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खसरे का टेस्ट
ज्यादातर लोगों में खसरे का संक्रमण हल्का होता है, लेकिन प्रेग्नेंसी के शुरुआती 16 हफ्तों के बीच महिला यदि इसके संपर्क में आती है तो यह शिशु के लिए खतरनाक हो सकता है। यदि ऐसा होता है तो शिशु को स्थाई रूप से जन्मदोष होने का खतरा हो सकता है। आपको खसरा है या नहीं, इसे जानने के लिए एक ब्लड टेस्ट किया जा सकता है।
डायबिटीज की जांच
प्रेग्नेंसी स्कैन में कई प्रकार के टेस्ट किए जाते हैं। गर्भावस्था के दौरान कई महिलाओं का ब्लड ग्लूकोज लेवल बढ़ जाता है। इसे जेस्टेटेनल डायबिटीज के नाम से जाना जाता है। आमतौर पर प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाली डायबिटीज की जांच 26-28 हफ्तों के बीच होती है।
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एमिनोसेनटेसिस (Amniocentesis)
प्रेग्नेंसी के प्रत्येक ट्रैमेस्टर में प्रेग्नेंसी स्कैन किया जाता है। आम भाषा में कहें तो हर ट्रैमेस्टर में प्रेग्नेंसी की स्थिति जानने के लिए कुछ टेस्ट किए जाते हैं। प्रेग्नेंसी स्कैन की कड़ी में एमिनोसेनटेसिस एक ऐसी ही टेस्ट है। यह टेस्ट उन महिलाओं में किया जाता है, जिनके शिशु में जन्मदोष का खतरा सबसे ज्यादा रहता है। आमतौर पर यह टेस्ट 15 हफ्तों पर किया जाता है। इसमें भ्रूण की विसंगतियों या असामान्यताओं जैसे डाउन सिंड्रोम, सिस्टिक फाइब्रोसिस, स्पाइना बायफिडा की जांच की जाती है।
इस जांच में एक पतली सुई के जरिए गर्भाशय के एमिनिओटिक फ्लूड की जांच की जाती है। इसमें शिशु को इंफेक्शन या इंजरी का खतरा रहता है। इस टेस्ट में गर्भपात का भी खतरा रहता है। हालांकि ऐसे मामले बेहद ही दुर्लभ होते हैं।
अंत में हम यही कहेंगे कि आपको भी नियमित रूप से प्रेग्नेंसी स्कैन कराना चाहिए। प्रेग्नेंसी स्कैन में होने वाले टेस्ट मां और शिशु दोनों के लिए ही बेहद ही महत्वपूर्ण हैं। यदि आप भी अपनी प्रेग्नेंसी को लेकर चिंतित हैं तो तत्काल प्रेग्नेंसी स्कैन के लिए अपने डॉक्टर से सलाह लें।
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