कई बार हेपेटाइटिस की बीमारी इतना गंभीर रूप धारण कर लेती है कि जिसकी वजह से लिवर पूरी तरह से डैमेज हो जाता है। इसे लिवर फेल होना भी कहते हैं। ऐसे में हेपेटाइटिस बी में लिवर ट्रांसप्लांट करने की जरूरत पड़ती है।
के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr. Pooja Bhardwaj
लिवर ट्रांसप्लांट के दौरान क्षतिग्रस्त हुए लिवर को हटाकर डोनर से मिले स्वस्थ लिवर को लगाया जाता है। आमतौर पर मृत डोनर्स से लिवर प्राप्त किया जाता है, लेकिन इसका मिलना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। अगर ऐसी स्थिति में लिवर न मिले, तो लिवर का कुछ हिस्सा किसी जीवित डोनर से लेकर बदला जाता है। क्योंकि लिवर खुद को अपने आप ठीक करने में सक्षम होता है।
हेपेटाइटिस बी में लिवर ट्रांसप्लांट पेशेंट को बचाने एक आखिरी तरीका रह जाता है। इसके बाद कुछ भी नहीं किया जा सकता। क्योंकि संभव है ट्रांसप्लांट किया गया लिवर फिर से संक्रमित हो जाए। लिवर ट्रांसप्लांट एक जटिल प्रक्रिया है, जिसके बाद व्यक्ति को जिंदगी भर खास ख्याल रखना होता है।
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आपको लिवर ट्रांसप्लांट की आवश्यक्ता है या नहीं इसका निर्णय डॉक्टर्स काफी टेस्ट और सोच-विचार करने के बाद लेते हैं। डॉक्टर्स की टीम इस जटिल प्रक्रिया को अंजाम देती है। हालांकि, अंतिम निर्णय हर केस में अलग-अलग हो सकता है। फिर भी कुछ सामान्य दिशा-निर्देश हैं, जिनका ख्याल रखा जाता है। कुछ मामलों में देखने को मिलता है कि लिवर की समस्या से जूझ रहे मरीजों की स्थिति को किसी भी उपचार से ठीक नहीं किया जा सकता है। ऐसे में सिर्फ एक ही विकल्प बच जाता है वह लिवर ट्रांसप्लांट करना। हेपेटाइटिस और लिवर कैंसर की स्थिति में लिवर ट्रांसप्लांट करने की जरूरत पड़ सकती है। इन दोनों ही बीमारियों में लिवर फेलियर हो सकता है। वहीं लिवर फेलियर भी दो प्रकार के होते हैं।
इस तरह के लिवर फेलियर में अचानक या बहुत थोड़े समय या सिर्फ हफ्तों में ही लिवर काम करना बंद कर देता है। यह आमतौर पर किसी दवा की प्रतिक्रिया के कारण लिवर में आई समस्या के कारण होता है। इस तरह के लिवर फेलियर लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत सबसे ज्यादा पड़ती है।
क्रोनिक लिवर फेलियर काफी समय में होता है। इसमें क्रोनिक लिवर फेलियर होने में कई सालों तक का समय लग सकता है। क्रोनिक लिवर फेलियर का सबसे आम कारण सिरोसिस होता है। इसमें लिवर के क्षतिग्रस्त टिश्यू हेल्दी टिश्यूज की जगह ले लेते हैं और इस कारण लिवर सामान्य रूप से काम नहीं कर पाता है। किन कारणों से पड़ती है लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत:
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कई मामलों में हमारा शरीर ट्रांसप्लांट के बाद नए लिवर को घुसपैठिए के रूप में देखता है। ऐसे में हमारा इम्यून सिस्टम उसे दुश्मन समझकर उससे लड़ने में जोर लगाना शुरू कर देता है। ऐसे में ऑर्गन रिजेक्ट होने की संभावना बढ़ जाती है, जिससे बचने के लिए इम्यूनोथेरेपी (immunotherapy) दी जाती है। इम्यूनोथेरेपी इम्यून सिस्टम को दबाकर रखती है। हालांकि, भविष्य में भी ऑर्गन रिजेक्शन की संभावना बनी रहती है। ऑर्गन रिजेक्शन का पहला लक्षण है लिवर इंजाइम्स का बढ़ा हुआ स्तर। इसके साथ भूख न लगना, बुखार, पीलिया, पेशाब का गाढ़ा रंग और हल्के रंग का मल आने जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं।
अगर आपने हेपेटाइटिस बी या किसी अन्य शारीरिक स्वास्थ्य समस्याओं के कारण लिवर ट्रांसप्लांट करवाया है, तो आपको कई बातों का ध्यान रखना पड़ सकता है। लिवर ट्रांसप्लांट के कुछ समय बाद आप पूरी तरह से आपनी सामान्य दिनचर्या को फि्र से शुरू कर सकते हैं। लेकिन, एक बात का आपको ध्यान रखना चाहिए कि, अगर उचित देखरेख न की जाए, तो भविष्य में आपको लिवर से जुड़ी समस्यांओं के होने का जोखिम अधिक बढ़ सकता है और आपको दोबारा से भी लिवर ट्रांसप्लांट की आवश्यकता पड़ सकती है। भविष्य में होने वाले इस तरह के किसी भी जोखिम से बचे रहने के लिए आपको निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए, जिसमें शामिल हैंः
शराब के सेवन से आपका लिवर बहुत जल्दी खराब हो सकता है। इसलिए शराब की लत को आज ही दूर करने का प्रयास करें। इसके अलावा, अगर आप किसी तरह का ड्रग्स या अन्य नशीले पदार्थों का सेवन करते हैं, तो उनके सेवन से भी दूरी बनाएं।
कैमिकल युक्त किसी भी पदार्थ जैसे, पेंट, पेंट रिमूवर, कीटनाशक, गैसोलीन, ड्रेन क्लीनर जैसे पदार्थों से दूरी बनाएं। क्योंकि सांस लेने के दौरान हवा के जरिए इनके कैमिकल आपके शरीर में प्रवेश कर सकते हैं और लिवर के लिए जोखिम बढ़ा सकते हैं। ऐसे किसी भी पदार्थ का इस्तेमाल करते समय हमेशा अच्छी क्वालिटी के मास्क का इस्तेमाल करें।
लिवर ट्रांसप्लांट के बाद आप क्लोरीनयुक्त पानी, नगरपालिका के नल का पानी पी सकते हैं। हालांकि, फिर भी आपके डॉक्टर आपको उबाल कर पीने का पीने की सलाह दे सकते हैं। ताकि, पानी विषाक्त पदार्थों से मुक्त हो जाए। अगर आप वॉटर प्यूरीफायर के पानी का इस्तेमाल करते हैं, तो अपने प्रोडक्ट से जुड़ी सभी तरह की जानकारियों को जरूर समझें और समय-समय पर उसकी सर्विसिंग कराएं।
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अगर आपके घर में कोई पालतू जानवर है तो उससे उचित दूरी बना कर रखें। अपने पालतू जानवर से खेलने के तुरंत बाद अपने हाथों को अच्छे से धोएं। अगर आपका पेट बीमार है, तो उसके करीब न जाएं। किसी अन्य सदस्य से उसकी देखभाल करने के लिए कहें।
लीवर ट्रांसप्लांट के रोगियों को अपने स्वास्थ्य में होने वाले बदलाव की जानकारी रखनी चाहिए। ताकि, वे किसी भी मेडिकल अलर्ट की पहचान आसानी से कर सकें और किसी गंभीर खतरे से बचाव कर सकें। इसके लिए आपको किस तरह के लक्षणों का खास ध्यान रखना चाहिए, इसके बारे में आप अपने डॉक्टर से परामर्श कर सकते हैं। आपके स्वास्थ्य की स्थिति और लिवर प्रत्यारोपण की विधियों के आधार पर आपके डॉक्टर आपको बेहतर सुझाव दे सकते हैं।
लिवर ट्रांसप्लांट के बाद महिलाएं प्रेग्नेंसी प्लानिंग कर सकती हैं। वे भी एक सामान्य महिला की तरह की अपने हेल्दी बच्चे को जन्म दे सकती हैं। हालांकि, गर्भावस्था के चरणों के दौरान महिलाओं के शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं। ऐसे में उन्हें कुछ तरह की दवाओं का भी सेवन भी करना पड़ सकता है। इसलिए गर्भावस्था की योजना बनाने से पहले अपने डॉक्टर से उचित सलाह लें। साथ ही, प्रेग्नेंसी के बाद आप किस तरह की दवाओं का सेवन कर सकती हैं इसके बारे में भी अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
लिवर ट्रांसप्लांट के बाद आपको वॉकिंग करनी चाहिए जितनी आप आसानी से कर पा रहे हैं उतनी ही। प्रोग्रेस के आधार पर आप दूसरी फिजिकल एक्टीविटीज को भी अपनी डेली लाइफ में शामिल कर सकते हैं। जैसे कि साइकलिंग, स्विमिंग, लो इम्पैक्ट स्ट्रेंथ ट्रेनिंग आदि, लेकिन कोई भी एक्सरसाइज शुरू करने से पहले एक बार डॉक्टर से जरूर पूछ लें।
अगर आपको अपनी समस्या को लेकर कोई सवाल हैं, तो कृपया अपने डॉक्टर से परामर्श लेना न भूलें।
डिस्क्लेमर
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