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सुइसाइड प्रिवेंशन (Suicide prevention): ये हैं इससे जुड़े मिथ्स और फैक्ट्स
सुइसाइड (Suicide) से जुड़े कई सवाल हमारे मन में आ सकते हैं, जिसके जवाब हम डॉक्टर या किसी एक्स्पर्ट से ले सकते हैं। लेकिन मामला गम्भीर तब बन जाता है, जब लोग इससे जुड़ी धारणाएं या तो बना लेते हैं या बनी हुई धारणाओं पर विश्वास करने लगते हैं। इसलिए आपके लिए जरूरी है कि सुइसाइड प्रिवेंशन (Suicide prevention) से जुड़े मिथ्स और फ़ैक्ट जान लें।
मिथ – डिप्रेस्ड व्यक्ति (depressed person) से नहीं पूछना चाहिए कि क्या उसे आत्महत्या के ख्याल आते हैं?
फैक्ट – अक्सर हम डिप्रेस्ड लोगों से बात करने से कतराते हैं। डिप्रेशन को लेकर हमारे आसपास स्टिग्मा बना हुआ है। लेकिन आपके लिए जरूरी हैं कि आप ज़रूरतमंद व्यक्ति से बात करें। जब आप व्यक्ति से उसके सुइसाइडल विचारों (suicidal thoughts) को लेकर बात करते हैं, तो उन्हें इमोशनल सपोर्ट मिलता है और वे अपने नेगेटिव विचार (negetive thoughts) आपसे शेयर कर पाते हैं। इसलिए डिप्रेस्ड व्यक्ति से उसके नेगेटिव विचारों के बारे में बात करने में कोई बुराई नहीं है।
मिथ- जो लग आत्महत्या (Suicide) चाहते हैं, वो कोई न कोई रास्ता ढूंढ ही लेते हैं।
फैक्ट – ये सेंटेंस तो आपने कई दफ़ा सुना होगा। लोगों का मनना है कि जो लोग आत्महत्या करना चाहते हैं, वो किसी तरह अपने काम को अंजाम दे ही देते हैं, लेकिन ये बात सच नहीं है। आत्महत्या के विचार से ग्रस्त व्यक्ति भले ही जीने की इच्छा ना रखे, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि हम उनकी मदद ना करें। जब आप ऐसी धारणा बना लेते हैं, तो आप व्यक्ति की मदद करने के बारे में नहीं सोचते, जो आत्महत्या के विचार से ग्रसित व्यक्ति के लिए ख़तरनाक हो सकता है।
मिथ- जिनके पास सबकुछ होता है, वो आत्महत्या (Suicide) करते।
फैक्ट – ये लोगों के बीच सुना जानेवाला सबसे बड़ा मिथ है। अच्छा घर, अच्छी नौकरी, फ़ैमिली ये सब देख कर हम सोचते हैं कि सब ठीक है। लेकिन व्यक्ति के निराशाजनक विचार उसके साथ क्या कर रहे हैं, ये कोई नहीं समझ पाता। इसलिए बाहरी चीज़ों को देख कर ये उम्मीद नहीं की जा सकती कि डिप्रेशन (depression) से ग्रसित व्यक्ति आत्महत्या नहीं करेगा।
जब आप इन चीज़ों के बारे में विस्तार से समझते हैं, तो लोगों की तकलीफ़ों की तरफ देखने का आपका नज़रिया बदल जाता है। इसलिए आपको सही जानकारी होना, आपके किसी अपने की जिंदगी बचा सकती है।
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सुइसाइड प्रिवेंशन : कैसे करें दूसरों की मदद?
सुइसाइड प्रिवेंशन (Suicide prevention) के दौरान जब आप किसी व्यक्ति से बात कर रहे हों, तो आपको कई बातों का ध्यान रखने की जरूरत पड़ती है। आपकी बातों का ज़रूरतमंद व्यक्ति पर सकारात्मक प्रभाव (Positive effect) पड़ना चाहिए, ना कि नकारात्मक। ये अपने आप में एक बड़ी ज़िम्मेदारी है। इसलिए आत्महत्या की ओर प्रेरित हो रहे व्यक्ति के लिए आप ये काम कर सकते हैं।
अकेले न छोड़ें
अगर व्यक्ति कुछ दिन से गुमसुम है या अकेला रहना पसंद करने लगा है तो सतर्क हो जाएं। हो सकता है उसके मन में आत्महत्या के विचार (suicidal thoughts) आ रहे हो। आपको चाहिए कि उससे आप प्यार से बात करें। उनकी उदासी और समस्या को समझने का प्रयास करें। जिसके कारण वह अवसाद का शिकार हो रहा है। यह व्यक्ति में आत्महत्या के विचार को बढ़ा सकता है। इसलिए अवसाद के लक्षण और उसे दूर करने के उपाय को समझना जरूरी है।
कुछ सवाल करें
व्यक्ति से उसकी भावनाओं के बारे में सीधे पूछें। भले ही यह अजीब हो। वह क्या कह रहा है, इसे सुनें और गंभीरता से लें। बस किसी ऐसे व्यक्ति से बात करना जो वास्तव में परवाह करता है, एक बड़ा बदलाव ला सकता है। अगर आप बात करने के बाद भी चिंतित हैं, तो अपनी चिंताओं को किसी काउंसलर, स्थानीय युवा केंद्र या किसी अन्य जिम्मेदार इंसान के साथ साझा करें।