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खिड़की से भी आती हैं यूवी रेज, इनडोर में भी करें सनस्क्रीन यूज

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 12/05/2021

    खिड़की से भी आती हैं यूवी रेज, इनडोर में भी करें सनस्क्रीन यूज

    स्किन को सूर्य की किरणों से बचाने के लिए हम सनस्क्रीन का यूज करते हैं। ये हमारी स्किन को हानिकारक किरणों से बचाती है। लेकिन क्या आपको पता है कि सनस्क्रीन का यूज केवल आउटडोर ही नहीं बल्कि इनडोर भी करना चाहिए। अब आपके मन में ये प्रश्न होगा कि आखिर इनडोर में सनस्क्रीन को यूज करते है? आज इस आर्टिकल के माध्यम से सनस्क्रीन को लेकर आपके मन की शंका दूर हो जाएगी।

    इनडोर में क्यों है जरूरी सनस्क्रीन?

    यूवी रेज में दो प्रकार की किरणें होती है। यूवीए किरण और यूवीबी किरण। घर के बाहर जाने पर ये दोनों ही किरणे शरीर के लिए घातक सिद्द होती है। घर के अंदर भले ही धूप नहीं आती है लेकिन फिर भी कांच की खिड़कियों से आने वाली धूप आपको हार्म पहुंचा सकती है। कांच की खिड़की यूवीबी किरणों को अवशोषित कर लेती हैं लेकिन यूवीए किरणे स्वतंत्र रूप से घूमती हैं। कांच इन्हें अवशोषित नहीं कर पाता है। इसका मतलब साफ है कि आप घर के अंदर भी यूवीए किरणों के शिकार हो जाते हैं।

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    जानिए कितना है सोलर रेडिएशन?

    53% अवरक्त विकिरण (infrared radiation)

    39-44% दृश्यमान प्रकाश (visible light)

    3-7% यूवी विकिरण (UV radiation)

    विकिरण से बचने के

    आप घर के बाहर हैं या फिर अंदर, हानिकारक विकिरण को नहीं रोका जा सकता है। ये हमारे आस पास मौजूद रहती है। कम ही लोगों को इसकी जानकारी होती है कि रेडिएशन से शरीर को नुकसान पहुंचता है। घर के अंदर भी हम ऐसे उपकरण प्रयोग करते हैं जो शरीर को अप्रत्यक्ष रूप से हानि पहुंचाते है।सनस्क्रीन रेडिएशन के हार्म को कम करने का काम करता है।

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    नीली किरणे हैं हानिकारक

    उपकरणों से निकलने वाली नीली किरणे आपको समय से पहले बूढ़ा बना देंगी। ये किरणे उच्च-ऊर्जा दृश्य प्रकाश के नाम से भी पहचानी जाती है। ये यूवी किरणों की अपेक्षा अधिक गहराई से स्किन के अंदर प्रवेश करती है और स्किन में झुर्रियों सहित अन्य समस्या पैदा करती हैं। सनस्क्रीन का इनडोर यूज आपको इन समस्याओं से दूर रखता है।

    इस तरह करें यूज

    कोशिश करें कि सनस्क्रीन को दिन में दो से तीन बार लगाएं। क्रीम के साथ एलोवेरा जैल, काओलिन क्ले ( kaolin clay) का इस्तेमाल कर सकती हैं। इसका रोजाना इस्तेमाल आपकी स्किन को चौबीस घंटे सुरक्षा देगा।

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    अगर आप धूप में नहीं निकलती हैं तो शायद अब आप घर में रहने पर भी सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना शुरू कर दें। लेकिन, आपको सनस्क्रीन से त्वचा को नुकसान भी पहुंच सकता है ये समझना बेहद जरूरी है। इसलिए सनस्क्रीन के साइड इफेक्ट्स को समझना बेहद जरूरी है। दरअसल सनस्क्रीन से एलर्जी, चेहरे पर पिंपल्स और ब्रेस्ट कैंसर होने की भी संभावना को बढ़ा देता है। रिसर्च के अनुसार सनस्क्रीन में ऐसे केमिकलस मिले होते हैं, जो ब्रेस्ट कैंसर सेल्स पर एस्ट्रोजेनिक प्रभाव डाल सकते हैं। वहीं कुछ ऐसे भी सनस्क्रीन होते हैं जो ब्लड में एस्ट्रोजेन लेवल को इम्बैलेंस कर देते हैं। इसके साथ ही पेरेंट्स को बच्चों पर सनस्क्रीन के इस्तेमाल से भी बचना चाहिए क्योंकि बच्चों की त्वचा ज्यादा सेंसेटिव होती है।

    हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार पुरुषों को भी सनस्क्रीन का इस्तेमाल सोच समझकर करना चाहिए। क्योंकि उनकी त्वचा और शरीर पर मौजूद बालों के आस-पास के हिस्से पर लाल निशान या सूजन जैसी परेशानी हो जाती है। यही नहीं सनस्क्रीन के इस्तेमाल से बाल भी सख्त होने लगते हैं। इसलिए इनसभी बातों को ध्यान में रखते हुए सावधानी पूर्वक सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना चाहिए।

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    सनस्क्रीन के साइड इफेक्ट्स से कैसे बचें?

    निम्नलिखित तरह से सनस्क्रीन के साइड इफेक्ट्स से बचा जा सकता है। जैसे:-

    • अगर सनस्क्रीन के इस्तेमाल करने पर स्किन पर कोई लाल निशान आये या कोई और परेशानी महसूस हो, तो इसे अपने स्किन पर अप्लाई न करें।
    • सनस्क्रीन का इस्तेमाल डर्मेटोलॉजिस्ट से पहले अपने स्किन टाइप को समझकर सनस्क्रीन या किसी भी क्रीम का इस्तेमाल करना किसी भी तरह की स्किन से जुड़ी परेशानी को कम करने के लिए सबसे अच्छा विकल्प है।
    • घर पर हैं (इनडोर) तो एक से दो बार सनस्क्रीन का इस्तेमाल किया जा सकता है।
    • छोटे बच्चों को खुद से सनस्क्रीन नहीं लगाने दें।
    • हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार छे महीने से छोटे बच्चों को सनस्क्रीन नहीं लगाना चाहिए।
    • अगर आपकी त्वचा ऑयली है तो ऑयल-फ्री और नॉन कॉमेडोजेनिक सनस्क्रीन का चयन करें।
    • त्वचा विशेषज्ञों के अनुसार UVA और UVB वाले सनस्क्रीन लोशन का ही इस्तेमाल करना चाहिए। क्योंकि UVA सूर्य की किरणों की वजह से होने वाली स्किन प्रॉब्लम को बचाने के साथ-साथ त्वचा के नेचुरल कलर को डल पड़ने नहीं देती है। UVB वाले सनस्क्रीन लोशन बॉडी में होने वाले टैनिंग और स्किन कैंसर से भी बचाने में मददगार हो सकती है।

    सनस्क्रीन की मात्रा सामान्य क्रीम के इस्तेमाल किये जाने के दौरान जो मात्रा ली जाती है उससे थोड़ा ज्यादा लेना चाहिए और स्किन पर अप्लाई करना चाहिए।

    सनस्क्रीन लोशन से त्वचा को नुकसान से बचाने के लिए इन महत्वपूर्ण बातों के साथ-साथ कुछ और बातों को अवश्य ध्यान रखना चाहिए। जैसे:-

    • वैसे व्यक्ति जिनकी त्वचा ड्राय (रूखी) है, उन लोगों को मॉश्चरायजर वाले सनस्क्रीन लोशन को ही अपने चेहरे पर अप्लाई करना चाहिए। वहीं कुछ रिसर्च के अनुसार स्प्रे वाले सनस्क्रीन का भी इस्तेमाल से बचना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि इनमें एलकोहॉल की मात्रा होती है, जो स्किन को ड्राई बना सकती है।
    • जिनकी त्वचा तैलीय है उन्हें जेल बेस्ड टाइप सनस्क्रीन लोशन का इस्तेमाल करना साइड इफेक्ट्स से बचा सकता है।
    • संवेदनशील त्वचा वाले लोगों को बिना एलकोहॉल और फ्रेग्नेंस वाले सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना चाहिए।

    और पढ़ें: स्किन और मेकअप से जुड़े अहम सवाल के जवाब जानने के लिए खेलें क्विज

    हमें यह हमेशा ध्यान रखना चाहिए की कभी-कभी त्वचा ज्यादा संवेदनशील हो जाती है। रिसर्च के अनुसार ऐसा कई तरह के दवाओं के सेवन की वजह से भी होता है या किसी विशेष डिसऑर्डर की वजह से भी होता है। अगर आप भी ऐसी कोई समस्या झेल रहीं हैं तो ऐसी स्थिति में भी सनस्क्रीन लोशन का इस्तेमाल आपके लिए लाभकारी हो सकता है।

    वैसे स्किन को हेल्दी रखने के लिए डायट का भी अच्छी तरह से ख्याल रखें, बाहर जाने से पहले अपने साथ पानी की बोतल जरूर ले जाएं और यदि आप घर में ही हैं तो पानी का सेवन करते रहें। हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार रोजाना दो से तीन लीटर पानी का सेवन करना हेल्थ के लिए अच्छा होता है।

    अगर आप सनस्क्रीन से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है।

    डिस्क्लेमर

    हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

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