marks) दूर हो जाते हैं।

    सच- अभी तक ऐसा कोई सुबूत नहीं मिला है कि क्रीम से पूरी तरह से स्ट्रेच मार्क्स गायब हो जाते हैं। ऐसी बहुत सी क्रीम मार्केट में उपलब्ध हैं जो स्ट्रेच मार्क्स को गायब करने का दावा करती हैं।

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    प्रेग्नेंसी के मिथक (Pregnancy myths) – मैं प्रेग्नेंसी के समय पेट्स से दूरी बनाना चाहती हूं, मुझे खतरा हो सकता है ।

    सच- जब आप प्रेग्नेंट हो जाए तो पालतू जानवर से दूरी बनाकर रखने की जरूरत नहीं हैं। अगर आपके घर में पालतू है तो आपको कुछ बातों का ध्यान रखने की जरूरत होती है। पालतू के मल से टोक्सोप्लाजमोसिज नाम की बीमारी होने का खतरा रहता है। आप घर में सफाई के दौरान ग्लब्स का उपोग करें।

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    प्रेग्नेंसी के मिथक-  प्रेग्नेंसी के दौरान सेक्स (Sex during pregnancy) नहीं करना चाहिए, बच्चे को नुकसान पहुंचता है।

    ऐसा बिलकुल नहीं होता क्योंकि बच्चा एम्नियोटिक सैक में पुरी तरह सुरक्षित रहता है। इस दौरान आपको इंफेक्शन से बचने की जरूरत होती है। आप चाहे तो प्रेग्नेंसी शुरुआत में या फिर प्रेग्नेंसी के आखिरी में सेक्स कर सकती हैं। जिन महिलाओं को कोई भी समस्या नहीं है, वो अपने कंफर्ट के हिसाब से गर्भावस्था के आखिरी दिनों में सेक्स को एंजॉय कर सकती हैं। जिन महिलाओं को प्रेग्नेंसी के शुरुआत में कोई कॉम्प्लिकेशन हो तो उन्हें सावधानी बरतने की जरूरत है। हम ऐसे लोगों को प्रेग्नेंसी में सेक्स न करने की सलाह देते हैं। आखिरी महीना नाजुक होता है। कॉम्प्लिकेशन के दौरान सेक्स अन्य समस्या उत्पन्न कर सकता है।’

    प्रेग्नेंसी के मिथक- मॉर्निक सिकनेस (Morning sickness) केवल मॉर्निंग में होती है।

    ऐसा नहीं है। प्रेग्नेंसी के शुरुआत के तीन महीने के दौरान महिलाओं को मितली, उल्टी की समस्या होती है। मॉर्निंग सिकनेस की समस्या सुबह के समय ज्यादा महसूस होती है लेकिन ये कभी भी हो सकती है। वैसे तो मॉर्निंग सिकनेस की समस्या तीन महीने तक ही रहती है, लेकिन कुछ महिलाओं को अधिक समय तक भी ये परेशानी हो सकती है।

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    प्रेग्नेंसी के मिथक (Pregnancy myths)-  प्रेग्नेंसी में सेक्स पुजिशन चेंज करने से कोई फर्क नहीं पड़ता है ।

    जिस तरह से प्रेग्नेंसी में सेक्स सेफ होता है, ठीक उसी तरह से प्रेग्नेंसी में सेक्स को एंजॉय भी किया जा सकता है। जैसे सामान्य दिनों में कपल्स सेक्स को एंजॉय करते हैं, ठीक वैसे ही प्रेग्नेंसी में भी सेक्स पुजिशन चेंज करके सेक्स का आनंद लिया जा सकता है।शरीर में बदलाव की वजह से महिला चाहे तो सेक्स पुजिशन में कुछ बदलाव अपना सकती है। हो सकता है कि आपको नए पुजिशन ज्यादा अच्छी लगे। प्रेग्नेंसी की आखिरी तिमाही में पेट का आकार बढ़ जाता है। ऐसे में  कुछ सेक्स पुजिशन प्रेग्नेंट महिला के लिए आरामदायक हो सकती हैं। प्रेग्नेंसी के दौरान सेक्स और पुजिशन को लेकर अगर आपके मन में कोई भी प्रश्न हो तो ये बात अपने डॉक्टर के साथ डिस्कस करें।

    प्रेग्नेंसी के मिथक (Pregnancy myths)- प्रेग्नेंसी से पहले देखभाल की जरूरत नहीं पड़ती है।

    अगर आपके मन में भी ये बात है तो इस बारे में सच जरूर जानें। प्रेग्नेंसी से पहले होने वाली मां को देखभाल की जरूरत पड़ती है। अगर मां पहले से ही कमजोर होगी तो होने वाले बच्चे पर भी इसका असर पड़ेगा।  मां के स्वस्थ्य न होने पर समय से पहले जन्म और प्रेग्नेंसी के दौरान अन्य तरह की जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है। प्रेग्नेंसी के पहले देखभाल करने पर महिला की स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं खत्म हो जाती हैं। यानी मां और बच्चे दोनों की सेहत के लिए गर्भधारण से पहले देखभाल आवश्यक है।

    हो सकता है कि आपने मन में प्रेग्नेंसी के मिथक की लंबी सूची हो। अगर आपको भी लगता है कि आपके मन में प्रश्न है तो उसका उत्तर किसी और से लेने की बजाय अपने डॉक्टर से संपर्क करें। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है।

    गर्भावस्था में कई तरह के हॉर्मोनल बदलावों के कारण बहुत कुछ अजीब खाने का मन करता है। कभी खट्टा या कभी तीखा या चटपटा खाने का मन करता है। ऐसे में गर्भावस्था के समय हेल्दी खाने की आदत विकसित करनी चाहिए। वहीं, गर्भावस्था में खानपान को लेकर कई तरह के मिथक भी हैं। एक ऐसा ही सवाल किया है राजस्थान की रहे वाली टीना कुमार ने।

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    प्रेग्नेंसी के मिथक से जुड़े सवाल

    सवाल 

    टीना ने पूछा है कि “मेरी उम्र 29 साल है। मैं पहली बार गर्भवती हुई हूं। कृपया बताएं कि किसी भी गर्भवती महिला को क्या-क्या खाना चहिए और क्या नहीं? क्या इस दौरान मिर्च और अचार खाना मना होता है?”

    जवाब

    टीना के इस सवाल के लिए हैलो स्वास्थ्य ने नई दिल्ली के मैक्स हॉस्पिटल की गाइनाकॉलेजिस्ट व आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. श्वेता गोस्वामी से बात की। डॉ. श्वेता कहती हैं कि गर्भावस्था के दौरान घर पर बना संतुलित आहार ही सर्वोत्तम होता है। आहार में विटामिन व मिनरल्स की पूरी मात्रा होना जरूरी है। गर्भावस्था के दौरान फ्राइड, स्पाइसी और खट्टा खाने से परहेज करना चाहिए। बाहर का खाना और जूस भी नहीं लेना चाहिए। अगर आपको जूस पीना ही है तो घर पर बनाया जूस पिएं। पिज्जा, बर्गर जैसे फूड्स से प्रेगनेंसी में बचना चाहिए। पानीपूरी या गोलगप्पे का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि हमें पता नहीं होता उसका पानी कैसे बना है? अगर हो सके तो घर का बना ही खाना चाहिए। 

    डॉ. गोस्वामी ने बताया कि हमारे समाज में एक मिथक है कि इस दौरान खूब अचार खाना चाहिए। अगर आपका पेट ठीक रहता है तब तो आप अचार खा सकती हैं, लेकिन अगर आपकी पाचन क्रिया ठीक नहीं है तो मिर्च और अचार नहीं खाना चाहिए। इससे आपके पेट में जलन की समस्या भी हो सकती है।

    डिस्क्लेमर

    हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

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