उज्जायी प्राणायाम करने से शरीर में फ्रेश ऑक्सीजन का प्रवाह होता है, इससे व्यक्ति खुद को तरोताजा और रिलेक्स महसूस करता है। जब कोई व्यक्ति इस योगाभ्यास को सही से करता है तो उसे आंतरिक तौर पर गर्मी मिलती है, जिससे शरीर में एनर्जी का संचार होता है। जीवन शक्ति के विकास के लिए इस योगाभ्यास को किया जाता है। यह प्राणायाम श्वासों की मदद से किया जाने वाला योग है। इस योगाभ्यास को करने से थ्रोट के फ्रिक्शन से स्वांसों की आवाज निकलती है, यह आवाज समुद्र की लहरों के समान होती है।
इस योग को करने से श्वास साफ तौर पर सुनाई देता है। इसे करने से हमारा दिमाग काफी ज्यादा अलर्ट होता है और आत्मा की शांति महसूस होती है। नियमित दिनचर्या में हम इस योग को शामिल करें तो हमारे आसपास क्या हो रहा व क्या नहीं उसके प्रति हमारा दिमाग पूरी तरह एकाग्र हो जाएगा। उज्जायी प्राणायाम (Ujjayi Pranayama) को आप चाहें तो मैट पर या फिर मैट के बिना भी प्रैक्टिस कर सकते हैं। ऐसे में जब भी आप स्ट्रेस्ड और असहज महसूस कर रहे हैं तो जरूरी है कि आप उज्जायी प्राणायाम करें। इसे कर आप शारिरिक और मानसिक रूप से शरीर को आराम पहुंचा सकते हैं।
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उज्जायी प्राणायाम (Ujjayi Pranayama) कैसे करें?
एक्सपर्ट बताते हैं कि उज्जायी प्राणायाम (Ujjayi Pranayama) को करने के लिए गले को टाइट कर सांस भरते हैं। फिर यथाशक्ति उसे रोकने के बाद दायीं नाक को बंद कर बाएं से श्वास छोड़ देते हैं। इसे करने के क्रम में यानि श्वांस लेने के क्रम में हमारे थ्रोट से एक आवाज आती है। गले की एक्सरसाइज, थायराइड के लिए, रात को सोते सोते श्वांस रुक जाए, खर्राटे के लिए, जो बच्चे हकलाते हैं उनके लिए, टॉन्सिल के लिए उज्जायी प्राणायाम (Ujjayi Pranayama) से बेहतर कुछ नहीं हो सकता। बता दें कि इसे 12 से 21 बार कर सकते हैं, फिर श्वास को दूसरे नाक से भी इसी प्रकार बंद कर छोड़ना होता है।
हाइपो या फिर हाइपर थायराइड (Thyroid) की बीमारी से बचने के लिए, इसके लिए जिनका बार बार गला खराब होता है उनके लिए आप इस योगाभ्यास को कर सकते हैं। इस प्राणायाम की खासियत है कि इसे दिन में कभी भी किया जा सकता है। जैसे कपालभाती व अन्य प्राणायाम हैं जिन्हें खाना खाने के बाद एक्सपर्ट करने की सलाह नहीं देते हैं लेकिन इसे आप कभी भी कर सकते हैं।
इसमें कोई खास सावधानी की बात नहीं है, इसे बच्चों से लेकर बड़े किसी भी उम्र के लोग कर सकते हैं। वैसे लोग जो हकलाते हैं, खासतौर पर बच्चे यदि इसे करें तो उनका हकलाना भी ठीक हो सकता है। इसे करने से जिंदगी में टांसिल (Tonsil) की बीमारी कभी नहीं होगी। सबसे खास यह कि पार्किंनसन, गले का पैरालाइसिस, स्वर भंग (आवाज बैठने) पर कपालभाती और उज्जायी प्राणायाम काफी लाभकारी होता है।
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उज्जायी प्राणायाम के अन्य लाभ (Benefits of Ujjayi Pranayama)
- इसे करने से शरीर में तरल की अधिकता होती है
- फेल्गम को क्लीयर करने के साथ भूख बढ़ाता है
- क्रॉनिक कोल्ड के साथ कफ, इनडायजेशन, लिवर की समस्याओं के साथ पेचिश, बुखार सहित अन्य बीमारियों से निजात दिलाने में काफी लाभकारी होता है।
- घटुशुद्दि के साथ शरीर में सात घातुस (एलिमेंट) जैसे स्किन, मांस, खून, हड्डियां, मैरो, फैट और सीमेन को तंदरुस्त रखता है
- उज्जायी प्राणायाम (Ujjayi Pranayama) को करने से हमारी आवाज में शुद्धि आ जाती है
- अस्थमा या सांस से संबंधित परेशानी को दूर करने के लिए
- कोलेस्ट्रॉल लेवल को बैलेंस्ड रखने में
- साइनस, गठिया, माइग्रेन एवं मोतियाबिंद जैसी परेशानी को दूर करने में
- शारीरिक परेशानी एवं मानसिक परेशानी दोनों को ही दूर रखने में उज्जायी प्राणायाम (Ujjayi Pranayama) आपका साथ निभाता है