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प्रेग्नेंसी स्कैन हर महिला के लिए क्यों है जरूरी? पढ़ें यह आर्टिकल

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. हेमाक्षी जत्तानी · डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 28/10/2021

    प्रेग्नेंसी स्कैन हर महिला के लिए क्यों है जरूरी? पढ़ें यह आर्टिकल

    प्रेग्नेंसी स्कैन हर महिला के लिए बेहद ही जरूरी है। कई बार इसे एंटीनेटल चेकअप के नाम से भी जाना जाता है। प्रेग्नेंसी स्कैन में गर्भवती महिलाओं के कई प्रकार के टेस्ट किए जाते हैं। अल्ट्रासाउंड स्कैन, ब्लड टेस्ट, एक्सरे और यूरिन टेस्ट प्रेग्नेंसी स्कैन में शामिल हैं। आज हम आपको इस आर्टिकल में प्रेग्नेंसी स्कैन की विस्तृत जानकारी देंगे। उम्मीद है कि इससे आपको और आपके शिशु फायदा मिलेगा।

    निम्नलिखित टेस्ट प्रेग्नेंसी स्कैन में आते हैं:

    प्रेग्नेंसी स्कैन: जानिए क्या है एंटीनेटल चेकअप?

    एंटीनेटल चेकअप बेहद ही जरूरी है। इस चेकअप के दौरान आपका डॉक्टर, मिडवाइफ और अन्य हेल्थकेयर प्रोफेशनल आपके शिशु और आपकी हेल्थ का आंकलन करेगा। जरूरी नहीं कि प्रेग्नेंसी के दौरान आपकी किसी भी प्रकार की समस्या का सामना करना पड़ रहा है तभी आपको जाना पड़े। एंटीनेटल चेकअप के दौरान आपकी प्रेग्नेंसी की स्केनिंग की जाती है। इससे संभावित खतरों का भी आंकलन किया जा सके और समय रहते इन्हें रोका या कम किया जा सके। इस दौरान आप अपने डॉक्टर या मिडवाइफ से किसी भी प्रकार की जानकारी हासिल कर सकती हैं। हर ट्रैमेस्टर में आपके शिशु की हेल्थ कैसी है, आप इस सवाल का जवाब भी मांग सकती हैं।

    इस चेकअप के दौरान आप मानसिक स्वास्थ्य या डायट्री सलाह को मिलाकर लाइफस्टाइल से जुड़े सवालों या एल्कोहॉल या स्मोकिंग को छोड़ने को लेकर सलाह मांग सकती हैं। इस एंटीनेटल चेकअप का सबसे बड़ा फायदा यह है कि आप घर में महसूस की जाने वाली हर समस्या के बारे में चर्चा कर सकती हैं।

    एंटीनेटल चेकअप में किन बातों का चलेगा पता

    • आपकी मौजूदा सेहत और शिशु या आपको संभावित खतरों की जानकारी
    • प्रेग्नेंसी स्टेज
    • ऐसी कोई भी समस्या, जिसका सामना आप कर रही हैं।
    • मेडिकल हिस्ट्री के नतीजे, सामान्य हेल्थ और पिछली प्रेग्नेंसी में रही किसी भी प्रकार की समस्या।
    • उन सभी दवाइयों के बारे में विस्तृत जानकारी, जिनका सेवन आप कर रही हैं।
    • यह सुनिश्चित करना कि आपका मानसिक स्वास्थ्य ठीक है और यदि आपको डिप्रेशन या एंजाइटी है तो आपकी मदद की जाए।
    • यूरिन टेस्ट, ब्लड टेस्ट
    • डायट और लाइफस्टाइल में बदलाव को लेकर आपको सलाह दी जा सकती है।
    • आपके पेट का आंकलन करना और शिशु की दिल की धड़कन को सुनना।
    • घर के माहौल के बारे में सवाल जवाब और आपको किसी प्रकार का सपोर्ट दिया गया है। यदि आप पारिवारिक हिंसा का सामना कर रही हैं या आपके परिवार में ऐसा कुछ घट रहा है तो इस संबंध में सलाह ली जा सकती है।

    उपरोक्त चरणों का आंकलन करने के लिए आपको विभिन्न प्रकार के टेस्ट और जांच से गुजरना पड़ता है, जिनकी विस्तृत जानकारी नीचे दी गई है।

    प्रेग्नेंसी स्कैन: अल्ट्रासाउंड स्कैन क्या है?

    • अल्ट्रासाउंड स्कैन से गर्भाशय में शिशु की तस्वीरें ली जाती हैं। हालांकि अल्ट्रासाउंड स्केन में किसी भी प्रकार का दर्द नहीं होता है। इसका मां और शिशु की हेल्थ पर किसी भी प्रकार का साइड इफेक्ट्स नहीं पड़ता है। अल्ट्रासाउंड स्केन प्रेग्नेंसी की किसी भी स्टेज में किया जा सकता है। यदि आप अल्ट्रासाउंड को लेकर चिंतित हैं तो अधिक जानकारी के लिए अपनी मिडवाइफ या गायनोकोलॉजिस्ट से बात करें।
    • कई महिलाओं के लिए अल्ट्रासाउंड प्रेग्नेंसी के मोटी जानकारी उपलब्ध कराता है। अल्ट्रासाउंड स्केन में एक गर्भवती महिला के लिए गर्भाशय में अपने बच्चे को हांथ पैर चलाते हुए देखना काफी रोमांचकारी होता है।
    • आमतौर पर अल्ट्रासाउंड स्केन एक खुशनुमा पल होता है, लेकिन यह गंभीर समस्याओं का भी पता लगाता है। अल्ट्रासाउंड कराने से पहले आपको अपने आपको इस स्थिति के लिए भी तैयार रखना होगा।
    • यदि अल्ट्रासाउंड में कुछ समस्याओं का पता चलता है तो इसका ध्यान रखें। यदि इसके बाद कुछ अन्य टेस्ट कराने की सलाह दी जाए तो उनके लिए भी आपको तैयार रहना पड़ेगा।

    और पढ़ें: क्यों जरूरी है ब्रीच बेबी डिलिवरी के लिए सी-सेक्शन?

    प्रेग्नेंसी स्कैन: अल्ट्रासाउंड स्कैन में क्या होगा?

    ज्यादातर सोनोग्राफर्स अल्ट्रासाउंड स्केन को करते हैं। यह टेस्ट एक मंद रोशनी वाले कमरे में किया जाता है, जिससे सोनोग्राफर आपके शिशु की बेहतर तस्वीरें ले पाए। इसके लिए आपको काउच पर लेटने के लिए कहा जाएगा। इसके बाद पेट के हिस्से के कपड़ों को ऊपर करने के लिए कहा जाएगा। इसके बाद सोनोग्राफर अल्ट्रासाउंड जेल को आपके पेट पर लगाएगा और कपड़ों के आसपास टिस्सू पेपर लगा देगा। इससे यह जेल आपके कपड़ों में नहीं लगेगा। यह जेल आपकी स्किन और मशीन के बीच में एक बेहतर संपर्क स्थापित करती है।

    इस दौरान सोनोग्राफर आपके पेट के ऊपर अल्ट्रासाउंड मशीन से जुड़े कुछ उपकरण पूरे पेट पर घुमाएगा। इन उपकरणों से अल्ट्रासाउंड किरणें निकलती हैं, जो आपके पेट से दोबारा मशीन में वापस जाती हैं।

    इस दौरान एक ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीर अल्ट्रासाउंड स्क्रीन पर नजर आएगी। यह तस्वीर आपके बच्चे की होगी। इस जांच के दौरान सोनोग्राफर को इस स्क्रीन को एक स्थिति में बनाए रखने की आवश्यकता होगी, जिससे बच्चे की बेहतर तस्वीरें ली जा सकें।

    सोनोग्राफर सावधानीपूर्वक आपके बच्चे की बॉडी की जांच करेगा। स्केन से आपको या शिशु को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा, लेकिन इस दौरान आपके पेट पर हल्का दबाव पड़ेगा, जिसे शिशु की बेहतर तस्वीरें ली जा सकें।

    कितनी देर तक चलेगा अल्ट्रासाउंड

    आमतौर पर अल्ट्रासाउंड स्केन को पूरा करने में 20-30 मिनट का समय लगेगा। हालांकि, यदि आपका बच्चा सीधी पोजिशन में नहीं है या चारो तरफ मूव कर रहा है तो सोनोग्राफर उसकी बेहतर तस्वीरें नहीं ले पाएगा।

    प्रेग्नेंसी स्कैन: अल्ट्रासाउंड स्केन कब होता है?

    आमतौर पर 8-14 हफ्तों के बीच

    18-21 हफ्तों के बीच अल्ट्रासाउंड स्केन किया जाता है।

    और पढ़ें: प्लेसेंटा प्रीविया हो सकता है शिशु और मां के लिए जानलेवा

    अल्ट्रासाउंड स्केन से क्या पता चलता है?

    • 12 हफ्तों पर आपके शिशु का साइज क्या है, इसकी जानकारी मिलती है।
    • आप कितने महीनों से गर्भवती हैं।
    • आपकी ड्यू डेट कब है, इसकी जानकारी अल्ट्रासाउंड स्केन से मिलती है।
    • किसी भी प्रकार की फिजिकल समस्या का पता चलता है।
    • आपके गर्भ में एक से ज्यादा बच्चे हैं, इसकी जानकारी अल्ट्रासाउंड से ही मिलती है।
    • अल्ट्रासाउंड स्केन से शिशु की असल स्थिति के बारे में पता चलता है।
    • आपको प्लेसेंटा प्रीविया है या नहीं।

    प्रेग्नेंसी स्कैन: एनोमोली स्कैन क्या है?

    • अल्ट्रासाउंड स्केन में ही एनोमोली स्केन किया जाता है। यह 18-21 हफ्तों के बीच किया जाता है। यह एक विस्तृत जांच होती है। इसमें अल्ट्रासाउंड के माध्यम से यह पता लगाया जाता है कि शिशु उचित तरीके से विकसित हो रहा है या नहीं या शिशु में किसी भी प्रकार की असामान्यताएं आ रही हैं।
    • प्रेग्नेंसी के दौरान होंगे आपके ब्लड टेस्ट
    • प्रेग्नेंसी के दौरान आपके ब्लड टाइप का पता लगाना बेहद ही जरूरी होता है। इससे यह पता चलता है कि आप आरएच (Rh-negative) हैं या नहीं।
    • आपके इम्यून में रुबेला (जर्मन खसरा) है या नहीं।
    • आपको एचआईवी, हेपेटाइटिस-बी, रुबेला या सिफलिस या अन्य प्रकार के इंफेक्शन है या नहीं।
    • आपकी बॉडी में आयरन का स्तर क्या है, इसकी जानकारी भी ब्लड टेस्ट से मिलती है।
    • आपको प्रेग्नेंसी में होने वाली डायबिटीज है या नहीं।

    और पढ़ें: Urine Test : यूरिन टेस्ट क्या है?

    यूरिन जांच है जरूरी

    • प्रेग्नेंसी के शुरुआती दिनों में आपके यूरिन की जांच होगी। इस जांच में यह पता चलेगा कि आपको यूरिन इंफेक्शन है या नहीं, जिसके चलते प्रीटर्म डिलिवरी या बच्चे का वजन कम हो सकता है।
    • वजायनल स्वेब (Vaginal swab test) 36-38 हफ्तों के बीच होगा, जिसमें ग्रुप बी स्ट्रेप्टोकोककि (Streptococci) की जांच होगी। डिलिवरी के दौरान यह शिशु में फैल सकता है। ऐसा होने पर बच्चा बीमार पड़ सकता है।
    • यदि आपको उच्च जोखिम में माना जाता है तो आपकी निम्नलिखित जांचे हों सकती हैं:
    • हेपेटाइटिस-सी
    • क्लायमेडिया
    • सिमप्टोमेटिक बैक्टीरियल वेजिनोसिस (asymptomatic bacterial vaginosis)
    • विटामिन डी की कमी

    और पढ़ें: रीसस क्या है? और एंटी डी इंजेक्शन इससे कैसे बचाता है?

    आरएच टाइप टेस्ट (Rh type)

    • यदि आप आरएच नेगेटिव हैं और आपका भ्रूण आरएच पॉजिटिव है तो इस स्थिति में समस्या खड़ी हो सकती है। इस स्थिति में महिला की बॉडी में आरएच पॉजिटिव बच्चे के खिलाफ एक विशेष प्रकार की एंटीबॉडी बनना शुरू हो जाती हैं जो भ्रूण को नष्ट कर देती हैं।
    • यदि आप भी इस स्थिति में हैं तो निम्नलिखित समयावधि के दौरान आपको टेस्ट कराना बेहद ही जरूरी है:
    • 26 से 28 हफ्तों पर एंटीनेटल टेस्ट के लिए जाएं।
    • 34 से 36 हफ्तों के बीच एंटीनेटल टेस्ट के लिए जाएं।
    • आरएच पॉजिटिव बच्चे को जन्म देने के बाद आपको एक विशेष एंटी डी इंजेक्शन दिया जाएगा, जो आरएच नेगेटिव महिला के इम्यून सिस्टम को आरएच पॉजिटिव शिशु की लाल रक्त कोशिकाओं को रिजेक्ट करने से रोकने के लिए होगा।

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    खसरे का टेस्ट

    ज्यादातर लोगों में खसरे का संक्रमण हल्का होता है, लेकिन प्रेग्नेंसी के शुरुआती 16 हफ्तों के बीच महिला यदि इसके संपर्क में आती है तो यह शिशु के लिए खतरनाक हो सकता है। यदि ऐसा होता है तो शिशु को स्थाई रूप से जन्मदोष होने का खतरा हो सकता है। आपको खसरा है या नहीं, इसे जानने के लिए एक ब्लड टेस्ट किया जा सकता है।

    डायबिटीज की जांच

    प्रेग्नेंसी स्कैन में कई प्रकार के टेस्ट किए जाते हैं। गर्भावस्था के दौरान कई महिलाओं का ब्लड ग्लूकोज लेवल बढ़ जाता है। इसे जेस्टेटेनल डायबिटीज के नाम से जाना जाता है। आमतौर पर प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाली डायबिटीज की जांच 26-28 हफ्तों के बीच होती है।

    और पढ़ें: क्या आप एनीमिया के प्रकार के बारे में जानते हैं?

    एमिनोसेनटेसिस (Amniocentesis)

    प्रेग्नेंसी के प्रत्येक ट्रैमेस्टर में प्रेग्नेंसी स्कैन किया जाता है। आम भाषा में कहें तो हर ट्रैमेस्टर में प्रेग्नेंसी की स्थिति जानने के लिए कुछ टेस्ट किए जाते हैं। प्रेग्नेंसी स्कैन की कड़ी में एमिनोसेनटेसिस एक ऐसी ही टेस्ट है। यह टेस्ट उन महिलाओं में किया जाता है, जिनके शिशु में जन्मदोष का खतरा सबसे ज्यादा रहता है। आमतौर पर यह टेस्ट 15 हफ्तों पर किया जाता है। इसमें भ्रूण की विसंगतियों या असामान्यताओं जैसे डाउन सिंड्रोम, सिस्टिक फाइब्रोसिस, स्पाइना बायफिडा  की जांच की जाती है।

    इस जांच में एक पतली सुई के जरिए गर्भाशय के एमिनिओटिक फ्लूड की जांच की जाती है। इसमें शिशु को इंफेक्शन या इंजरी का खतरा रहता है। इस टेस्ट में गर्भपात का भी खतरा रहता है। हालांकि ऐसे मामले बेहद ही दुर्लभ होते हैं।

    अंत में हम यही कहेंगे कि आपको भी नियमित रूप से प्रेग्नेंसी स्कैन कराना चाहिए। प्रेग्नेंसी स्कैन में होने वाले टेस्ट मां और शिशु दोनों के लिए ही बेहद ही महत्वपूर्ण हैं। यदि आप भी अपनी प्रेग्नेंसी को लेकर चिंतित हैं तो तत्काल प्रेग्नेंसी स्कैन के लिए अपने डॉक्टर से सलाह लें।

    हेलो हेल्थ किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार उलब्ध नहीं कराता।

    डिस्क्लेमर

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    Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 28/10/2021

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