3. यूटरस (Uterus) का साइज बड़ा रहना
जैसे-जैसे आपकी डिलिवरी (Delivery) नजदीक आती है आपका यूटरस आकार में 15 गुना ज्यादा बड़ा हो जाता है। आमतौर गर्भवती होने से पहले के साइज के मुकाबले यह ज्यादा बड़ा हो जाता है। डिलिवरी के बाद (Post delivery) इसका आकार छोटा होने लगता है। जैसे-जैसे यह कॉन्ट्रैक्ट होता है वैसे-वैसे इसका आकार घटने लगता है। कई बार आपको इसमें दर्द भी होता है। इसको लेकर घबराने की जरूरत नहीं है।
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इसे ठीक करने के लिए आप एक वॉर्म पैक का इस्तेमाल कर सकती हैं या अपनी डॉक्टर से दर्द को कम करने की दवा की सलाह भी ले सकती हैं। इस पर सेंट्रल मुंबई की वॉकहार्ट हॉस्पिटल की कंसल्टेंट ओबस्टेट्रिक्स गायनोकोलॉजिस्ट डॉक्टर गांधाली देवरुखर पिल्लई ने कहा, ‘यूटरस का वजन करीब 60 ग्राम होता है। वह इतना छोटा होता है कि हमारी मुट्ठी में समा जाए। गर्भाशय में शिशु के विकास की अवधि के आगे बढ़ने पर यह अपना आकार बढ़ा लेता है।’
डॉक्टर गांधाली के मुताबिक, यूटरस को दोबारा अपने पुराने साइज में आने के लिए करीब 3-6 महीनों तक का वक्त लगता है। इसी के साथ ही आपके पेट का आकार भी कम होता है। उन्होंने कहा कि यूटरस के साइज में बदलाव आना एक सामान्य प्रक्रिया है।
4. स्तनों (Breast) का बड़ा होना
शिशु को जन्म देने के बाद ज्यादातर महिलाओं के स्तन में परिवर्तन आता है। बच्चे के जन्म लेने के बाद महिला के स्तनों का आकार सामान्य के मुकाबले बढ़ जाता है। डिलिवरी के बाद हार्मोन्स स्तनों को दूध (Milk) का उत्पादन करने के लिए संकेत भेजते हैं, जिसे आप शिशु को पिलाती हैं। शुरुआत के कुछ दिनों तक आपके शरीर में कोलोस्ट्रम बनता है, जो पोषक तत्वों से भरपूर होता है। यह पदार्थ दूध में मिलकर आपके शिशु के भीतर जाता है। यह बैक्टीरिया (Bacteria) से शिशु की रक्षा करता है। इसलिए स्तन के आकार का बढ़ना सामान्य है।
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