और पढ़ें : मां को हो सर्दी-जुकाम तो कैसे कराएं स्तनपान?
ज्यादातर बच्चों में होती हैं घमौरियां
एनवायरमेंटल डिजीज में घमौरी का नाम सबसे पहले आता है। जनरल फिजिशियन डॉ उदय बताते हैं कि यह बीमारी वैसे तो किसी भी उम्र के लोगों को हो सकती है, लेकिन ज्यादातर बच्चों में पांच से लेकर 15 की उम्र के बच्चों में देखने को मिलती है। बीमारी होने के कारणों का अब तक साफ साफ पता नहीं चल पाया जा, लेकिन माना जाता है कि यह बीमारी शरीर में डिहाइड्रेशन के कारण होती है। यानि शरीर में पानी की कमी होने से यह बीमारी हो सकती है।
इस बीमारी में शरीर की स्किन रफ हो जाती है, बदन में छोटी-छोटी फुंसियां हो जाती हैं, खासतौर पर पीठ और दोनों बांह के पीछे, नाखून के छोर से कुछ निकलता है, टेढ़े मेढ़े नाखून हो सकते हैं। डिस्कंफर्ट होने के साथ जलन, खुजली होती है। शरीर में ऐसे लक्षण दिखने पर मरीज के खास तरह का पाउडर लगाने की सलाह दी जाती है, जिससे स्किन नम रहे। इसके अलावा मरीज को बार-बार नहाने और पानी की नियमित मात्रा का सेवन करने की सलाह दी जाती है। वहीं व्यस्कों को यदि यह बीमारी हो तो उन्हें पाउडर के इस्तेमाल की सलाह के साथ एंटीबायोटिक देकर इलाज किया जाता है। जरूरी है कि इस बीमारी से बचाव के लिए लक्षण दिखने पर डॉक्टरी सलाह ली जाए।
और पढ़ें : एक दिन में हमारे शरीर को कितनी पानी की मात्रा की होती है जरूरत
लू- हीट स्ट्रोक से जा सकती है जान
गर्मी के दिनों में लू की समस्या काफी सामान्य और गंभीर भी है। एनवायरमेंटल डिजीज में आने वाली इस बीमारी के बारे में मेडिकल ऑफिसर डॉ. उदय सिन्हा बताते हैं कि लोग यदि गर्मी के दिनों में खास एहतियात न बरतें तो उन्हें यह बीमारी हो सकती है। घर से निकलते वक्त मुंह, नाक, कान न ढ़कें, नियमित पानी का सेवन न करें तो इस बीमारी का शिकार हो सकते हैं। शरीर में इलेक्ट्रोलाइन का बैलेंस गड़बड़ाने के कारण यह बीमारी होती है।
लू लगने से ज्यादा पसीना निकलता है। वहीं दिल की धड़कन को सामान्य रूप से धड़कने के लिए सोडियम व पोटेशियम का अहम रोल होता है, ज्यादा पसीना निकलने के कारण शरीर में सोडियम की कमी हो जाती है वहीं इसके इंबैलेंस के कारण हीट स्ट्रोक की समस्या हो सकती है। ऐसे में मरीज को अचानक बेहोशी, हार्ट अटैक, लूज मोशन, डिहाइड्रेशन, तेज बुखार, कंपकंपी, पसीना आना, कमजोरी, भूख न लगना और खाना पचाने में दिक्कत आ सकती है। शरीर में इस प्रकार के लक्षण दिखे तो डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए।
इस एनवायरमेंटल डिजीज से बचाव के लिए जरूरी है कि धूप से बचाव किया जाए। घर से निकलते वक्त मुंह में कपड़ा बांधकर निकला जाए, पानी पीते रहें ताकि शरीर में पानी की कमी न हो, नमक, चीनी और पानी का घोल पीने के साथ सत्तू पानी पीना फायदेमंद होता है। इस बीमारी को हल्के में न लें, यदि सही समय पर इसका इलाज न कराया गया तो जान तक जा सकती है। यह बीमारी किसी भी उम्र के लोगों को हो सकती है, जो गर्मी में घर से बाहर निकलते हैं।
और पढ़ें : घमोरियां मिटाने के नुस्खे, जो इस गर्मी आपको देंगे राहत