यह उस समय की बात है जब ली क्वान यू सिंगापुर के पहले प्रधानमंत्री बने थे और देश का पूरी तरह से कायाकल्प करना चाहते थे। वह यह भलीभांति समझ चुके थे कि सैनिटेशन कितना जरूरी है। हालांकि, उस समय सिंगापुर में इसके लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध नहीं थे। अपनी प्रिवेंटिव हेल्थ और सेनिटेशन पॉलिसी के अंतर्गत उन्होंने हायजीन और सैनिटेशन में निवेश किया। 10 वर्षों के भीतर ही उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि सिंगापुर नदी पूरी तरह से साफ और सभी प्रकार की गंदगी से मुक्त हो। उनका फोकस था कि यह नदी साफ पानी का स्रोत बने वह भी पूरे सेनिटेशन के साथ। भारत में भी ऐसा ही कुछ करना चाहिए।
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सिर्फ टॉयलेट्स बनाना ही काफी नहीं, टॉयलेट की स्वच्छता (Toilet Hygiene) भी बनाये रखना है जरूरी
यूनिसेफ के अनुसार, सैनिटेशन एक व्यापक शब्द है जिसका मतलब हुआ, “एक ऐसा वातावरण तैयार करना जिसमें मनुष्य बीमारियों और उसके जोखिम के प्रति कम से कम एक्स्पोज हो”। वहीं हायजीन का अर्थ हुआ, “व्यवहारों की एक ऐसी श्रंखला जो हेल्थ को बनाए रखने के साथ ही बीमारियों को फैलने से भी रोक सके। टॉयलेट की स्वच्छता के अंतर्गत, हैंडवॉश करना, मेंस्ट्रुअल हायजीन मैनेजमेंट और फूड हायजीन भी शामिल हैं। वक्त की जरूरत सिर्फ यह नहीं है कि अधिक टॉयलेट्स बनाए जाएं बल्कि लोगों को भी जागरूक करना है और टॉयलेट की स्वच्छता कैसे बनाये रखना है ये जानना है जरूरी, ताकि लोग इन्हें अशुद्ध न समझें। टॉयलेट और सैनिटेशन को विकास और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है- यह एक ऐसा ट्रेंड है जिसे लोग फॉलो करते हैं न कि उन्हें इसे जबरदस्ती इसे अडॉप्ट करवाना पड़ता है। यह बेहद आवश्यक है कि लोगों को व्यक्तिगत स्तर पर बेसिक हायजीन और टॉयलेट की स्वच्छता बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित किया जाए। खासतौर पर उन्हें यह बताया जाए कि टॉयलेट्स कैसे साफ रखें और अच्छी क्वालिटी के टॉयलेट सीट सैनिटाइजर स्प्रे का प्रयोग जरूर करें। ऐसा करने से इंफेक्शन एक से दूसरे व्यक्ति तक नहीं फैलेगा।
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टॉयलेट की स्वच्छता (Toilet Hygiene) के लिए किन-किन बातों का ध्यान रखें?