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'फीमेल ऑर्गैज्म' के बारे में लोग बात करना पसंद नहीं करते लेकिन गूगल पर सर्च जरूर करते हैं

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Nidhi Sinha द्वारा लिखित · अपडेटेड 31/05/2021

    'फीमेल ऑर्गैज्म' के बारे में लोग बात करना पसंद नहीं करते लेकिन गूगल पर सर्च जरूर करते हैं

    फीमेल ऑर्गैज्म क्या है ?

    ऑर्गैज्म को सेक्शूअल एक्साइटमेंट के तौर पर देखा जाता है। फिजिकल इंटीमेसी के दौरान महिलाओं में ऑर्गैज्म का डिस्चार्ज होता है। सामान्य भाषा में इसे समझें तो फिजिकल इंटीमेसी के दौरान वजायना से पानी जैसा डिस्चार्ज होता है। महिलाओं में ऑर्गैज्म फिजिकल इंटीमेसी के दौरान आता है और इसके साथ ही महिलाओं में वजायना से वाइट डिस्चार्ज भी आना सामान्य है (वाइट डिस्चार्ज ज्यादा होने पर डॉक्टर से संपर्क करें)।

    येल यूनिवर्सिटी के रिसर्च के अनुसार फीमेल ऑर्गैज्म का सेक्शूअल एक्साइटमेंट के अलावा और क्या भूमिका है, यह अभी तक साफ नहीं है। हालांकि इस बारे में जब लोगों से बात करने की कोशिश की गई तो ज्यादातर लोग ऑर्गैज्म का नाम सुनते ही इस विषय पर अपनी प्रतिक्रिया देना सही नहीं समझें। लेकिन, फीमेल ऑर्गैज्म गूगल पर सर्च किये जाने वाले लिस्ट में टॉप पर है।

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    कितने तरह का होता है फीमेल ऑर्गैज्म ?

    फीमेल ऑर्गैज्म से जुड़ी जानकारियों के लिए जब मैंने बात की कंसल्टिंग होमियोपैथ एंड क्लिनिकल न्यूट्रनिस्ट डॉक्टर श्रुति श्रीधर से तो उनका मानना है की फीमेल ऑर्गैज्म के कई प्रकार होते हैं। जिनमें शामिल हैं:

    1. क्लिटोरल ऑर्गैज्म (Clitoral orgasm)

    क्लिटोरल ऑर्गैज्म वो है, जो क्लिटोरस को स्टूमलेट करने पर होता है। वजायना के ऊपरी हिस्सों को छूने पर होता है। महिलाओं में क्लिटोरस पेनिस के समान होता है।

    2. जी-स्पॉट ऑर्गैज्म (G-spot orgasm)

    वजायना और सर्विक्स के अंदर की ओर ऊपरी हिस्से में होता है जी-स्पॉट। जी-स्पॉट जब अंगुली या पेनिस (penis) के संपर्क में आती है, और जी-स्पॉट को स्टिमुलेट करने पर होने वाली अवस्था को जी-स्पॉट ऑर्गैज्म कहते हैं। हर एक महिला में जी-स्पॉट अलग-अलग जगह होता है। यह अपने पार्टनर की मदद से समझा जा सकता है।

    3. ब्लेंडेड ऑर्गैज्म (Blended orgasm)

    क्लिटोरस के ऊपरी और निचले हिस्से को स्टूम्लेट करने पर महसूस होने वाली अनुभूति ब्लेंडेड ऑर्गैज्म कहलाती है।

    4. एनल ऑर्गैज्म (Anal orgasm)

    अंगुली या पेनिस की मदद से जब एनस को स्तूम्लेट (Stimulate) किया जाता है, तो इस स्टेज में महसूस होने वाली अवस्था को एनल ऑर्गैज्म कहते हैं।

    5. डीप वजायनल एरोजीनस जोन ऑर्गैज्म (Deep vaginal erogenous zone orgasm)

    अंगुली या पेनिस वजायना के अंदर पहुंचने को डीप वजायनल एरोजीनस जोन ऑर्गैज्म कहते हैं।

    6. स्क्वरटिंग ऑर्गैज्म (Squirting orgasm)

    महिला के अत्यधिक उत्तेजित अवस्था में वजायना से आने वाला वाइट डिस्चार्ज जब तेजी से होने लगे तो उसे स्क्वरटिंग ऑर्गैज्म कहलाता है।

    7. सर्वाइकल ऑर्गैज्म (Cervical orgasm)

    जब सर्विक्स जो वजायना के ऊपरी हिस्से पर होता है जिसे स्टूम्लेट किया जाता किया जाता है। इस समय महिला द्वारा महसूस किये गए अनुभव को सर्वाइकल ऑर्गैज्म कहते हैं।

    8. निप्पल ऑर्गैज्म (Nipple orgasm)

    निप्पल और निप्पल के चारोओर एरोला (Areola) को छूकर स्टूम्लेट करने पर जो ऑर्गैज्म होता है, उसे निप्पल ऑर्गैज्म कहते हैं।

    9. एक्सरसाइज ऑर्गैज्म (Exercise orgasm)

    यह महिला और पुरुष दोनों में ही होता है। दरअसल, एक्सरसाइज के बाद व्यक्ति अच्छा महसूस करता है और शरीर में पॉसिटिव एनर्जी महसूस होती है। इस अवस्था को एक्सरसाइज ऑर्गैज्म कहते हैं।

    10. स्लीप ऑर्गैज्म (Sleep orgasm)

    स्लीप ऑर्गैज्म को नॉकटुर्नल ऑर्गैज्म भी कहते हैं। नींद में सेक्शुअल सपने देखने पर होने वाले डिस्चार्ज को स्लीप ऑर्गैज्म कहते हैं। स्लीप ऑर्गैज्म महिलाओं के साथ-साथ पुरुषों में भी होता है, जिसे स्वप्न दोष कहते हैं।

    11. मल्टिपल ऑर्गैज्म (Multiple orgasms)

    दरअसल, इंसान जब सेक्शुअली अत्यधिक अच्छा महसूस करने लगे तो इस अवस्था को मल्टिपल ऑर्गैज्म कहते हैं। अगर इसे सामान्य भाषा में समझें तो सेक्स के दौरान बार-बार अच्छा महसूस होना।

    यह जरूरी नहीं की ये सभी ऑर्गैज्म हर महिला महसूस करे। लेकिन, सेक्स से जुड़ी कोई भी परेशानी महसूस होने पर खुद से इलाज न करें और शर्माएं नहीं। बेहतर होगा की सीधे डॉक्टर से संपर्क किया जाये।

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    फीमेल ऑर्गैज्म से क्या लाभ मिलता है?

    फीमेल ऑर्गैज्म से महिलाओं को निम्नलिखित शारीरिक लाभ मिल सकता है। जैसे-

    फीमेल ऑर्गैज्म से लव हॉर्मोन स्रावित होता है

    फीमेल ऑर्गैज्म से ऑक्सिटोसिन हॉर्मोन रिलीज होता है, जिसे लव हॉर्मोन के नाम से भी जाना जाता है। यही नहीं फीमेल ऑर्गैज्म की वजह से एपेटाइट भी स्ट्रॉन्ग होता है। ऑक्सिटोसिन हॉर्मोन की वजह से तनाव और डिप्रेशन जैसी परेशानी भी कम होती है। इसके साथ ही डोपामाइन हॉर्मोन भी सिक्रीट होता है। डोपामाइन हॉर्मोन की वजह से सेक्स और खाने की इच्छा भी बढ़ती है।

    टेस्टोस्टेरॉन लेवल को बढ़ाने में मददगार होता है

    वैसी महिलाएं जो सेक्स को एन्जॉय करती हैं उनमें एस्ट्रोजेन और टेस्टोस्टेरॉन हॉर्मोन की मात्रा बढ़ जाती है। एस्ट्रोजेन और टेस्टोस्टेरॉन हॉर्मोन की वजह से सेक्स डिजायर बढ़ जाती है।

    डायजेशन होता है बेहतर

    हमसभी जानते हैं की सेक्स से तनाव कम होता है। सेक्स किसी एक्सरसाइज से कम नहीं है। हालांकि इससे यही नहीं बल्कि बढ़े हुए ब्लड प्रेशर को कम करने के साथ-साथ डायजेशन को भी बेहतर करने में मददगार होता है।

    दर्द होता है कम

    रिसर्च के अनुसार फीमेल ऑर्गैज्म की वजह से दर्द में भी राहत मिलती है।

    बॉडी रहती है शेप में

    ऑर्गैज्म की वजह से शरीर का वजन भी संतुलित रहता है। सेक्स की वजह से 200 कैलोरी बर्न होती है।

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    वैसे सेक्स या फीमेल ऑर्गैज्म जैसे टॉपिक पर आज भी भारत जैसे विकासील देशों में कोई खुलकर बात करना नहीं चाहता है लेकिन, फीमेल ऑर्गैज्म या सेक्स जैसे शब्दों को सिर्फ दूसरे नजरिये से देखकर अगर बेटर हेल्थ के नजरिये और जानकारी के अनुसार समझा जाए तो बेहतर होगा।

    वैसे महिला या पुरुष दोनों को ही शारीरिक संबंध बनाने के दौरान या बाद में हाइजीन का ख्याल भी रखना चाहिए। सबसे पहले तो सेफ सेक्स का तरीका अपनाना चाहिए। क्योंकि सेफ सेक्स की वजह से एड्स और एचआईवी जैसी बीमारियों का खतरा न के बराबर होता है और सेफ सेक्स की वजह से अनचाहे गर्भ से भी बचा जा सकता है। इसलिए शारीरिक संबंध बनाने के लिए कोंडम का इस्तेमाल करें। आजकल मेल कोंडम के साथ-साथ फीमेल कोंडम का भी विकल्प मौजूद है। यह ध्यान रखें की सेक्स के बाद महिला हों या पुरुष दोनों को अपने प्राइवेट पार्ट की ठीक तरह से सफाई करनी चाहिए।   अगर आप फीमेल ऑर्गैज्म या हाइजीन से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है।

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