आम तौर पर लोग फीवर या बुखार को गंभीरता से नहीं लेते हैं। कामकाजी पुरूष की बात कहें या महिलाओं की, जब तक बुखार हद से ज्यादा बढ़ नहीं जाता, लोग नजरअंदाज करते रहते हैं। शायद आप सोच रहे होंगे कि यह आदत गलत है। लेकिन बुखार के ऊपर तरह-तरह के अध्ययनों से यह पता चला है कि जब तक कि बुखार 103°F (39.4°C) तक न चला जाए, तब तक उतना घबराने की जरूरत नहीं होती है। असल में बुखार शरीर में तापमान बढ़ने के कारण होता है, जो मूलत: अस्थायी होता है। सच कहे तो बुखार बीमारी का संकेत होता है। बुखार होने पर वयस्कों को थोड़ा कष्ट महसूस हो सकता है, जो ओवर-द-काउंटर दवाओं को लेने से कुछ ही दिनों में ठीक भी हो जाता है। यहां तक की दवा के साथ फीवर में सही डायट लेने से भी आसानी से बुखार ठीक हो जाता है। वैसे दवाएं डॉक्टर के परामर्श के बिना नहीं लेनी चाहिए, लेकिन जब फीवर 103°F (39.4°C) या उससे ज्यादा हो जाए, तो फिर चिंता का विषय हो सकता है। असल में बुखार शरीर में अगर कोई संक्रमण हुआ है, तो उससे लड़ने में अहम भूमिका निभाता है।