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नीली किरणे हैं हानिकारक
उपकरणों से निकलने वाली नीली किरणे आपको समय से पहले बूढ़ा बना देंगी। ये किरणे उच्च-ऊर्जा दृश्य प्रकाश के नाम से भी पहचानी जाती है। ये यूवी किरणों की अपेक्षा अधिक गहराई से स्किन के अंदर प्रवेश करती है और स्किन में झुर्रियों सहित अन्य समस्या पैदा करती हैं। सनस्क्रीन का इनडोर यूज आपको इन समस्याओं से दूर रखता है।
इस तरह करें यूज
कोशिश करें कि सनस्क्रीन को दिन में दो से तीन बार लगाएं। क्रीम के साथ एलोवेरा जैल, काओलिन क्ले ( kaolin clay) का इस्तेमाल कर सकती हैं। इसका रोजाना इस्तेमाल आपकी स्किन को चौबीस घंटे सुरक्षा देगा।
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अगर आप धूप में नहीं निकलती हैं तो शायद अब आप घर में रहने पर भी सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना शुरू कर दें। लेकिन, आपको सनस्क्रीन से त्वचा को नुकसान भी पहुंच सकता है ये समझना बेहद जरूरी है। इसलिए सनस्क्रीन के साइड इफेक्ट्स को समझना बेहद जरूरी है। दरअसल सनस्क्रीन से एलर्जी, चेहरे पर पिंपल्स और ब्रेस्ट कैंसर होने की भी संभावना को बढ़ा देता है। रिसर्च के अनुसार सनस्क्रीन में ऐसे केमिकलस मिले होते हैं, जो ब्रेस्ट कैंसर सेल्स पर एस्ट्रोजेनिक प्रभाव डाल सकते हैं। वहीं कुछ ऐसे भी सनस्क्रीन होते हैं जो ब्लड में एस्ट्रोजेन लेवल को इम्बैलेंस कर देते हैं। इसके साथ ही पेरेंट्स को बच्चों पर सनस्क्रीन के इस्तेमाल से भी बचना चाहिए क्योंकि बच्चों की त्वचा ज्यादा सेंसेटिव होती है।
हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार पुरुषों को भी सनस्क्रीन का इस्तेमाल सोच समझकर करना चाहिए। क्योंकि उनकी त्वचा और शरीर पर मौजूद बालों के आस-पास के हिस्से पर लाल निशान या सूजन जैसी परेशानी हो जाती है। यही नहीं सनस्क्रीन के इस्तेमाल से बाल भी सख्त होने लगते हैं। इसलिए इनसभी बातों को ध्यान में रखते हुए सावधानी पूर्वक सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना चाहिए।
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सनस्क्रीन के साइड इफेक्ट्स से कैसे बचें?
निम्नलिखित तरह से सनस्क्रीन के साइड इफेक्ट्स से बचा जा सकता है। जैसे:-