backup og meta

प्रेग्नेंसी में एसिडिक फूड क्यों नहीं खाना चाहिए?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Mayank Khandelwal


Sunil Kumar द्वारा लिखित · अपडेटेड 05/05/2021

    प्रेग्नेंसी में एसिडिक फूड क्यों नहीं खाना चाहिए?

    प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को खान-पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। प्रेग्नेंसी में एसिडिक फूड खाना गर्भवती को नुकसान पहुंचा सकता है। प्रेग्नेंसी में एसिडिक फूड खाने से जहां महिलाओं को एसिडिटी की शिकायत होती है वहीं प्रेग्नेंसी के दौरान दूसरी समस्याएं भी हो सकती हैं। प्रेग्नेंसी के दौरान डायट में कई बार गलत चीजें खा लेने से उन्हें काफी परेशानी उठानी पड़ती है। अलग-अलग फूड प्रेग्नेंट महिला की बॉडी पर अलग-अलग तरीके से रिएक्ट करते हैं। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल उठता है कि क्या प्रेग्नेंसी के दौरान एसिडिक फूड खाना सुरक्षित है या नहीं। प्रेग्नेंसी में एसिडिक फूड खाने के फायदे शायद ही किसी को महसूस होता है लेकिन इसके नुकसान से हर कोई वाकिफ है। इस आर्टिकल में प्रेग्नेंसी में एसिडिक फूड खाने के फायदे और नुकसान के बारे में जानकारी दी जा रही है।

    [mc4wp_form id=’183492″]

    और पढ़ेंः प्रेग्नेंसी में इयर इंफेक्शन का कारण और इससे राहत दिलाने वाले घरेलू उपाय

    एसिडिक फूड क्या होते हैं?

    यदि किसी फूड की pH वैल्यू 4.6 से नीचे होती है तो इसे एसिडिक फूड माना जाता है। हमारे पेट का pH लेवल 3.5 होता है, जो फूड को ठीक से तोड़ने में मददगार होता है। प्रेग्नेंसी में एसिडिक फूड खाने से पेट का एसिडिक पीएच और बढ़ जाता है जिससे आपको सीने में जलन (हार्बटर्न), खट्टी डकार और गले में जलन जैसा अहसास हो सकता है। हर किसी को एसिडिटी का अलग-अलग स्तर महसूस होता है। किसी को अधिक जलन होती है किसी को कम लेकिन प्रेग्नेंसी में एसिडिक फूड खाने से होने वाली जलन के कारण कई बार महिलाओं को उल्टी भी हो जाती है।

    और पढ़ें: प्रेग्नेंसी के दौरान ज्यादा सप्लीमेंट्स लेना हो सकता है हानिकारक

    क्यों नुकसान करते हैं प्रेग्नेंसी में एसिडिक फूड?

    प्रेग्नेंसी के दौरान डायजेशन प्रक्रिया में खाना ग्रास नली में जाता है। उसके बाद यह लोअर एसोफेगिअल स्पिंस्टर (lower oesophageal sphincter) से होते हुए पेट में जाता है। LES वेल्व (lower oesophageal sphincter)  ग्रास नली और पेट के बीच में एक दरवाजे का काम करती है, जो खाने को वापस लौटने से रोकती है।

    प्रेग्नेंसी में एसिडिक फूड खाने पर लोअर एसोफेगिअल स्पिंस्टर (एलईएस) रिलेक्स हो जाता है और पेट में मौजूद एसिड ग्रास नली के ऊपर तक चढ़ आता है।  इससे  खट्टी डकार, एसिडिटी और हार्टबर्न हो सकता है।

    और पढ़ें: पुरुषों की स्मोकिंग की वजह से शिशु में होने वाली परेशानियां

    प्रेग्नेंसी में एसिडिक फूड ज्यादा नुकसानदायक होते हैं?

    प्रेग्नेंसी के दौरान हार्मोंस में बदलाव होने की वजह से ग्रास नली की मसल्स बार-बार रिलैक्स होती हैं। ऐसी सूरत में पेट में मौजूद एसिड बार-बार ऊपर की तरफ आता है। बिस्तर पर लेटने या ज्यादा खाना खाने से ऐसा होता है। प्रेग्नेंसी में एसिडिक फूड खाने से तो एसिडिटी होती ही है कई बार महिलाओं के प्रेग्नेंसी के लक्षण में एसिडिटी की बिना एसिडिक फूड खाए भी होता है।

    डॉक्टरों की मानें तो प्रेग्नेंसी में एसिडिक फूड खाना समस्या को और बढ़ा देते हैं। पेट का पीएच लेवल पहले ही एसिडिक होता है। इस स्थिति में प्रेग्नेंसी में एसिडिक फूड आग में घी डालने का काम करते हैं। प्रेग्नेंसी में एसिडिक फूड खाने से पेट में अम्ल की मात्रा और बढ़ जाती है। मुंबई स्थित डॉक्टर श्रुति श्रीधर ने कहा, ‘प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को पहले ही एसिडिटी की समस्या से जूझना पड़ता है। इस स्थिति में एसिडिक फूड इस समस्या को और बढ़ा देते हैं। इससे बचने के लिए बेहतर होगा कि एक संतुलित डाइट प्लान अपनाया जाए। प्रेग्नेंसी में एसिडिक फूड खाना महिलाओं को अवॉयड करना चाहिए।’

    और पढ़ें: प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए डायट चार्ट, जानें क्या और कितना खाना है?

     प्रेग्नेंसी में एसिडिक फूड से होती है हार्टबर्न की समस्या

    प्रेग्नेंसी में एसिडिक फूड खाने से गले, सीने और पेट में जलन बढ़ जाती है। पहले ट्राइमेस्टर के दौरान ग्रासनली में मौजूद मसल्स फूड को पेट की तरफ काफी धीमी रफ्तार से धक्का देती हैं। ऐसे में आपका पेट लंबे समय तक खाली रह सकता है। इससे आपकी बॉडी को भ्रूण के लिए पोषक तत्व सोखने के लिए ज्यादा समय मिल जाता है लेकिन, इसका नतीजा हाटबर्न के रूप में भी आता है। प्रेग्नेंसी में एसिडिक फूड खाने से होने वाला हार्टबर्न गर्भवती महिलाओं को परेशान कर सकता है। प्रेग्नेंसी में एसिडिक फूड खाने की वजह से हार्टबर्न की समस्या होने पर महिलाएं खाना खाने से कतराती है जिसका सीधा असर भ्रूण की सेहत पर होता है।

    तीसरे ट्राइमेस्टर के दौरान बच्चे की बढ़ती ग्रोथ पेट और आंतों पर दबाव डालती है। जिससे हाटबर्न की समस्या पैदा होती है। हालांकि, हर महिला में इसका असर अलग-अलग होता है। प्रेग्नेंट होने का मतलब यह नहीं कि आपको हार्बटर्न होगा ही। इसके पीछे मनोविज्ञान, डायट, डेली रूटीन की आदतें जैसे कई कारण हो सकते हैं।

    आर्गेनिक और स्थानीय आहार को स्वादिष्ट बनाने के लिए वीडियो देख लें एक्सपर्ट की राय

    कौन से फूड होते हैं एसिडिक?

    एसिडिक फूड्स में अनाज, चीनी, कुछ डेयरी प्रोडक्ट्स, मछली, प्रोसेस्ड फूड, ताजा मीट और प्रोसेस्ड मीट, सोडा और दूसरे बेवरेज और हाई प्रोटीन फूड और सप्लिमेंट्स आते हैं। इनका पीएच स्तर काफी कम होता है। नींबू, अंगूर, अनार, ब्लूबैरी, अनानास, सेब, आडू, संतरा और टमाटर का पीएच भी काफी कम होता है जो कि एसिडिक माने जाते हैं। प्रेग्नेंसी में एसिडिक फूड खाने से बचें और कोशिश करें कि ऊपर बताएं हुए फूड्स को अवॉयड कर सकें। प्रेग्नेंसी में एसिडिक फूड का असर हर किसी के शरीर पर अलग-अलग होता है लेकिन फिर भी सावधानी बरतना जरूरी है।

    और पढ़ें: भ्रूण के लिए शराब कैसे है नुकसानदेह ?

    एसिडिक फूड से होने वाली अन्य परेशानियां

    प्रेग्नेंसी में एसिडिक फूड जैसे प्रोटीन या शुगर का ज्यादा सेवन करने से यूरिन में एसिड बढ़ने के साथ-साथ दूसरी समस्याएं भी हो सकती हैं। कई बार इसकी वजह से आपको किडनी स्टोन, जिसे यूरिक एसिड स्टोन के नाम से जाना जाता है होने का डर रहता है। इसलिए गर्भावस्था के दौरान अधिक परेशानियों

    अब तो आप समझ ही गईं होगी कि प्रेग्नेंसी के दौरान यदि आप एसिडिक फूड लेती हैं तो इसके कई नुकसान हो सकते हैं। बॉडी में एसिडिटी बढ़ेगी, जिससे हड्डियों और मसल्स को भी नुकसान पहुंचता। हड्डियों में कैल्शियम होता है और बॉडी में एसिड बढ़ने की वजह से ब्लड के पीएच लेवल को सामान्य करने के लिए बॉडी कैल्शियम का इस्तेमाल करती है। इससे हड्डियों पर असर होता है। इसलिए प्रेग्नेंसी के दौरान अपने खान-पान का विशेष ध्यान रखें। एसिडिटी की समस्या होने पर तुरंत अपने डॉक्टर से बाते करें।

    प्रेग्नेंसी के दौरान न करें कैफीन का अत्यधिक सेवन 

    हो सकता है कि आपको कॉफी, चाय, सॉफ्ट ड्रिंक और कोकोआ काफी ज्यादा पसंद हो। आप इस दुनिया में अकेले नहीं है जिसे कैफीन प्रोडक्ट काफी भाते हैं। अमेरिकन कॉलेज ऑफ ऑब्स्टट्रिशन एंड  गायनकोलॉजिस्ट के अनुसार गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान कैफीन का सेवन कम कर देना चाहिए या फिर न ही करें तो उनके स्वास्थ्य के लिए बेहतर होगा। यदि करें भी तो 200 मिलिग्राम रोजाना करें। कैफीन को हमारा शरीर काफी जल्द एब्जॉर्ब करता है वहीं यह प्लेसेंटा में काफी जल्दी पास होता है। बता दें कि शिशुओं को प्लेसेंटा की आवश्यकता नहीं पड़ती है, ऐसे में कैफीन का सेवन कर उसकी संख्या में इजाफा करना सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। यदि गर्भावस्था में कोई अत्यधिक मात्रा में कैफीन का सेवन करती है तो देखा गया है कि फेटल ग्रोथ सामान्य प्रकार से नहीं हो पाता है। वहीं संभावनाएं रहती है कि शिशु के जन्म के समय उसका वजन कम हो।

    जन्म के समय कम वजन का अर्थ शिशु का 2.5 किलोग्राम से कम होता है। कैफिन के पदार्थ का सेवन करने वालों में ऐसी संभावनाएं अधिक रहती है। ऐसे में बच्चों जन्म के समय डेथ रेट और आगे चलकर क्रॉनिक बीमारियां होने की संभावनाएं भी अधिक रहती है। बेहतर यही होगा कि आप अपने खानपान पर ध्यान दें।

    शराब का कतई न करें सेवन 

    सुरक्षा कारणों से गर्भवती महिलाओं को सलाह दी जाती है कि गर्भावस्था के दौरान वो पूरी तरह से शराब का सेवन न ही करें तो बेहतर होगा। यदि नहीं तो संभावनाएं रहती है कि कहीं मिसकैरेज व शिशु व गर्भवती को किसी अन्य प्रकार की समस्या न हो जाए। शराब की थोड़ी सी मात्रा का सेवन भी शिशु के विकास व दिमाग पर गलत प्रभाव डाल सकती है, संभव है कि शिशु का दिमाग सामान्य रूप से विकसित ही न हो पाए। गर्भावस्था के दौरान शराब का सेवन करने के कारण फेटल एलकोहल सिंड्रोम की बीमारी हो सकती है। इस कारण फेटल डिफॉर्मिटीज होती है, हार्ट डिफेक्ट के साथ इंटलेक्चुअल डिसएबिलिटीज हो सकती है। सुरक्षित गर्भावस्था के लिए आप शराब न ही पीएं तो अच्छा होगा।

    खानपान को लेकर हमेशा लें एक्सपर्ट की सलाह 

    जब आप गर्भवती हैं तो ऐसे में आपको वैसे खाद्य पदार्थों का सेवन करने से परहेज करना चाहिए जिससे आपके शिशु को खतरा हो। इसकी बजाए वैसे खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए जिससे स्वास्थ्य बेहतर हो, ऐसे में रॉ फिश, अनपॉश्च्यूराइज्ड डेयरी, शराब, हाई मर्करी फिश आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। इतना ही नहीं कुछ खाद्य पदार्थ जैसे कॉफी इसमें काफी मात्रा में चीनी होता है, ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन करने से परहेज करना चाहिए, ताकि सुरक्षित गर्भावस्था हो सके और जच्चा-बच्चा को किसी प्रकार की कोई परेशानी न हो। यदि आप जानना चाहते हैं कि प्रेग्नेंसी के दौरान क्या खाना चाहिए और क्या नहीं तो इसको लेकर आप न्यूट्रिशनिस्ट के साथ डायटिशियन की सलाह ले सकते हैं। वहीं उनके बताए खाद्य पदार्थों को रोजाना अपना पौष्टिकता हासिल कर सकते हैं। गर्भावस्था में खानपान काफी अहम होता है, यदि खानपान पर ध्यान न दिया जाए तो जच्चा-बच्चा को नुकसान हो सकता है, यहां पर कि शिशु की मौत तक हो सकती है। ऐसे में वैसे खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए जिससे किसी प्रकार की कोई परेशानी न हो।

    डिस्क्लेमर

    हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

    के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

    Mayank Khandelwal


    Sunil Kumar द्वारा लिखित · अपडेटेड 05/05/2021

    advertisement iconadvertisement

    Was this article helpful?

    advertisement iconadvertisement
    advertisement iconadvertisement