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ओसीडी (OCD) किसे कहते हैं और क्या हैं इसके लक्षण?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. हेमाक्षी जत्तानी · डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist


Pawan Upadhyaya द्वारा लिखित · अपडेटेड 02/11/2020

    ओसीडी (OCD) किसे कहते हैं और क्या हैं इसके लक्षण?

    ऑब्सेसिव कम्पल्सिव डिसऑर्डर (OCD) एक मेंटल डिसऑर्डर है। यह विकार आमतौर पर किशोरावस्था की शुरुआत में विकसित होता है। यह एक लंबे समय तक चलने वाली बीमारी है, जिसमें व्यक्ति को अपने विचारों पर काबू नहीं होता और इसी वजह से वो किसी एक तरह के व्यवहार को बार-बार दोहराता है। ओसीडी को कैसे पहचाने? और कैसे इस समस्या से लड़ें इस बारें में आज हम आपको बताने जा रहे हैं।

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    ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर (OCD) क्या है?

    हमेशा अपना नाखून काटते रहना या हमेशा नकारात्मक विचारों के बारे में सोचना ओसीडी नहीं है, बल्कि यह विकार इतना गंभीर है कि यह आपकी नौकरी, स्कूल और रिश्तों को प्रभावित कर सकता है और आपको सामान्य जीवन जीने से रोक सकता है। उदाहरण के तौर पर, ओसीडी यह सोचना हो सकता है कि यदि आपके परिवार का हर सदस्य प्रत्येक सुबह एक खास क्रम में अपने जूते-चप्पल नहीं उतरेगा, तो उन्हें चोट लग सकती है या अगर आप लिफ्ट में बायीं तरफ नहीं खड़े होंगे, तो लिफ्ट फ्री फॉल कर जाएगी।

    कुछ लोग किसी भी चीज को छूने के बाद अपने हाथों को कई बार धोते हैं। हालांकि आप ऐसा करना नहीं चाहते पर खुद को ऐसा करने से रोक भी नहीं पाते हैं। अगर ऐसे विचारों और व्यवहार से आप घिरे हैं, तो आप ओसीडी के शिकार हो सकते हैं।

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    ओसीडी रोग (Obsessive Compulsive Disorder) कितना आम है?

    ओसीडी रोग अक्सर 20 वर्ष से कम उम्र में होता है। खासकर उन लोगों में, जो काफी तनाव में रहे हों। ऐसे लक्षण कभी-कभी कुछ हद तक ठीक हो जाते हैं, लेकिन यह कभी पूरी तरह खत्म नहीं होते। ऐसे में आपको ज्यादा जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

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    ओसीडी (OCD) के लक्षण क्या है?

    अगर आपको कुछ खास तरह के ऑब्सेसिव और कम्पल्सिव विचार आते हैं, तो आपको ओसीडी के रोगी की श्रेणी में रखा जा सकता है। ऐसे ही कुछ विचारों के बारे में यहां बताया गया है –

     ऑब्सेसिव विचार 

    • ओसीडी के लक्षण 1: कीटाणुओं का डर
    • ओसीडी के लक्षण 2: चोट लगने की चिंता
    • ओसीडी के लक्षण 3: चीजों को हमेशा एक पैटर्न में रखना 
    • ओसीडी के लक्षण 4: किसी खास रंग को “अच्छे’ या “बुरे’ से जोड़कर देखना 
    • ओसीडी के लक्षण 5: लगातार पलक झपकाना 

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    कंपल्सिव आदतें  

    • ओसीडी के लक्षण 6: कई बार, लगातार हाथ धोना
    • ओसीडी के लक्षण 7: बार-बार लॉक या बल्ब के स्विच को चेक करना 
    • ओसीडी के लक्षण 8: चीजों को गिनने की आदत, जैसे कितने कदम, कितनी किताबें इत्यादि  
    • ओसीडी के लक्षण 9: एक सटीक क्रम में कोई काम करना
    • ओसीडी के लक्षण 10: सार्वजनिक शौचालयों का उपयोग करते हुए कुछ भी छूने या किसी से हाथ मिलाने का डर

    ओसीडी (OCD) होने का कारण क्या है? 

    डॉक्टरों के पास कोई ठोस शोध नहीं है, जो ये समझा सके कि कुछ लोगों को ओसीडी क्यों है। ओसीडी से पीड़ित लोगों के दिमाग के कुछ हिस्से सामान्य लोगों से अलग दिखते हैं, लेकिन इस पर अभी भी अधिक शोध की जरूरत है। ओसीडी पुरुषों की तुलना में महिलाओं में थोड़ा अधिक आम है। इसके लक्षण अक्सर टीनेज हूड से अडल्ट हूड में प्रवेश कर रहे लोगों में दिखाई देते हैं।

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    ओसीडी (Obsessive Compulsive Disorder) के जोखिम कारण क्या हैं?

    ऊपर हमने आपको ओसीडी के कारण बता दिए हैं। लेकिन कुछ बातें ऐसी हैं, जिनकी वजह से इस बीमारी के जोखिम बढ़ सकते हैं। नीचे जानिए किन वजहों से ओसीडी होने का जोखिम बढ़ सकता है :

    • परिवार में किसी को यह बीमारी होना: इस बीमारी का संबंध कई जगह जेनेटिक भी माना गया है यानी अगर आपके माता-पिता या घर में किसी अन्य को यह बीमारी है, तो आपको ये बीमारी होने का जोखिम बढ़ सकता है। हालांकि, इस विषय के बारे में अभी शोध जारी है।
    • बहुत ज्यादा तनाव होना : ज्यादा तनाव होना भी इस बीमारी का जोखिम बढ़ा सकता है। अगर आप बहुत ज्यादा तनाव में रहे हों या आपको ज्यादा तनाव रहता है, तो भी इसका जोखिम बढ़ सकता है।
    • बायोलॉजी : ओसीडी आपके शरीर की अपनी प्राकृतिक रसायनो या मस्तिष्क क्रियाओं में परिवर्तन का परिणाम होता है।
    • जीवन परिवर्तन : यदि किसी व्यक्ति के जीवन में एकदम से कुछ बड़ा बदलाव आता है, जैसे नई नौकरी या बच्चे के होने पर उस पर अधिक जिम्मेदारी बढ़ने के कारण भी उसे ओसीडी हो सकता है।
    • व्यवहारिक कारक : जो लोग बहुत ज्यादा व्यवस्थित रहना, साफ सफाई का ध्यान रखना या सब कार्यो का भार अपने ऊपर लेने के लिए तत्पर रहते हैं, उनको ओसीडी होने का खतरा ज्यादा होता है।
    • व्यक्तिगत अनुभव: एक व्यक्ति जिसने गंभीर आघात का अनुभव किया हो, उनके ओसीडी से प्रभावित होने की आशंका रहती है।

    ओसीडी के बहुत से कारण होते हैं, जिनमें से कई की गणना यहां नहीं की जा सकती है। यह किसी भी विषय पर, किसी भी व्यक्ति पर, किसी भी डर पर और किसी व्यक्ति के जीवन में क्या महत्वपूर्ण है, इस पर प्रभाव डाल सकता है। उदाहरण के लिए, यदि किसी के लिए धर्म बहुत महत्वपूर्ण है, तो ओसीडी धर्म के आसपास अनचाहे विचारों को ठीक करने की सोच में पड़ जाता है।

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    ओसीडी (OCD) का इलाज कैसे किया जाता है?

    ओसीडी को सामान्य तौर पर दवा या मनोचिकित्सा के सहारे ठीक किया जाता है। हालांकि, अधिकतर केस में ओसीडी के रोगी अपनी इस स्थिति को पहचान ही नहीं पाते और इस बीमारी से परेशान रहते हैं। कभी-कभी ओसीडी वाले लोगों में अन्य मानसिक विकार भी होते हैं, जैसे कि स्ट्रेस, डिप्रेशन इत्यादि। उपचार के बारे में निर्णय लेते समय इन अन्य विकारों पर भी विचार करना बहुत ही महत्वपूर्ण है।

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    ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर से बचाव के लिए क्या करें?

    अगर आप चाहते हैं कि आप इस बीमारी से बचें रहें, तो कुछ बातों का खास ध्यान रखने की जरूरत होती है। नीचे हम वो बातें बताने जा रहे हैं, जिनका ध्यान रखने से आप इस बीमारी से बच सकते हैं :

    नियमित रूप से व्यायाम करें : व्यायाम कई तरह की शारीरिक और मानसिक समस्याओं से राहत दिलाने का काम करता है। अगर आप ओसीडी से बचाव या राहत पाना चाहते हैं, तो आप नियमित रूप से व्यायाम करें। आप चाहें तो योगा क्लास जॉइन कर सकते हैं या मेडिटेशन कर सकते हैं।

    डॉक्टर के कहने पर ही दवाई छोड़ें : अगर आप पहले से बेहतर महसूस कर रहे हैं, तो भी अपने डॉक्टर की सलाह के अनुसार दवाएं लें। दवा छोड़ने से ओसीडी रोग फिर से हो सकता है।

    कोई भी दवा लेने से पहले डॉक्टर की सलाह लें : दवा या अन्य खाने की चीज लेने से पहले अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

    यदि आप ओसीडी रोग से खुद को मुक्त करना चाहते हैं, तो सबसे पहले आपको अपने दिमाग और मन दोनों को यह विश्वास दिलाना होगा कि यह कोई कलंकित बीमारी नहीं है। यह एक आम बीमारी है, जिसके बारे में बात करने से आपकी निंदा नहीं होगी। तभी आप इसके बारे में खुल के बात कर पाएंगे।

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    ओसीडी से ग्रसित व्यक्ति की देखभाल करना

    जिस व्यक्ति को ओसीडी होता है, उसकी देखभाल करना कभी -कभी परेशानी वाला हो सकता है। पर आप यह समझें कि वह आप पर बोझ नहीं बन रहा है बल्कि वह अपनी चिंता से निपटने की कोशिश कर रहा है। उनसे ज्यादा से ज्यादा बात करके उनकी परेशानी को दूर करने में उनकी मदद करें।

    यह आपके लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है, इसलिए धैर्य बनाए रखने की आवश्यकता होगी। क्योंकि ओसीडी से ग्रस्त बहुत से लोग यह सोचते हैं कि उनको किसी भी तरह की मदद की आवश्यकता नहीं है, तो वहीं बहुत से लोग मदद लेने में शर्म महसूस करते हैं।

    आप किसी व्यक्ति की अच्छी देखभाल करके इस समस्या से उभरने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। समय-समय पर उनके डर से उनका सामना करवाकर उनको प्रोत्साहित करना चाहिए। हालांकि, ओसीडी के गंभीर मामलों में सबसे पहले किसी थेरेपिस्ट की सलाह लेनी चाहिए।

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    खुद की देखभाल करना जरूरी है

    जिस इंसान पर आप सबसे ज्यादा भरोसा करते हैं उससे ओसीडी से निपटने की मदद लें। यह आपके इस अवसाद को कम करने के लिए काफी हद तक मदद कर सकता है। मानसिक रूप से स्थिर रहें, जिससे आप अपने डर को कम करके खुद को अच्छा महसूस करवा सकें।

    ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर पर कैसे काबू पाएं

    ओसीडी के लक्षण को आप स्वयं भी ठीक कर सकते हैं। यदि आप अपने आप पर थोड़ा ध्यान दें और दिए गए उपाय को सही तरीके से करें। यहां हमने कुछ उपाय दिए हैं, उन्हें पढे़ं और समझें।

    • ओसीडी के कंपल्सिव और ऑब्सेसिव विचारों को नजरअंदाज करने के लिए अपना ध्यान कहीं और लगाएं। मसलन एक्सरसाइज, जॉगिंग, वॉकिंग, स्टडी, म्यूजिक सुनें । खुद को कम-से-कम 15 मिनट तक किसी ऐसे काम में बिजी रखें, जिससे आपको खुशी मिलती हो।
    • जब भी ऑब्सेसिव ख्याल आएं, आप इसे डायरी में नोट कर लें। ऐसा करने से आपको यह पता लगेगा कि आप इन बेकार की बातों में अपना कितना समय गंवा रहे हैं। एक ही बात बार-बार लिखने से आपकी नजरों में उसकी अहमियत कम होने लगेगी।
    • ओसीडी के लक्षण कब आप पर ज्यादा हावी होते हैं? इस बात को नोट करें। अगली बार जब वो समय आने वाला हो, तो उससे पहले ही मेडिटेशन करने लगें। इससे नेगेटिव विचारों की तरफ ध्यान नहीं जाएगा।
    • अपना ध्यान रखें। एक स्वस्थ और संतुलित लाइफस्टाइल आपके ओसीडी के लक्षण को कम करने में काफी मददगार होगी। यह आपको डर और चिंताओं से दूर रखने में सहायक साबित होगी। ध्यान, योग और डीप ब्रीदिंग तकनीक अपनाएं। ऐसा दिन में कम-से-कम 30 मिनट के लिए करें।
    • बेहतर खान-पान की आदत डालें। खाने में साबुत अनाज, फल, सब्जियां आदि शामिल करें। इससे आपके शरीर में सेरोटोनिन बढ़ेगा, जो एक न्यूरोट्रांसमीटर है और दिमाग को शांत करता है।
    • आपको अपना एक चार्ट बनाना है, जिसे हम डर का चार्ट बोलेंगे। इस चार्ट में आपको डर और बार-बार होने वाली चिंताओं को उनके क्रम अनुसार लिखना है और फिर जब भी ऐसे विचार आपके मन में आए, उन्हें खुद को करने से रोकना है। यह आपको तब तक करना है, जब तक आप इस सोच से बाहर नहीं आ जाते।
    • अपने अंदर ओसीडी के लक्षण की पहचान करने के बाद जितनी जल्दी हो सकता है, नियमित एक्सरसाइज करना शुरू कर दें। उससे शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य बढ़ेगा। एंडॉर्फिन आपके दिमाग को खुशी का एहसास कराता है। रोजाना 30 मिनट एक्सरसाइज करें।
    • ओसीडी के लक्षण जल्द से जल्द प्रबंधित हो जाएं, इसके लिए एल्कोहॉल और निकोटिन से दूर रहें और भरपूर नींद लें।
    • आप इस डिसऑर्डर से बाहर निकलने के लिए अपने परिवार का सहारा भी ले सकते है। जितना हो सके अपने परिवार और प्रियजनों के साथ रहें, जिससे आपका दिमाग उनके बीच लगा रहेगा और आप अपनी एंग्जायटी से बाहर आएंगे। ऐसा करना मेंटल हेल्थ के लिए अच्छा होता है। इससे आप पाएंगे कि ओसीडी के लक्षण तेजी से मैनेज हो रहे हैं।
    • ओसीडी सपोर्ट ग्रुप जॉइन करें।

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    हम उम्मीद करते हैं कि आपको इस आर्टिकल में ओसीडी से जुड़ी जरूरी बातें समझ आ गई होंगी और आपको ये भी पता चल गया होगा कि इस बीमारी का इलाज किस तरह से किया जा सकता है। तो अगर आपको या आपके किसी परिचित को ये समस्या है, तो इसे अनदेखा बिल्कुल न करें। इसका सही समय पर सही उपचार कराएं। आशा करते हैं कि आपको हमारा ये आर्टिकल पसंद आया होगा। अगर आपको ये आर्टिकल पसंद आया है, तो इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों के साथ शेयर जरूर करें।  उपचार से संबंधित निर्णय लेने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें।

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