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बच्चे को पेट के बल सुलाना नहीं है सेफ, जानें सही बेबी स्लीपिंग पुजिशन

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Mayank Khandelwal


Shikha Patel द्वारा लिखित · अपडेटेड 12/05/2021

    बच्चे को पेट के बल सुलाना नहीं है सेफ, जानें सही बेबी स्लीपिंग पुजिशन

    पेरेंट्स बच्चे के खाने-पीने, नहलाने, उसके साथ खेलना और ऐसी ही कई बातों का बेहद ख्याल रखते हैं। इन सबके अलावा बेबी स्लीपिंग पुजिशन का भी ख्याल रखना जरूरी है। हालांकि, सुनने में माता-पिता को यह आसान लगता है लेकिन, बच्चों को सही पुजिशन में सुलाना काफी चुनौतीपूर्ण हो सकता है। खासकर उन कपल्स के लिए, जो पहली बार पेरेंट्स बने हो।  

    बेबी स्लीपिंग पुजिशन ठीक न होना, एसआईडीएस (सडन इंफेंट डेथ सिंड्रोम) का कारण बन सकती है। बेबी स्लीपिंग पुजिशन सही न होने से दम घुटने या गला घुटने का खतरा अधिक रहता है। यदि घर में नवजात शिशु है, तो ऐसे में यह जाना बेहद जरूरी हो जाता है कि बच्चे के लिए सोने के लिए कौन-सी पुजिशन ठीक है।  

    कुछ सेफ और अनसेफ बेबी स्लीपिंग पुजिशन निम्नलिखित हैं। जिनके बारे में पेरेंट्स को जानना बेहद जरूरी है:

    और पढ़ें : बच्चे को पेट के बल सुलाना नहीं है सेफ, जानें सही बेबी स्लीपिंग पुजिशन

    पीठ के बल सोना (बेस्ट बेबी स्लीपिंग पुजिशन)

    बेबी स्लीपिंग पुजिशन, जो बच्चे के लिए सेफ हैं में शिशु का पीठ के बल सोना सबसे सुरक्षित माना जाता है। बच्चे को इस पुजिशन में नींद तो अच्छी आती ही है, साथ ही वह आरामदायक भी महसूस करता है। यूएस के एनआईसीएचडी (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ एंड ह्यूमन डेवलपमेंट) ने पीठ के बल सोने को को सबसे बेहतरीन पुजिशन बताया है। उनके अनुसार, छोटे नैप (झपकी) या गहरी नींद के लिए यह पुजिशन ठीक है।  

    पेट के बल सोना नहीं है सेफ बेबी स्लीपिंग पुजिशन  

    पेट के बल सोना सुरक्षित बेबी स्लीपिंग पुजिशन नहीं है। शिशु को पेट के बल सोने से जबड़ा दबता है। इससे उसे सांस लेने में परेशानी हो सकती है और घुटन महसूस हो सकती है। यदि बच्चा गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स (gastroesophageal reflux) या अन्य पेट की परेशानी से ग्रस्त हो, तो ऐसे में कुछ डॉक्टर्स शिशु को पेट के बल सुलाने की सलाह देते हैं।  

    बेबी स्लीपिंग पुजिशन में करवट लेकर सोना नहीं है सही  

    बच्चे का करवट लेकर सोना भी सही और सेफ बेबी स्लीपिंग पुजिशन नहीं माना जाती क्योंकि सोते समय बच्चा अपने पेट को रोल-ऑन करता है। ऐसे में एसआईडीएस (सडन इंफेंट डेथ सिंड्रोम) का खतरा बढ़ जाता है।

    बेबी स्लीपिंग पुजिशन का ध्यान रखने के साथ ही कुछ अन्य बाते हैं जिनका ध्यान बच्चों को सुलाते वक्त रखना चाहिए।

    सेफ बेबी स्लीपिंग पुजिशन के अलावा शिशु को लपेटते समय रखें ध्यान

    बच्चे को सुलाते समय लपेटना अच्छा रहता है, लेकिन सेफ बेबी स्लीप के लिए बच्चों को कसकर लपेटना सही नहीं रहेगा। बच्चे को इस प्रकार से लपेटें कि वो अपने हाथ पैर से मूमेंट कर सके। साथ ही बच्चे के उठ जाने पर उसे थोड़ा सा खोल देना बेहतर रहेगा। सोते समय कसकर लपेट देने से बच्चों को सांस लेने में दिक्कत हो सकती है।

    बच्चे को लपेटने के लिए सूती और सॉफ्ट कपड़े का ही प्रयोग करें। जब भी बच्चे को लपेटे, थोड़ा सा स्पेस जरूर छोड़ दें ताकि बच्चा आसानी से हाथ-पैर को हिला सके। अगर बच्चा हाथ और पैर सही से नहीं हिला पाएगा तो उसे उलझन महसूस हो सकती है। ऐसे में बच्चा रो भी सकता है। इन बातों का ध्यान जरूर रखें।

    सेफ बेबी पुजिशन में सुलाते वक्त न करें पिलो यूज

    आपने कई बार देखा होगा कि माएं बच्चे को पालने में तकिए की मदद से कवर करके सुलाती है। साथ ही गर्दन पर पिलो भी लगाती हैं। ऐसा नहीं करना चाहिए। जब बच्चा बड़ा हो जाए तो ऐसा किया जा सकता है। नवजात बच्चे के तकिया लगाने से उसे सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। शिशु और वयस्क अलग-अलग होते हैं। तकिया लगाने से नवजात शिशु का दम घुट सकता है। प्रतिवर्ष तकिया लगाने से 32 बच्चों की मौत हो जाती है। सेफ बेबी स्लीप के लिए बेहतर रहेगा कि नवजात के लिए गद्दे का प्रयोग करें। तकिए का प्रयोग गद्दों के किनारे करें। ये सेफ बेबी स्लीप के लिए बेहतर रहेगा।

    सेफ बेबी स्लीप के लिए बच्चे के लिए मध्यम लाइट का यूज करना भी बेहतर रहता है। रात में कमरे में अंधेरा करके ना सोएं। हो सकता है कि माता-पिता को लगे कि बच्चा अंधेरे में जल्दी सो जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं है। जब बच्चे का पेट भर जाता है तो बच्चा अपने आप सो जाता है। लाइट का तेज होना बच्चे के लिए परेशानी खड़ी कर सकता है।

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    बेस्ट बेबी स्लीपिंग पुजिशन, बच्चे के साथ सोना

    अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के अनुसार सेफ बेबी स्लीप के लिए शिशुओं को जन्म के करीब एक से दो साल तक माता-पिता के साथ सोना चाहिए। आकड़ों के अनुसार ऐसा करने से बच्चों में इंफेंट डेथ सिंड्रोम (SIDS) के चांस 50 प्रतिशत तक कम हो जाते हैं। साथ ही बच्चे को सोने के लिए अपने स्पेस की जरूरत होती है। अगर पेरेंट्स में कोई भी ध्रूमपान करता है तो बेबी सेफ स्लीप पॉसिबल नहीं हो पाता है। ऐसे में बच्चों को सोते समय खतरा हो सकता है। सांस लेने में जोखिम बढ़ जाता है।

    सेफ बेबी स्लीपिंग पुजिशन के अलावा बच्चे के बिस्तर के लिए नर्म गद्दे का उपयोग करें

    नवजात शिशु को ज्यादा से ज्यादा नींद की जरुरत होती है, ऐसे में शिशु के बिस्तर के लिए नर्म गद्दे का उपयोग करना बेहद जरूरी है। गद्दे नर्म होने की वजह से बच्चा आरामदायक नींद ले सकता है।

    सेफ बेबी स्लीपिंग पुजिशन के लिए रजाई और कम्फर्टर का इस्तेमाल न करें

    बिस्तर को नर्म बनाने के लिए गद्दे के ऊपर रजाई और कम्फर्टर का उपयोग नहीं करना चाहिए। ज्यादा गर्माहट से बच्चे की त्वचा को नुकसान पहुंच सकता है। नर्म गद्दे के ऊपर, एक साफ कॉटन की चादर का इस्तेमाल करना चाहिए। यह बच्चे की स्किन के लिए सुरक्षित होने के साथ-साथ कम्फर्टेबल भी होती है।    

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    बच्चे को सेफ बेबी स्लीपिंग पुजिशन में सुलाते वक्त कम्बल का प्रयोग ध्यान से करें 

     कम्बल का प्रयोग मौसम के अनुसार करना चाहिए। यदि शिशु के ऊपर कम्बल ढंक रहें है, तो सुनिश्चित करें कि कम्बल शिशु के हाथों से नीचे हो। सोते समय ब्लेंकेट चेहरे तक न जाए, ऐसे में उसे सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। ज्यादा हैवी का कम्बल का यूज न करें। इससे बच्चे का दम भी घुट सकता है।

    सेफ बेबी स्लीपिंग पुजिशन के साथ ही सोते समय कपड़े हल्के हो

    रात में आरामदायक और अच्छी नींद के लिए, यह बेहद जरूरी है कि शिशु ने हल्के कपड़े पहने हो।  

     रात में कमरा ठंडा रखें

    शिशु को बेहतर नींद देने के लिए, कमरे का तापमान 20 डिग्री सेंटीग्रेट होना चाहिए।  

    नेशनल स्लीप फाउंडेशन के अनुसार, “नवजात शिशुओं को 24 घंटे में 14-15 घंटे की नींद मिलनी चाहिए। कुछ बच्चे दिन में 18-19 घंटे तक सो सकते हैं। हर शिशु की नींद का पैटर्न अलग होता है। शिशु के सोने का पैटर्न कुछ भी हो लेकिन, उनकी बेबी स्लीपिंग पुजिशन एकदम सही होनी चाहिए।

    हम उम्मीद करते हैं कि सेफ बेबी स्लीपिंग पुजिशन और सेफ बेबी स्लीप पर लिखा गया यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा। अगर सेफ बेबी स्लीपिंग पुजिशन को लेकर किसी प्रकार की अन्य जानकारी चाहते हैं तो डॉक्टर से कंसल्ट करें। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान और उपचार प्रदान नहीं करता।

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