इस मुद्रा में आप कुछ मिनटों तक रहें। अगर आप घंटों तक ज्ञान (चिन) मुद्रा में ध्यान कर सकते हैं तो यह आपके लिए और भी फायदेमंद है। जितनी अधिक देर आप ज्ञान (चिन) मुद्रा में रहेंगे आपके लिए उतना ही अच्छा रहेगा। हालांकि, इस मुद्रा में अधिक देर तक रहना मुश्किल है लेकिन आप रोजाना अभ्यास से इसमें सफल हो सकते हैं। ज्ञान (चिन) मुद्रा को अपने ध्यान का एक मुख्य हिस्सा बना लें। इस मुद्रा को आप दिन के किसी भी समय में कर सकते हैं। रोजाना उठने के बाद और सोने से पहले इस मुद्रा को करें। इससे आपको लाभ होगा।
[mc4wp_form id=’183492″]
इसे करते हुए इन बातों का खास ख्याल रखें
- ज्ञान (चिन) मुद्रा को करते हुए आपकी पीठ सीधी होनी चाहिए और आपका सिर व सीना तने हुए होने चाहिए।
- इस दौरान अंगूठे और तर्जनी को छोड़ कर सभी उंगलियां फैली हुई होनी चाहिए।
और पढ़ें: साइनस (Sinus) को हमेशा के लिए दूर कर सकते हैं ये योगासन, जरूर करें ट्राई
ज्ञान (चिन) मुद्रा के फायदे
ज्ञान (चिन) मुद्रा का सबसे बड़ा फायदा यही है कि इससे वायु तत्व बढ़ते हैं। आयुर्वेदिक वात दोष के अनुसार हमारे शरीर के लिए वायु एक जरूरी तत्व है। हालांकि ज्ञान (चिन) मुद्रा वायु को प्रभावित करती है, इसलिए इस मुद्रा को वायु-वर्धक मुद्रा के नाम से भी जाना जाता है। कुछ शोधों के मुताबिक यह मुद्रा कई स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने में लाभदायक है। खासकर किसी व्यक्ति को तनाव से राहत पहुंचाने के लिए। ज्ञान (चिन) मुद्रा विशेष रूप से वात की कमी को ठीक करने और इसके कारण होने वाले रोगों से छुटकारा पाने के लिए उपयोगी है। यह योग साधनाओं और ऋषियों द्वारा दर्शाया गया एक सामान्य तरीका है।
वायु-वर्धक मुद्रा के प्रभाव
- वायु-वर्धक मुद्रा शरीर में वायु तत्वों को बढ़ाती है। इसके साथ ही यह दिमाग के कार्यों को सही से करने के लिए भी प्रोत्साहित करती है।
- वायु मुद्रा का कार्य शक्ति में सुधार करने के लिए मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र को उत्तेजित करना है।
- यह शरीर की मांसपेशियों को मजबूत करती है और पिट्यूटरी ग्रंथि के काम में सुधार करता है।
- यह हमारी आवाज वाली ग्रंथियों, ह्रदय, त्वचा और श्लेष्मा झिल्ली (mucous membranes) को सुखाने में भी लाभदायक है।