1.कैंसर का कारण भी बन सकता हुक्का पीना
सिगरेट से ज्यादा जहरीला होता है हुक्का पीना। ऐसा दावा किया जाता है सिगरेट में पाया जाने वाला टार हुक्के में नहीं होता है। जबकि, टार एक ऐसा तत्व है जो तम्बाकू को जलाने के बाद बनता है। यह तम्बाकू के धुएं में पाया जाता है। इसके अलावा हुक्के के तम्बाकू को गर्म करने के लिए चारकोल का इस्तेमाल किया है, जिसमें कार्बन मोनोऑक्साइड, कई तरह के मेटल्स और अन्य कैंसर उत्पादक एजेंट का इस्तेमाल किया जाता है। कई रिसर्च इसका दावा भी कर चुके हैं कि, हुक्का पीने के नुकसान में सबसे बड़ा कारण कैंसर (Cancer) का जोखिम हो सकता है। हुक्का पीने वाले लोगों में फेफड़े का कैंसर, मुंह का कैंसर, दिल की बीमारियां जैसे गंभीर स्वास्थ्य स्थितियां होने का खतरा बढ़ जाता है।
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2.हुक्के का एक सेशन = 200 सिगरेट पीना
सामान्य तौर पर हुक्का पीने का एक सेशन 30 से 40 मिनट तक का हो सकता है। इस दौरान हुक्का पीने वालों के फेफड़ों में 100 से 200 सिगरेट बराबर धुआं जाता है। इसके अलावा सिगरेट के मुकाबले हुक्का पीने में अधिक गहराई से सांस लेनी होती है, जिसका मतलब है फेफड़ों में और अधिक धुंआ जाना।
3.‘फ्रूट फ्लेवर’ बच्चों के लिए घातक
हुक्का अपने अलग-अलग स्वाद के कारण लोगों को आकर्षित करता है। वहीं, हुक्के का फ्रूट फ्लेवर कम उम्र के बच्चों का पसंदीदा माना जाता है। हुक्के का स्वाद बढ़ाने के लिए सेब, कॉफी, स्ट्राबेरी, अंगूर, और चैरी जैसे बहुत से बहुत से फ्लेवर आते हैं। इसके साथ ही, हुक्के का नाम हुक्के के फ्लेवर पर ही रखा जाता है, जिससे लोगों के दिमाग में हुक्का पीने के नुकसान का ख्याल आता ही नहीं है। दरअसल, हुक्के के तम्बाकू को इन फ्लेवर का स्वाद देने के लिए कृत्रिम तौर पर इनका इस्तेमाल किया जाता है। जिसे बनाने के लिए कई अलग-अलग रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है।
4.टीबी जैसी गंभीर बीमारियों का कारण