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LGBT कम्युनिटी में अगर कोई डिप्रेशन का शिकार हो जाए, तो क्या करना चाहिए?
LGBT में डिप्रेशन की समस्या बढ़ने पर उनमें आत्महत्या के विचार आने लगते हैं और वे खुद को नुक्सान पहुंचा सकते हैं। इसलिए सभी को निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए-
- कोई भी इमरजेंसी होने पर नजदीक के अस्पताल या इमरजेंसी नंबर पर कॉन्टैक्ट करें।
- व्यक्ति के साथ रहे और उन्हें अकेला न छोड़ें।
- व्यक्ति के पास ऐसा कोई भी सामान न रखें, जिससे वो खुद को हानि पहुंचा सके।
- उनकी बातों को सुनें और ध्यान रखें कि उन्हें जज न करें और न ही उन पर चिल्लाएं।
भारत में LGBT या LGBTQ समुदाय के लोगों को अन्य देशों के मुकाबले ज्यादा कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। हालांकि लोग इस बारे में नए कानून के साथ-साथ शुभ मंगल ज्यादा सावधान जैसी फिल्मों से मुखातिब हो चुके हैं, लेकिन फिर भी वे कहीं न कहीं सेक्स, लेस्बियन, गे, बायसेक्शुअल, ट्रांसजेंडर या क्वीर जैसे मुद्दे पर चुप रहना ही बेहतर समझते हैं। मोनिशा अजगावकर का मानना है LGBTQ समुदाय के लिए कोविड-19 का समय नकारात्मक प्रभाव डालने वाला है, लेकिन इससे बचने के लिए बेहतर होगा कि नकारात्मकता को खुद पर हावी ना होने दिया जाए और साथ ही ऑनलाइन होने वाली अलग-अलग एक्टिविटीज में शामिल हुआ जाए।
अगर आप LGBT कम्युनिटी में डिप्रेशन या कोई भी शारीरिक परेशानी से जुड़े किसी तरह के सवाल का जवाब जानना चाहते हैं, तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा।