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एक्‍सिडेंटल ऑर्गैज्म: कितना जानते हैं आप इसके बारे में?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr. Pooja Bhardwaj


Ankita mishra द्वारा लिखित · अपडेटेड 05/07/2022

    एक्‍सिडेंटल ऑर्गैज्म: कितना जानते हैं आप इसके बारे में?

    परसिस्टेंट जेनिटल अराउजल डिसऑर्डर (Persistent genital arousal disorder), महिलाओं में होने वाली समस्या है, जिसमें अचानक ऑर्गैज्म होने लगता है। इस एक्सिडेंटल ऑर्गैज्म भी कह सकते हैं। कई महिलाओं को लगता है कि यह रोग सिर्फ पुरुषों को ही हो सकता है, लेकिन, यह सच नहीं है। एक्‍सिडेंटल ऑर्गैज्म कहीं भी किसी को भी, कभी भी हो सकता है। आज हम इसी के बारे में विस्तार से बात करेंगे।

    परसिस्टेंट जेनिटल अराउजल डिसऑर्डर द  को परसिस्टेंट सेक्शुअल अराउजल (accidental organism)  सिंड्रोम भी कहा जाता है। यह एक ऐसी समस्या है जिससे ग्रसित महिलाएं बिना किसी कारण उत्तेजित महसूस करने लगती हैं। इस स्थिति में आपको उत्तेजित होने के सभी लक्षण जैसे योनि में सूजन महसूस हो सकती है।

    पीजीएडी के दौरान व्यक्ति को लगातर उत्तेजित महसूस होता रहता है। कुछ मामलों में यह स्थिति कुछ घंटों, दिनों या हफ्तों तक भी रह सकती है। जिसके कारण आपका निजी जीवन भी प्रभावित होने लगता है।

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    एक्सिडेंटल ऑर्गैज्म (पीजीएडी) के प्रकार (Types of accidental organism (PGAD)

    परसिस्टेंट जेनिटल अराउजल डिसऑर्डर ज्यादातर महिलाओं में पाया जाता है लेकिन कुछ मामलों में इसके लक्षण पुरुषों में भी देखे गए हैं। पुरुषों में इस स्थिति को प्रियापिसम (Priapism) कहा जाता है। पुरुषों की इस स्थिति में लिंग कई घंटों तक उत्तेजित रहता है।

    एक्सिडेंटल ऑर्गैज्म की पहचान दो रूपों में की गई है –

    शारीरिक एक्रसपोजर (Physical access): इसका मतलब है कि जब भी किसी महिला के प्राइवेट पार्ट में घर्षण होता है, तो उन्हें एक्सिडेंटल ऑर्गैज्म हो सकता है।

    भावनात्मक तरीका (Emotional way) : यहां भावनात्मक का मतलब है कि जब भी कोई महिला अगर सेक्स के बारे में गहराई से सोच रही है या उसकी सेक्स की इच्छा चरम पर हो, तो भी एक्सिडेंटल ऑर्गैज्म हो सकता है।

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    एक्सिडेंटल ऑर्गैज्म (पीजीएडी) किन महिलाओं (accidental organism in women)में होता है?

    एक्सिडेंटल ऑर्गैज्म सभी महिलाओं के साथ नहीं हो सकता है। यह सिर्फ उन्हीं महिलाओं को हो सकता है, जो मानसिक या भावनात्मक तरीके से सेक्स की चरम सीमा पर होती हैं। यह पूरी तरह से महिलाओं की अपनी-अपनी सोच पर निर्भर रहता है।

    पीजीएडी (परसिस्टेंट जेनिटल अराउजल डिसऑर्डर) के लक्षण (Symptoms of Persistent Genital Arousal Syndrome)

    पीजीएडी का सबसे सामान्य लक्षण उत्तेजित महसूस होना है। महिलाओं में यह स्थिति गुप्तांग में महसूस होती है जिससे क्लाइटोरिस, योनि और योनि के होंठों पर सूजन होने लगती है। इसके साथ ही शरीर के अन्य अंग जैसे स्तनों के निप्पल भी उत्तेजित हो जाते हैं। पुरुषों में ये स्थिति लिंग में दर्द या कई घंटों तक उत्तेजित होने की स्थिति उत्पन्न कर देता हैं। इस समस्या के शुरुआती लक्षण जेनिटल टिश्यू में सेंसेशन होना, प्राइवेट पार्ट पर खुजली, गीलापन, प्रेशर, जलन और चुभन जैसा महसूस होना हो सकते हैं।

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    पीजीएडी के अन्य सामान्य लक्षण

    • पूरे शरीर की मांसपेशियों में  ऐंठन आना (Muscle cramps)
    • चेहरा और गला लाल होना (Sore throat)
    • दिल की धड़कन बढ़ना (Fast Heart Beats)
    • अनियमित रूप से रक्त प्रवाह में बढ़ोतरी ( Increase Blood Circuation)
    • तेजी से सांस लेना  (Fast breathing)
    • धुंधला दिखाई देना ( Vision Problem)
    • गुप्तांग में दर्द होना (Pain in private parts)

    महिलाओं में परसिस्टेंट जेनिटल अराउजल डिसऑर्डर (पीजीएडी) होने के कारण (Causes of Persistent Genital Arousal Syndrome)

    एक्सिडेंटल ऑर्गैज्म के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन, इसके मुख्य कारण पता करना मुश्किल है। इसके अलावा, कुछ सामान्य कारण हो सकते हैं, जैसे :

    मन का मचलना

    अगर किसी महिला का दिमाग स्थिर नहीं रह पा रहा है, तो उसे एक्सिडेंटल ऑर्गैज्म हो सकता है। अगर, महिला का दिमाग किन्हीं कारणों से बहुत परेशान रहता है या किसी बात को बहुत ज्यादा परेशान रहती हैं, तो इस समस्या की परेशानी झेल सकती हैं। यही कारण है कि कई बार महिलाओं को सार्वजनिक स्थानों पर भी एक्सिडेंटल ऑर्गैज्म आ सकता है।

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    बहुत तेज चलना

    अगर कोई महिला शारीरिक संबंध के बारे में सोचते हुए हुए तेजी से चल रही है, तो उसे एक्सिडेंटल ऑर्गैज्म की समस्या हो सकती हैं। हालांकि, ऐसे बहुत ही कम मामले देखे गए हैं।

    प्राइवेट पार्ट में रगड़ होना

    अगर कोई महिला किसी वजह से अपने गुप्तांग में रगड़ या घर्षण महसूस करती है, तो एक्सिडेंटल ऑर्गैज्म हो सकता है।

    सोते समय सपने आना

    सोते समय किसी को भी सेक्स संबंधी सपने आ सकते हैं। अगर, कोई महिला सोते समय यौन संबंधी सपने देखे, तो उससे भी वो ऑर्गैज्म तक पहुंच सकती है। हालांकि, यह पुरुषों के साथ ज्यादा होता है।

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    सेक्‍स के बारे में सोचना

    अगर महिला कुछ ऐसे देखे, जिससे उससे मन में सेक्स संबंधी विचार आते हों, तो एक्सिटेंडल ऑर्गैज्म हो सकता है।

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    मन का भटकना

    विशेषज्ञों की मानें, तो अगर कोई महिला मेडिटेशन के दौरान अपने मन को शांत नहीं कर पा रही है और उस दौरान उसके मन में सेक्स या उससे संबंधी कोई विचार आते हैं, तो एक्सिटेंडल ऑर्गैज्म की समस्या हो सकती है।

    एक्सिटेंडल ऑर्गैज्म की समस्या बहुत ही आम होती है। लेकिन, अगर किसी के साथ यह समस्या बार-बार हो रही हो, तो उसे डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

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    पीजीएडी का इलाज (Treatment of PGAD)

    पीजीएडी का इलाज परसिस्टेंट जेनिटल अराउजल के कारण पर निर्भर करता है। कुछ मामलों में मास्टरबेशन की मदद से अराउजल को कम किया जा सकता है। लेकिन ये तरीका लंबे समय तक काम नहीं करता है। यह केवल स्थिति के दोबारा आने तक ही आराम दिला सकता है।

    कुछ मामलों में परसिस्टेंट जेनिटल अराउजल के लक्षणों को कम करने के लिए अत्यधिक मास्टरबेशन के कारण स्थिति अधिक गंभीर या लंबे समय तक परेशान कर सकती है।

    परसिस्टेंट जेनिटल अराउजल के अन्य इलाज

    • नंबिंग जेल (सुन्न करने वाला मरहम)
    • इलेक्ट्रोकॉनवल्सिव थेरेपी, अगर आपकी इस स्थिति का कारण कोई मानसिक विकास जैसे बायपोलर 1 या गंभीर चिंता है तो इस ट्रीटमेंट का इस्तेमाल किया जाता है।
    • साइकोलॉजिकल ट्रीटमेंट जैसे कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (Cognitive Behavioral Therapy)

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    साइकोलॉजिकल ट्रीटमेंट महिलाओं में स्थिति को ट्रिगर करने वाले कारणों का पता लगाता है। जिससे इलाज की प्रकिया में मदद मिलती है। इसकी मदद से स्ट्रेस, चिंता और अवसाद को नियंत्रित करने में भी मदद मिलती है।

    पीजीएडी से ग्रसित व्यक्ति शारीरिक दर्द और असुविधा को  कम करने के लिए अपने पेल्विक एरिया पर बर्फ से सिकाई या ठंडे पानी से स्नान कर सकते हैं। पीजीएडी के बेहतर इलाज के लिए डॉक्टर से परामर्श करें।

    पीजीएडी के अज्ञात कारणों के कारण इस स्थिति को आमतौर पर रोक पाना बेहद मुश्किल होता है। यह बेहद जरूरी है कि जो भी महिलाएं इस स्थिति से ग्रस्त हैं व किसी भी तरह की शर्म महसूस न करें और तुंरत डॉक्टरी सलाह लें।

    पीजीएडी का इलाज फिलहाल मुमकिन नहीं है, लेकिन इसके लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है। इससे मरीज का जीवन बेहतर होने लगता है और साथ पहले के मुकाबले पीजीएडी की स्थिति धीरे-धीरे कम उत्पन्न होने लगती है। इसके अलावा डॉक्टरी परामर्श की मदद से आपको भावनात्मक रूप से भी सहारा मिल सकता है और आप सामान्य रूप से कॉन्फिडेंट महसूस कर सकती हैं।

    उम्मीद करते हैं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और पीजीएडी से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।

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