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प्रेग्नेंसी के दूसरे ट्राइमेस्टर में एक्सरसाइज करना चाहती हैं तो ये करना होगा फायदेमंद

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr. Shruthi Shridhar


Nidhi Sinha द्वारा लिखित · अपडेटेड 20/01/2021

    प्रेग्नेंसी के दूसरे ट्राइमेस्टर में एक्सरसाइज करना चाहती हैं तो ये करना होगा फायदेमंद

    गर्भावस्था के दौरान या बाद में मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए व्यायाम करना एक आसान और सबसे बेहतर तरीका है। प्रेग्नेंसी का दूसरा ट्राइमेस्टर महिलाओं के लिए थोड़ा कठिन होता है। दूसरे ट्राइमेस्टर में एक्सरसाइज करना महिलाओं के अंदर फुर्ती लाता है और उन्हें रिफ्रेश करता है। दूसरे ट्राइमेस्टर में एक्सरसाइज, योग और वॉक से गर्भवती महिला अपने आपको स्वस्थ रख सकती है। प्रग्नेंसी के दूसरे ट्राइमेस्टर में एक्सरसाइज करने से शारीरिक लाभ मिलना तो तय है, लेकिन कई बार यह सवाल उठता है कि क्या प्रेग्नेंसी के दूसरे ट्राइमेस्टर में एक्सरसाइज करना ठीक है या नहीं?

    प्रेग्नेंसी के दूसरे ट्राइमेस्टर में एक्सरसाइज करने के क्या हैं फायदे?

    दूसरे ट्राइमेस्टर में एक्सरसाइज करना हर तरह से गर्भवती महिला और उसके बच्चे के लिए अच्छा होता है। प्रेग्नेंसी के दौरान दूसरे ट्राइमेस्टर में एक्सरसाइज करना सबसे सही तरीका है, जिससे गर्भवती महिला खुद को फिट रखने के साथ-साथ गर्भ में पल रहे शिशु (भ्रूण) को भी फिट रख सकती है। वैसे गर्भावस्था की शुरुआत से ही नियमित और हल्की एक्सरसाइज करने से गर्भवती महिला फिट रहने के साथ-साथ नॉर्मल डिलिवरी के लिए तैयार होती है। लेकिन प्रेग्नेंसी के दूसरे ट्राइमेस्टर में एक्सरसाइज करना आपके साथ-साथ आपके बच्चे के विकास में पॉजिटिव असर डालता है।

    चौथे से छठे महीने में क्या एक्सरसाइज करना सही है?

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    प्रेग्नेंसी के दूसरे ट्राइमेस्टर में एक्सरसाइज के फायदेः

    यूं तो हमेशा ही एक्सरसाइज करना महिलाओं के लिए सही है लेकिन प्रेग्नेंसी के दौरान एक्सरसाइज करना गर्भवती महिला को अलग-अलत तरह से फायदा पहुंचा सकता है। दूसरे ट्राइमेस्टर में एक्सरसाइज में एक्सरसाइज के फायदे इस तरह से हैंः

  • बैक पेन की समस्या, कब्ज, ब्लोटिंग की स्थिति में आराम मिलता है
  • शरीर में होने वाली सूजन में कमी आती है
  • जेस्टेशनल डायबिटीज का खतरा कम हो सकता है
  • बॉडी में एनर्जी बनी रहती है
  • मूड स्विंग्स भी न के बराबर होता है
  • शारीरिक बनावट ठीक रहती है
  • मांसपेशियां मजबूत रहती हैं
  • अच्छी नींद आती है
  • नियमित रूप से व्यायाम करने से डिलिवरी के वक्त परेशानी कम हो सकती है
  • डिलिवरी के बाद शरीर ठीक रहता है
  • वजन नियंत्रित रहता है
  • गर्भावस्था के दौरान नियमित रूप से एक्सरसाइज करने से सिजेरियन डिलिवरी की आवश्यकता कम हो सकती है
  • ब्लड प्रेशर की समस्या नहीं होती है
  • मॉर्निंग सिकनेस कम होती है
  • और पढ़ें: प्रेग्नेंसी के दौरान बढ़ सकता है शुगर लेवल, ऐसे करें कंट्रोल

    प्रेग्नेंसी के दूसरे ट्राइमेस्टर में एक्सरसाइज की जा सकती है?

    प्रेग्नेंसी के दूसरे ट्राइमेस्टर में एक्सरसाइज करने के लिए हमेशा कम मेहनत वाली लो-इंटेंसिटी एक्सरसाइज चुनें। यहां बताई गई एक्सरसाइज प्रेग्नेंसी के दूसरे ट्राइमेस्टर में की जा सकती हैं:

    1. फॉरवर्ड पुल अप्स (Forward Pull Ups)

    जिम ट्रेनिंग के दौरान महिलाओं को अक्सर जिम में फॉरवर्ड पुल अप्स करवाया जाता है। प्रेग्नेंसी के दूसरे ट्राइमेस्टर में एक्सरसाइज करने के लिए फॉरवर्ड पुल अप्स आसान और लो-इंटेंसिटी एक्सरसाइज है। फॉरवर्ड पुल अप्स करने के लिए सबसे पहले सीधी खड़ी हो जाएं फिर एक पैर को आगे बढ़ाएं, हल्का झुक जाएं और घुटने को हाथ से पकड़ें। अब दूसरे हाथ में सबसे कम वजन का डम्बल उठाकर हाथ सीधा करते हुए अपने कंधे तक लाएं। दूसरे हाथ से भी ऐसा करें। ऐसा 20-20 बार दोनों हाथों से करें।

    2. फॉरवर्ड लंजस (Forward Lunges)

    सीधी खड़ी हो जाएं और दोनों हाथों को कमर पर रख लें। अब एक पैर आगे बढ़ाएं और बैलेंस बनाते हुए हल्का अपने आपको नीचे की ओर पुश करें। फॉरवर्ड लंजस को दोनों पैर से एक-एक करके करें। फॉरवर्ड लंजस की यह प्रक्रिया आप 25 से 30 बार कर सकती हैं। दूसरे ट्राइमेस्टर में एक्सरसाइज करते समय आपको यह ध्यान रखना होगा कि आपके बेबी बंप पर ज्यादा प्रेशन ना पड़ें। फॉरवर्ड लंजस करना गर्भवती महिलाओं के पैर को स्ट्रॉन्ग बनाता है और उन्हें अंदर से मजबूती देता है।

    और पढ़ेंप्रेग्नेंसी में न करें ये 9 एक्‍सरसाइज, गर्भवती और शिशु को पहुंचा सकती हैं नुकसान

    3.  प्रेग्नेंसी में एक्सरसाइज:  स्क्वॉट्स (squats)

    सीधी खड़ी हो जाएं और दोनों हाथों को सामने लाएं और हाथों की अंगुलियों से स्पर्श करें। दोनों पैरों के बीच थोड़ा गैप दें और बैलेंस बनाते हुए दोनों घुटनों के सहारे शरीर को नीचे की ओर पुश करें। इस एक्सरसाइज को करते वक्त यह ध्यान रखें की आपके घुटने ज्यादा आगे न जाएं। इसे 10 से 15 बार किया जा सकता है। दूसरे ट्राइमेस्टर में एक्सरसाइज करने के लिए स्क्वॉट्स को अपने रूटिन में शामिल करें। यह महिलाओं के लोअर पार्ट को मजबूत बनाता है जिससे उन्हें प्रेग्नेंसी के दौरान कम परेशानी होती है। डिलिवरी को आसान बनाने के लिए दूसरे ट्राइमेस्टर में एक्सरसाइज करना जरूरी होता है। ऐसा करना जहां एक तरफ महिलाओं के स्वास्थ के लिए बेहतर वहीं बच्चों को भी इससे फायदा मिलता है।

    4.  प्रेग्नेंसी में एक्सरसाइज : अपराइट रो (Upright Row)

    दूसरे ट्राइमेस्टर में एक्सरसाइज करने के लिए आपको जिम में जाने की जरूरत नहीं है। आप घर पर खुद से एक्सरसाइज कर सकती हैं। इसके लिए आपको एक कुर्सी और दो हल्के डंबल की जरूरत होती है। अपराइट रो करने के लिए कुर्सी पर बैठ जाएं। शरीर का हिस्सा सीधा रखें। अब दोनों हाथों में सबसे हल्के वजन का डंबल उठाएं और दोनों हाथों को चेस्ट तक लाएं। फिर हाथ को स्ट्रेट रखें। ऐसा 20 बार तक करें। ये पेट की मांसपेशियों में खिंचाव आता है जिसकी वजह से गर्भवती महिलाएं के बेबी बंप के विकास में मदद मिलती है।

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    5.  प्रेग्नेंसी में एक्सरसाइज:  शोल्डर प्रेस (Shoulder Press)

    अपराइट रो की पुजिशन में बैठी रहें। अब दोनों हाथों को आराम से और धीरे-धीरे ऊपर ले जाएं। इनहेल और एक्सहेल करते हुए नीचे लाएं। ऐसा आप 25 से 30 बार तक कर सकती हैं। अगर आपको शोल्डर प्रेस करने में दिक्कत हो रही हो तो बेहतर होगा कि शुरूआत में आप 10 से 20 बार शोल्डर प्रेस करें।

    और पढ़ें6 मंथ प्रेग्नेंसी डाइट चार्ट : इस दौरान क्या खाएं और क्या नहीं?

    प्रेग्नेंसी के दूसरी ट्राइमेस्टर में एक्सरसाइज कर रहीं हैं, तो निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें –

      उपरोक्त दी गई जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। प्रेग्नेंसी के दौरान एक्सरसाइज करना प्रेग्नेंसी को आसान बनाता है। अगर आपके प्रेग्नेंसी के दौरान किसी तरह का कॉम्प्लीकेशन है तो एक्सरसाइज के दौरान सावधानी रखना बहुत जरूरी है। हो सकता है कि ऐसे में डॉक्टर आपको एक्सरसाइज करने की सलाह न दें।              ऊपर बताईं गईं 5 एक्सरसाइज गर्भावस्था के चौथे से छठे महीने तक आसानी से की जा सकती हैं, लेकिन एक्सरसाइज कितनी भी आसान क्यों न हो? बिना डॉक्टर की सलाह के न करें और अगर एक्सरसाइज करने के दौरान फिटनेस एक्सपर्ट साथ हो तो और भी अच्छा।

    डिस्क्लेमर

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