स्पॉन्ज (Sponge): बर्थ कंट्रोल के विकल्पों में यह भी एक ऑप्शन है। एक कॉन्ट्रासेप्टिव स्पॉन्ज वजायना के अंदर इंसर्ट किया जाता है। इसमें एक डिप्रेशन होता है, जो सर्विक्स के ऊपर इसे आसानी से रोक लेता है। इसके बाद एक एप्लीकेटर की मदद से वजायना के अंदर फोम इंसर्ट की जाती है, जो कि स्पर्मिसाइड होती है और मेल स्पर्म को नष्ट कर देती है और स्पॉन्ज स्पर्म को एग तक पहुंचने से रोकता है। हालांकि, जो महिलाएं एक बार मां बन चुकी हैं, उनमें इसके प्रभावशीलता काफी कम रहती है।
कॉन्ट्रासेप्टिव इंजेक्शन (Contraceptive injection) : कॉन्ट्रास्पेटिव इंजेक्शन को ‘द शॉट’ भी कहा जाता है, जिसमें प्रोजेस्टिन हॉर्मोन होता है। इस इंजेक्शन को डॉक्टर की मदद से हर 3 महीने में लगवाया जा सकता है। यह इंजेक्शन महिलाओं में एग बनने की प्रक्रिया को रोक देता है। हालांकि, इससे यौन संचारित रोगों से बचाव नहीं होता है।
आईयूडी (IUD) : आईयूडी का मतलब इंट्रायूटेराइन डिवाइस होता है। यह एक टी-शेप डिवाइस होता है, जो कि महिलाओं के गर्भ में इंस्टॉल किया जाता है। कॉपर टी भी इसी का एक प्रकार है। इसका दूसरा प्रकार हॉर्मोनल आईयूडी है, जिसमें प्रोजेस्टिन हॉर्मोन होता है। यह स्पर्म को एग तक पहुंचने और फर्टिलाइज करने से रोकता है।
कॉन्ट्रासेप्टिव पिल ((Contraceptive Pills) : बर्थ कंट्रोल के लिए कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स का भी काफी उपयोग किया जाता है। इसमें एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टिन नामक दो हॉर्मोन होते हैं। यह हॉर्मोन एग को बनने और ओव्युलेशन की प्रक्रिया को रोक देते हैं।
इन ऑप्शंस के अलावा, कॉन्ट्रासेप्टिव पैच, वजायनल रिंग, एमरजेंसी कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स, द इंप्लांट, सर्वाइकल कैप व डायफ्राम भी अन्य विकल्प के रूप में मौजूद होते हैं।
हम आशा करते हैं कि आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। हैलो हेल्थ के इस आर्टिकल में महिलाओं में गर्भनिरोध के रूप में इस्तेमाल की जाने वाली कॉपर टी से जुड़ी हर जानकारी दी गई है। यदि आप इससे जुड़ी अन्य कोई जानकारी पाना चाहते हैं, तो अपना सवाल हमसें कमेंट सेक्शन में पूछ सकते हैं। आपको हमारा यह लेख कैसा लगा, यह भी आप हमें कमेंट कर बता सकते हैं।