अब 3 डायमेंशन से किये गए अध्ययन से यह बात साबित हो चुकी है कि स्पर्म एक तैराक की तरह द्रव में तैरता है। लेकिन ऐसा तैराक जो अपनी टांग एक ही तरफ हिला सकता है। यानी अभी हुई रिसर्च के अनुसार शुक्राणु तैरते हुए अपनी पूंछ को दोनों तरफ नहीं हिला सकता। बल्कि, वो एक ही साइड इसे हिलाते हुए अपनी मंजिल की तरफ आगे बढ़ता है। इस अध्ययन को करने वाले हेर्मिस गाडेलहा, यू.के. में ब्रिस्टल विश्वविद्यालय के गणितज्ञ हैं। उनके अनुसार अगर आप द्रव में स्पर्म जिस तरह से आगे बढ़ता है, उसकी नकल स्विमिंग पूल में करेंगे तो आप केवल सर्किल में ही घूमते रहेंगे। लेकिन स्पर्म इसी तकनीक से अपनी निर्धारित दिशा की तरफ बढ़ता है।
कैसे निकाला उन्होंने यह निष्कर्ष
3 D माइक्रोस्कोपी तकनीक का प्रयोग करके यूके और मेक्सिको के शोधकर्ता शुक्राणु की पूंछ की तेजी से मूवमेंट को गणितीय रूप से फिर से संगठित करने में सक्षम थे। उनके अनुसार स्पर्म की पूंछ की मूवमेंट इतनी अधिक थी कि वो एक सेकेंड से भी कम समय में 20 से भी अधिक स्विमिंग स्ट्रोक मारने में सक्षम थी। ऐसे में, उन्हें एक सुपर फास्ट कैमरा चाहिए था। जो स्पर्म की इस तेज गति में भी अधिक से अधिक उसकी तस्वीरें ले सके और 3 D से इसमें स्वतंत्र रूप से तैरते समय शुक्राणु की पूंछ को प्रभावी ढंग से स्कैन करता हो। पूरी तरह से आश्वस्त होने के बाद उन्होंने पूरा अध्ययन किया। तो वो पूरी तरह से हैरान थे क्योंकि उन्होंने पाया कि शुक्राणु की पूंछ वास्तव में एक तरफ ही मूवमेंट कर रही है।
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अब सवाल यह है कि ऐसा कैसे हो सकता है? तो इसके बारे में उनका कहना है कि यह शुक्राणु का कॉम्प्लेक्स तरीका है आगे बढ़ने का। तैरते हुए शुक्राणु की ऑटोमेटेड ट्रैकिंग करने और उसकी स्थिति के गणितीय विश्लेषणों का उपयोग करके गाडेलहा व उनके सहयोगियों ने शुक्राणु पूंछ की मूवमेंट को दो घटकों में बांट कर इसका एक निष्कर्ष निकाला है। जिसमें उन्होंने पाया कि मूवमेंट के एक घटक के कारण शुक्राणु आगे बढ़ने के लिए एक ही साइड का प्रयोग कर रहा है। इससे वो केवल सर्किल में ही तैर सकता है। लेकिन शुक्राणु के पूंछ की मूवमेंट का दूसरा घटक स्पर्म को घुमाता है, उसका संतुलन बनाता है और यह एकतरफे स्ट्रोक्स का भी कारण है।