सरोगेसी प्रॉसेस उन महिलाओं के लिए वरदान है जो नैचुरल तरीकों से मां नहीं बन पाती। ऐसे में वे सरोगेट मदर की हेल्प लेती हैं। सरोगेट मां की फीलिंग (Surrogate motherhood feeling) समझ पाना मुश्किल काम है। बच्चे को नौ महीने तक पेट में रखने के बाद किसी दूसरे को बच्चा सौंपना सेरोगेट मां के लिए कठिन भी हो सकता है। सरोगेसी के पहले कुछ नियम के तहत सरोगेट मां को कानूनी तौर रजामंद होना पड़ता है। साथ ही सरोगेट मां का साइकोलॉजिकल टेस्ट भी लिया जाता है। इस आर्टिकल के माध्यम से जानिए कि सरोगेट मां की फीलिंग क्या होती हैं और किस तरह से वो अपनी मानसिक सेहत का ख्याल रखती है।