बहुत-सी डिसेबिलिटी ऐसी हैं, जो हमें जन्म से होती हैं लेकिन, उनके बारे में हमें देर से पता चलता है। मेडिकल साइंस में कुछ निश्चित प्रकार की डिसेबिलिटी (Disability) को निर्धारित किया गया है। आइए जानते हैं मेडिकल साइंस के अनुसार लर्निंग डिसेबिलिटी (Learning Disability) कितने प्रकार की होती है :
बौद्धिक विकलांगता या मेंटल डिसेबिलिटी (Mental disability) : एक ही उम्र के अन्य लोगों की तुलना में मानसिक विकास (Mental development), सीखने में कठिनाई और कुछ दैनिक जीवन कार्यों में दिक्कत आना इस समस्या के संकेत है। दिखाई देने वाली स्थितियों में शामिल हैं: डाउन सिंड्रोम (Down syndrome), ट्यूबरल स्केलेरोसिस (Tuberculosis), क्रि-डू-चैट सिंड्रोम। ऐसे में लर्निंग डिसेबिलिटी के उपचार (Treatment for Learning Disability) कराने जरूरी हो जाते हैं।
अटेंशन डेफिसिट डिसऑर्डर (ADD) : इस वजह से भी लर्निंग डिसेबिलिटी (Learning Disability) हो सकती है। लर्निंग डिसेबिलिटी, जिसे केंद्रीय तंत्रिका तंत्र की शिथिलता के कारण माना जाता है। इस स्थिति में सुनना, बोलना, पढ़ना, लिखना, तर्क करना या मेथमेटिकल स्किल में समस्या आती है। ऐसे में लर्निंग डिसेबिलिटी के उपचार कराने जरूरी हो जाते हैं।
ऑटिज्म की समस्या : ऑटिस्टिक बच्चे (Autistic children) और लोगों से कटे रहते हैं और अपनी ही धुन में रहते हैं। इस परेशानी से ग्रसित बच्चों का आईक्यू कमजोर होने के कारण वे और लोगों की बातें ठीक से समझ नहीं पाते हैं। इसके अलावा इस बीमारी का असर बच्चों की पढ़ाई पर भी पड़ता है। ऐसे में लर्निंग डिसेबिलिटी (Learning Disability) के उपचार कराने जरूरी हो जाते हैं।
मस्तिष्क की चोट के कारण डिसेबिलिटी : दिमागी चोट इंसान को मेंटल डिसेबिलिटी की समस्या तक हो सकती है। दिमागी चोट के कारण इंसान की चेतना में कम होना या खत्म होना, याद्दाश्त (Memory) में कमजोरी आना, व्यक्तित्व में बदलाव और आंशिक या पूर्ण रूप से लकवे की भी समस्या हो सकती है। ऐसे में लर्निंग डिसेबिलिटी के उपचार कराने जरूरी हो जाते हैं।
आइए अब जानते हैं ऐसे में लर्निंग डिसेबिलिटी के उपचार के बारे में।
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