चाइनीज इलाज की पद्दिति की बात करें तो यहां जीभ देख शरीर के इलाज की परंपरा रही है। चाइनीज पद्दिति के अनुसार जीभ हमारे हेल्थ कंडीशन को देखने का एक जरिया है। चाइनीज पद्दति के तहत यदि लंबे समय तक जीभ का रंग (Tongue color) अलग दिखता है तो इसका मतलब यह हुआ कि हार्ट, लिवर या फिर किडनी के साथ समस्या है। वहीं कोटिंग की बात करें तो हेल्दी टंग में पतली व्हाइटिश कोटिंग होती है, वहीं यदि यह परत मोटी है तो उस स्थिति में आपके ब्लेडर, पेट या फिर इंटेस्टाइन से संबंधित दिक्कत हो सकती है। चाइनीज पद्दिति में जीभ के मॉश्चर की भी जांच की जाती है। यदि जीभ में ज्यादा मॉश्चर है तो यह नमी को दर्शाता है वहीं जीभ में यदि मॉश्चर की कमी है तो शरीर में पानी की कमी का अंदाजा लगता है। वहीं जीभ के शेप की बात करें तो इसका भी शरीर के साथ सीधा संबंध है, जैसे शरीर में पानी की कमी होने से पतली जीभ हो सकती है।
कब लेनी चाहिए डॉक्टरी सलाह
यदि लंबे समय तक जीभ के रंग में परिवर्तन दिखता है तो उस स्थिति में डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए। बता दें कि यदि आपके जीभ का रंग (Tongue color) दिन पर दिन डार्क दिखे या फिर हल्के रंग का दिखाई दें तो ऐसी स्थिति में जरूरी है कि आप डॉक्टरी सलाह जरूर लें। वहीं यदि जीभ के रंग और उसका साइज में किसी प्रकार का अंतर दिखाई दे या फिर स्वेलिंग, असामान्य लंप या फिर औसत से पतली जीभ हो उस स्थिति में भी डॉक्टरी सलाह लेना चाहिए। वहीं यदि जीभ के मॉश्चर से लेकर उसके कोटिंग में किसी प्रकार का कोई अंतर दिखाई दे तो उस स्थिति में भी डॉक्टरी सलाह लेना चाहिए।
मैनहेटन की डाॅक्टर और स्माइल डिजाइन की डेंटिस्ट ली गॉस बताती हैं कि, ‘हमारे पास कई ऐसे मरीज आते हैं, जो अपने जीभ के रंग में बदलाव देख तुरंत गूगल करते हैं वहीं किसी गंभीर बीमारी की चिंता में डूब जाते हैं, लेकिन हकीकत तो यह या कि यदि कुछ घंटों के लिए जीभ का रंग (Tongue color) बदले तो जरूरी नहीं कि उसका कारण गंभीर ही हो। पेट संबंधी दिक्कतों के कारण भी जीभ का रंग बदल सकता है। ऐसे में किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले जरूरी है कि डॉक्टरी सलाह ली जाए।’
इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए डाक्टरी सलाह लें। ।