एक स्टडी के मुताबिक, मिडिल ईस्ट और नॉर्थ अफ्रीका, ईस्ट एशिया और पेसिफिट, साउथ एशिया और उप-सहारा अफ्रीका के कई देशों में प्रत्येक 1000 डिलीवरी के दौरान एक से तीन गर्भवती महिलाओं को ऑब्स्टेट्रिक फिस्टुला की समस्या होती है। जिसकी वजह से यूरिन व मल लीक होने की समस्या जैसे कई फिजिकल व एनाटॉमिक प्रेशर के अलावा महिलाओं में विभिन्न शारीरिक व मानसिक बुरे परिणाम देखने को मिलते हैं। आइए, इन प्रभावों के बारे में जानते हैं।
प्रसूति नालव्रण से दिमाग और भावनाओं से जुड़ी परेशानी
ऑब्स्टेट्रिक फिस्टुला से ग्रसित महिलाओं को दुनिया से बेदखल, बहिष्कृत और एक शक्तिहीन समूह के रूप में देखा व कहा जाता रहा है। कई संस्कृति व देशों में जहां महिलाओं को इस समस्या का सामना करना पड़ता है, वहां इसे न सिर्फ एक शारीरिक समस्या माना जाता है, बल्कि इससे उनकी गृहस्थ जिंदगी पर भी काफी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। जीओएच और अन्य (2005) ने बांग्लादेश और इथियोपिया से प्रसूति नालव्रण की शिकार महिलाओं से सायकाइट्रिक डिसऑर्डर स्क्रीनिंग टूल की मदद से कुछ सवाल किए। जिसमें पाया गया कि, करीब 97 फीसदी महिलाओं को कोई संभावित मेंटल हेल्थ डिस्फंक्शन है और करीब 23 से 39 प्रतिशत महिलाओं को गंभीर डिप्रेशन है। इसके अलावा कुछ स्टडी में, इस समस्या की वजह से महिलाओं के आइसोलेशन में रहने, सुसाइड करने के प्रमाण मिले हैं। लेकिन, इस समस्या की वजह से उनका मर्डर या हॉरर किलींग जैसी किसी स्थिति के आंकड़े प्रकाशित नहीं मिले, हालांकि, घरेलू हिंसा बढ़ने के कुछ प्रमाण अवश्य हैं।
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आर्थिक प्रेशर
मौजूद स्टडी के आंकलन के बाद यह बात समझी जा सकती है कि, दर्ज मामलों में से 31 प्रतिशत से 66.7 प्रतिशत मामलों में यह ऑब्स्टेट्रिक फिस्टुला पहली बार प्रसव कर रही महिलाओं में देखी गई है। जिससे उनकी समाज में रहने लायक मानसिक स्थिति, कार्य करने की शारीरिक क्षमता और स्टिलबर्थ या इनफर्टिलिटी आदि की वजह से नौकरी छूट जाती है या वह कार्य करने के लिए मानसिक तौर पर सक्षम नहीं रह पाती। जिसकी वजह से महिलाओं को एक इमोशनल ट्रॉमा से गुजरते हुए आर्थिक दबाव का बोझ भी उठाना पड़ सकता है। यह समस्या सिंगल मदर या खराब पारिवारिक स्थिति से जूझ रही महिलाओं के लिए काफी खतरनाक साबित हो सकती है।
प्रसूति नालव्रण (Obstetric Fistula) से त्वचा संबंधी समस्या
प्रसूति नालव्रण की वजह से त्वचा पर यूरिनरी अमोनिया के जमने के कारण उत्तेजना और अल्सर हो सकता है। यूरिन की वजह से क्रॉनिक मॉइश्चर और उसकी एसिडिटी की वजह से यूरिक एसिड क्रिस्टल बनने लगते हैं और त्वचा संक्रमित हो जाती है।