हर चीज को कंट्रोल करना- घर के किसी भी फैसले में आपसे सहमति न लेना और अपनी हर बात मनवाना, जो वह कह रहे हैं चाहे सही हो या गलत आपको उनका आदेश मानना ही पड़ता है, कई बार आपके बनाए प्लान को भी बिना आपकी सहमति के कैंसल कर देना। घर की छोटी से लेकर बड़ी चीज और फैसले अकेले ही डिसाइड करना भी इमोशनल एब्यूज की निशानी है।
हमेशा आलोचना करना- आप चाहे घर में हो या दस लोगों के बीच में पार्टनर हर बार आपकी आलोचना करता है जैसे तुम्हें कपड़े पहनने का ढंग नहीं है, कैसे बात करती हो ज़रा भी तमीज नहीं है, तुम्हारा तो स्टैंडर्ड ही लो है आदि बातें करके आपका आत्मविश्वास गिराने की कोशिश करता है। सबके सामने भी वह आप पर ताने कसने से बाज नहीं आते, भले ही आपको कितना भी बुरा क्यों न लगे, लेकिन उन्हें आपकी भावनाओं की ज़रा भी कद्र नहीं होती और वह कभी नहीं चाहतें कि आपके अंदर आत्मविश्वास जगे तो समझ लीजिए कि आप पर इमोशनल अत्याचार हो रहा है।
लड़ाई-झगड़ा- आपके द्वारा पूछी गई साधारण सी बात का भी चिल्लाकर जवाब देना, कुछ भी पूछने पर तुरंत लड़ाई शुरू कर देना और फिर आपकी बात सुने बिना ही इतना चिल्लाना की मजबूरन बिना किसी गलती के भी आपको गिल्टी फील होने लगे तो समझ लीजिए कि आप गलत रिश्ते में हैं। एब्यूजिव पार्टनर की आदत होती है बिना बात के लड़ाई करने की।
अकेलेपन का एहसास- इमोशनल एब्यूज का पीड़ित व्यक्ति के मस्तिष्क पर बहुत गहरा असर होता है। पार्टनर के एब्यूजिव व्यवहार की वजह से उसका बाकी रिश्तों पर से भी विश्वास उठ जाता है, उसे लगने लगता है कि उसके पार्टनर की तरह ही बाकी के लोग भी उसकी परवाह नहीं करतें और इस तरह से वह खुद को अपने परिवार और दूसरों से भी दूर करने लगता है, नतीजतन अकेलेपन का शिकार हो जाता है। यदि आपके साथ ही ऐसा हो रहा है तो आप इमोशनल एब्यूज का शिकार हो रहे हैं।
इल्जाम लगाना- घर में या ऑफिस में भी कुछ गलत होने पर यदि पार्टनर उसके लिए आपको ही जिम्मेदार ठहराता है, उसकी लाइफ में जो कुछ भी गलत होता है उसका इल्जाम आप पर डाल देता है तो यह भावनात्मक शोषण की निशानी है।
धमकी- जब भी आप अपनी बात कहना चाहते हैं या अपने मन को कुछ करना चाहते हैं तो पार्टनर आपको इमोशनल ब्लैकमेल करता है, आत्महत्या करने की धमकी देता है या खुद को किसी किसी भी अन्य तरह से नुकसान पहुंचाने की धमकी देता है तो यह इमोशनल एब्यूज का संकेत है। समय रहते आपको इन संकेतों को पहचानकर खुद को इस स्थिति से बाहर निकालने की कोशिश करनी चाहिए।
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